एक गांव जहां न बिजली है, न सड़क : विकास से कोसों दूर बिंतुका का कमला बेड़ा गांव, 8 सालों से गांव में बिजली नहीं, फिर भी विभाग थमा रहा बिल

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Kamla Beda village of Bintuka far away from development in Simdega Kamla Beda village of Bintuka far away from development in Simdega

सिमडेगा/बानो: विकास से कोसों दूर एक गांव.. जहां न सड़क है और न हीं बिजली. बड़ी बात ये है कि उस गांव में बिजली के पोल और तार हर जगह मिल जायेंगे, लेकिन बिजली नहीं मिलेगी. 8 सालों से गांव में बिजली नहीं है. लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि वहां लोगों को विभाग ने बिजली बिल जरूर थमा दिया है. बताया ज रहा है कि कमला बेड़ा गांव में ट्रांसफॉर्मर नहीं है. ग्रामीण 8 सालों से बिजली विभाग से ट्रांसफॉर्मर की मांग कर रहे हैं, लेकिन अबतक नहीं मिला है. गांव में बिजली नहीं होने से बच्चों को पठन-पाठन में दिक्कत आती है. साथ ही अंधेरा होने की वजह से गांव में जंगली जानवरों से भी भय का माहौल बना रहता है. कमलाबेड़ा गांव बानो प्रखंड के बिंतुका पंचायत में पड़ता है. यहां आने वाले लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. बरसात के दिनों में ये गांव टापू बन जाता है. यहां झरिया है... जिसपर पुल नहीं है. बरसात में झरिया में पानी भरे होने के कारण आवा जाही पुरी तरह से ठप हो जाता है. उस दौरान लोगों को गांव में दुबकना पड़ता है.

क्या कहते हैं ग्रामीण ?

ग्रामीण बृंदावती देवी ने बताया कि हमारा गांव विकास से कोसों दूर है. हमारे गांव में एक झरिया पड़ता है, जिसपर पुल का होना अति आवाश्यक है. पुल नहीं होने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बीमार व्यक्ति या गर्भवती को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल होता है. साथ ही उन्होंने बताया पिछले साल अगस्त के महीने में इसी झरिया में एक गर्भवती की जान चली गई थी. ग्रामीण जयचंद ने बताया कि झरिया में पुल की आवश्यकता है. हमलोग सरकार से पुल की मांग की है. लेकिन आज तक पुल नहीं बना . यही नहीं सरकारी सुविधाओं से हमारा गांव वंचित है. ग्रामीण बुधेश्वर सिंह ने बताया कि उनके गांव में बिजली नहीं है. वे लोग विभाग को अपना दर्द बयां करते-करते थक गये. लेकिन विजली विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा. उन्होंने बताया कि 2011 में गांव को बिजली की सुविधा दी गई थी. 2013 तक ही ये सुविधा रहा. उसके बाद वे लोग इस सुविधा से वंचित रहे गये. अब बिजली का नामो निशान नहीं है. लेकिन 2022 में उनलोगों को बिजली बिल थमा दिया गया है.

क्या कहती हैं गांव की मुखिया ?

विन्तुका पंचायत के मुखिया प्रीति बुढ़ ने बताया कि पांगुर कमलाबेड़ा गांव की स्थिति बहुत नाजुक हो चुकी है. गांव आने जाने वाले लोगों को काफी फजीहतों का सामना करना पड़ता है. गांव में एक पुल की आवश्यकता है. बरसात के दिनों में पुल नहीं होने की वजह से आवागमन पूरी तरह से बाधित हो जाता है. वे लोग करीब 8 सालों से बिजली के लिये तरस रहे हैं. प्रीति बुढ़ ने सरकार से गांव में बुनियादी सुविधा मुहैया कराने की मांग की. साथ ही कहा कि राज्य सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे करती है, पर इस गांव में विकास नहीं दिखता है.

सिमडेगा से रविकांत मिश्रा की रिपोर्ट