झारखंड की बेटी सलीमा को अर्जुन पुरस्कार : भारतीय हॉकी महिला टीम की हैं कप्तान, संघर्ष और प्रतिभा को मिला सम्मान

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SIMDEGA :खेल की नगरी एक छोटे से गांव बड़कीछापर के ऊबड़ खाबड़ मैदानों में बांस के सहारे हॉकी खेल की शुरुआत कर ओलंपिक में खेल का डंका बजाने वाली सिमडेगा की बेटी और भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सलीमा टेटे को आगामी 17 जनवरी को अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। सलीमा को खेल जगत के इतने बड़े अवॉर्ड मिलने की खबर के बाद से हीं सिमडेगा में उत्साह का माहौल है, अर्जुन अवॉर्ड मिलने की सूचना के बाद गांव में चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं सिमडेगा और कोलेबिरा विधायक सहित सिमडेगा जिला प्रशासन भी सिमडेगा की बेटी को अर्जुन अवॉर्ड से नवाजे जाने को लेकर शुभकामनाएं दिए।

झारखंड की बेटी जिसने हॉकी के मैदान में अपना परचम लहराया

झारखंड के सिमडेगा जिले की रहने वाली एक ऐसी हॉकी खिलाड़ी जिसने अपने खेल के दम पर देश और राज्य का नाम रोशन किया है, सलीमा वर्तमान में भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान हैं और जल्द ही उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। सलीमा का बचपन कठिनाइयों से भरा था, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी लेकिन सलीमा के परिवार ने उनके सपने को पूरा करने में काफी सहयोग किया। सलीमा की मां और बड़ी बहन ने बर्तन मांजकर परिवार चलाया, सलीमा के पिता भी हॉकी के खिलाड़ी थे जिन्हें देखकर सलीमा के मन में हॉकी के प्रति जुनून पैदा हुआ। सलीमा की बड़ी बहन अनिमा भी हॉकी खेला करती थी लेकिन अपनी छोटी बहन सलीमा के लिए उन्होंने अपना सपना त्याग दिया और दूसरों के घरों में काम करना शुरू कर दिया। सलीमा के हॉकी खेलने की शुरुआत बॉस के स्टिक और नेवा के गेंद से हुई, मेहनत और लगन ने उन्हें जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला और अपने खेल से देश को गौरवान्वित की, सलीमा को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित करने का निर्णय झारखंड के लिए एक गर्व का विषय है। यह अवार्ड सलीमा की मेहनत और समर्पण को पहचान दिलाती है, सलीमा को अर्जुन अवार्ड 17 जनवरी 2025 को दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में आयोजित विशेष समारोह में दिया जाएगा। इस समारोह में देश के कई प्रतिष्ठित खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया जा रहा है।

सलीमा का बचपन और परिवार

सलीमा का बचपन कठिनाइयों से भरा था, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी लेकिन सलीमा के परिवार ने उनके सपने को पूरा करने में काफी सहयोग किया। सलीमा की मां और बड़ी बहन ने बर्तन मांजकर परिवार चलाया, सलीमा के पिता भी हॉकी के खिलाड़ी थे जिन्हें देखकर सलीमा के मन में हॉकी के प्रति जुनून पैदा हुआ।

सलीमा का हॉकी करियर

सलीमा ने अपने हॉकी करियर की शुरुआत 2014 में की जब वह केवल 14 साल की थीं, इसके बाद सलीमा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने खेल के दम पर देश और राज्य का नाम रोशन किया।

सलीमा की मां की दिल की बात

मां ने एक दिलचस्प बात साझा की है उन्होंने बताया की उनके गांव में नेटवर्क की समस्या इतनी ज्यादा है की सलीमा से वीडियो कॉल पर बात करना भी मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा "जब सलीमा वीडियो कॉल करती है, तो हम घर में बैठकर उससे बात नहीं कर सकते। हमें कुछ दूर जाना पड़ता है जहां नेटवर्क अच्छा मिलें, जब सलीमा घर आती है तो उसे भी बात करने के लिए दूर जाना पड़ता है।"

सलीमा की मां की चिंता

उन्होंने बताया कि उनके घर में पानी की समस्या नहीं है, लेकिन पानी का स्वाद इतना खराब है की पीने में दिक्कत होती है। उन्होंने कहा "हमारे घर के बाहर चापानल लगा हुआ है और पानी भी आता है, लेकिन इसका स्वाद इतना खराब है कि हमें पानी लाने के लिए कुछ दूर जाना पड़ता है यह समस्या हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है।"

सलीमा की सादगी

सलीमा जब भी अपने गांव आती है तो वह अपने पक्के मकान में नहीं रहती, बल्कि वह अपनी माँ के साथ कच्चे खपड़े के मकान में रहती है। यह बात सुनकर हमें एहसास होता है की सलीमा कितनी साधारण और जमीन से जुड़ी हुई हैं, वह अपने परिवार और अपने गांव के प्रति कितनी समर्पित हैं। सलीमा की यह बात हमें यह सिखाती है की असली खुशी और संतुष्टि अपने परिवार और अपने समाज के साथ जुड़ने में ही है।

बेटी का प्यार और सादगी

सलीमा अभी भी अपने बचपन के पसंदीदा खाने गुड़ा भात खाती है, यह बात सुनकर हमें एहसास होता है की सलीमा कितनी साधारण और अपनी जड़ों से जुड़ी हुई हैं। वह अपने परिवार और अपने गांव के प्रति कितनी समर्पित हैं। सलीमा की यह बात हमें यह सिखाती है की असली खुशी और संतुष्टि अपने परिवार और अपने समाज के साथ जुड़ने में ही है।

सिमडेगा से अमन मिश्रा की रिपोर्ट