बिहार का 'पुष्पा' कौन? : वन क्षेत्रों पर तस्करों की बुरी नज़र, बेशकीमती पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई, वन विभाग खामोश

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Indiscriminate cutting of precious trees in Kishanganj Indiscriminate cutting of precious trees in Kishanganj

KISHANGANJ : राज्य और केंद्र सरकार पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वृक्षारोपण को बढ़ावा दे रही है लेकिन भारत-नेपाल सीमा से सटे इलाके में स्थित वन क्षेत्र पर अब तस्करों की बुरी नजर पड़ चुकी है और 'पुष्पा' अंदाज में बेशकीमती पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है।

ये पूरा मामला जिले के सीमावर्ती सुखानी थाना क्षेत्र का है, जहां स्थित सखुआ, बादाम (टीक) के पेड़ों की कटाई का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। मामला सुखानी थाना और एसएसबी कैंप से महज 100-200 मीटर दूर तथा कादोगांव बाजार के बिलकुल ही पास का है, जहां पेड़ों की गुपचुप तरीके से कटाई हो रही है।

पेड़ों की कटाई किसने की है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है लेकिन दबी जुबान से लोग इस मामले में सीमा क्षेत्र में सक्रिय तस्करों के हाथ होने का संदेह व्यक्त कर रहे हैं। चर्चा यह भी है कि काफी समय पूर्व से ही सखुआ पेड़ों की गुपचुप तरीके से कटाई हो रही है, जिसपर प्रशासन का कभी कोई ध्यान नहीं रहा है। बागान में करोड़ों रुपए मूल्य के सैकड़ों पेड़ लगे हैं, जहां से कई पेड़ों को काटकर गायब कर दिया गया है।

ग्रामीणों को संदेह है कि लगातार तेज बारिश में रात के अंधेरे का फायदा उठाकर तस्करों ने ही इसको अंजाम दिया है। उधर, सखुआ बागान में पूर्व में कटे हुए पेड़ों के जड़ वाले शेष भाग जो सूखकर अब काले हो चुके हैं, उसे देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि पेड़ों की पूर्व से ही यहां कटाई हो रही है लेकिन सबसे आश्चर्य की बात तो तब है, जब उक्त सखुआ बागान से SSB कैंप और थाना की मौजूदगी काफी निकट है। बावजूद इसके पेड़ों को कौन काटकर गायब कर दे रहे हैं, यह हैरानी की बात है।

गौरतलब है कि सखुआ का पेड़, जो एक कीमती पेड़ों की श्रेणी में आता है और इसकी लकड़ी काफी मजबूत होती है, जिनसे घर के खिड़की-दरवाजों के चौखट सहित अन्य सामग्री बनाए जाते हैं। इनका धीरे-धीरे चोरी हो जाना कई सवालों को जन्म दे रहा है। कादोगांव बाजार के पास लगे सखुआ बागान एक तरह से पिकनिक स्पॉट जैसा है। यहां न्यू ईयर के फर्स्ट-डे काफी लोग पिकनिक भी मनाने आते हैं और सखुआ बागान का आनंद लेते हैं। मगर सखुआ बागान पर तस्करों की बुरी नजर लग गई है, जो एक अंतराल के बाद बाद पेड़ों की गुपचुप तरीके से कटाई कर बिक्री हेतु सप्लाई कर दिया जा रहा है, जो गंभीर अपराध है। साथ ही यह जांच का भी विषय है। वहीं, फॉरेस्ट विभाग ने कहा है कि उक्त सखुआ बागान उनके वन क्षेत्र के हिस्से नहीं आता है।

वहीं, अंचलाधिकारी सुचिता कुमारी ने कहा है कि पेड़ों की कटाई की सूचना मुझे मिली है और मैने संबंधित सखुआ बागान की मापी करने हेतु राजस्व कर्मचारी और अंचल अमीन को भेजकर राजस्व अभिलेख से प्राप्त जमीन का ब्योरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है कि उक्त बागान की जमीन रैयती है या फिर बिहार सरकार की है। अगर जमीन बिहार सरकार की है तो फिर इस मामले में उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

वहीं, मामला संज्ञान में आने के बाद पुलिस कार्रवाई में जुट गई है। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लकड़ी को नेपाल सीमा से सटे सूरी भिट्टागांव से बरामद कर लिया गया है और एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है।