देख लीजिये केके पाठक जी : बिहार में दो कमरे वाला स्कूल, एक में ऑफिस तो दूसरे में क्लासरूम, खूले आसमान में पढ़ाने को मजबूर शिक्षक
गया : बिहार के गया में एक दो कमरे वाला स्कूल है. जहां एक में ऑफिस चलता है तो दूसरे में क्लास. यहां छात्रों की पढ़ाई के लिये सिर्फ एक क्लासरूम है. मामला शेरघाटी अनुमंडल के डोभी प्रखंड का है. यहां के केशापी मध्यविद्यालय में 300 छात्रों का नामांकन है. 7 शिक्षकों की नियुक्ति है. लेकिन क्लासरूम केवल दो हैं. एक क्लास रूम को ऑफिस बना दिया गया है और रूम में क्लास चलता है. बाकी बचे छात्र को शिक्षक आम के पेड़ के नीचे बैठकर इस भीषण गर्मी में पढ़ाने को मजबूर हैं.
आपको बता दें जून 2023 में केके पाठक ने शिक्षा विभाग के एसीएस के रूप में पदभार संभाला था. अब एक साल होने को है. इस दरम्यान शिक्षा विभाग की हालत सुधारने के लिये कई कड़े कदम उठाये. स्कूलों की टाइमिंग से लेकर शिक्षकों की नियुक्ति तक तकई बदलाव हुए. जिसके बाद से सरकारी विद्यालयों की स्थिति काफी बेहतर हुआ है. अब शिक्षक और छात्र समय से स्कूल पहुंच रहे हैं. ये बदलाव मध्य विद्यालय केशापि में भी देखने को मिला. यहां शिक्षक प्रतिदिन समय पर आने लगे. छात्रों की उपस्थिति भी ठिक रहने लगी. लेकिन यहां स्कूल में कमरो के अभाव में छात्र खुले आसमान में पढ़ने को मजबूर हैं.
आपको बता दें मध्य विद्यालय केशापि स्कूल की जमीन 50 डिशमिल की है. यहां दबंगों ने 18 डिशमिल जमीन पर कब्जा कर घर बना लिया है. अब स्कूल के पास 32 डिशमिल चमीन बची है. लेकिन इसपर न भवन का निर्माण हो पा रहा है और न ही बाउंड्री वॉल. शौचालय भी टूट-फूट गया है. हालांकि स्कूल की जमीन को अतिक्रमणमुक्त करवाने के लिये ग्रामीणों ने डोभी अंचलाधिकारी से लेकर जिलाधिकारी तक लिखित आवेदन देकर गुहार लगा चुके हैं. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो पा रहा है.
स्कूल के शिक्षकों ने बताया की हमलोग समय पर स्कूल पहुंच जाते हैं. लेकिन स्कूल में भवन नहीं होने से हमलोग बच्चों को ठीक तरह से नहीं पढ़ा पाते हैं जिसका दुख होता है. शिक्षको ने ये भी बताया की स्कूल परिसर में नाली का पानी भी जमा हो जाता है. छात्र और शिक्षक बदबू से परेशान रहते हैं. साथ ही शिक्षकों ने बताया कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी यहां निरीक्षण करने आते हैं. लेकिन ये समस्या किसी को नहीं दिखती है. शिक्षकों ने बताया कि जब केके पाठक गया आये थे तो अधिकारियों को इस स्कूल की समस्या से अवगत कराना चाहिए था. जिस स्कूल में कोई समस्या नहीं थी, वहां एसीएस साहब को विजिट करवाया गया था.