Special Report : RJD-कांग्रेस की गलती से सत्ता से चूका I.N.D.I.A, एक के बाद एक गलतियों ने किया गुड़-गोबर, नीतीश के बाहर होने से हुआ ये नुकसान
NEWS DESK : सियासत हर समय अपना रंग-ढंग बदलती रहती है। कभी विपक्षी एकता के सूत्रधार रहे नीतीश कुमार आज NDA खेमा में शामिल होकर 'किंगमेकर' बने हुए हैं। नयी सरकार के गठन को लेकर अब नीतीश कुमार पूरी तरह से एक्टिव हो गये हैं और दिल्ली में ही डेरा डाल दिए हैं लेकिन इन सबके साथ सियासी गलियारे में अब इस बात की चर्चा होने लगी है कि क्या लालू प्रसाद की पार्टी RJD और कांग्रेस की एक बड़ी गलती से I.N.D.I.A गठबंधन सत्ता से चूक गया और सबकुछ गुड़-गोबर कर दिया।
RJD-कांग्रेस की गलतियां पड़ गयी भारी
सियासी पंडितों की माने तो आरजेडी और कांग्रेस की एक गलती से I.N.D.I.A गठबंधन सत्ता की दहलीज पर आकर ठिठक गया है। जी हां, राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक लोकसभा चुनाव के सालभर पहले से विपक्षी एकता को एकजुट करने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जुट गये थे। उन्होंने लगातार कई दिनों तक हर प्रदेश का दौरा किया और विरोधी नेताओं को एकजुट किया।
विपक्षी एकता के सूत्रधार बने नीतीश
नीतीश ने विपक्षी दलों को एकता के सूत्र में बांधने के लिए सबसे पहले यूपी का दौरा किया और अखिलेश यादव को साथ लाने की कोशिश में कामयाब हुए। इसके बाद वे 'दीदी' के राज्य पश्चिम बंगाल भी पहुंचे और वन-टू-वन बात कर उन्हें रजामंद किया। फिर ओडिशा पहुंचे। साथ ही महाराष्ट्र जाकर भी शरद पवार, उद्धव ठाकरे से मुलाकात की, और तो और दिल्ली जाकर अरविंद केजरीवाल, मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी को मनाया।
रंग लाने लगी थी नीतीश की कोशिशें
नीतीश कुमार की इन कोशिशों का ही नतीजा था कि देशभर की 15 विपक्षी पार्टियों के बड़े नेताओं का पहली बार 23 जून 2023 को पटना में जुटान हुआ। इनमें राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, लालू यादव, तेजस्वी यादव, अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे, एमके स्टालिन और ममता बनर्जी जैसे बड़े नेता शामिल थे। हालांकि, बड़ी बात ये है कि उसवक्त तक इस गठबंधन का नाम तय नहीं था लेकिन समूचे विपक्ष का एजेंडा एक ही था कि केन्द्र की सत्ता से मोदी सरकार को उखाड़ फेंकना है।
आरजेडी ने की बड़ी गलती
पटना में विपक्षी दलों के नेताओं के जुटान के दौरान आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने एक भारी गलती की। मसखरी के लिए मशहूर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने पटना में गठबंधन के सभी नेताओं की मौजूदगी में हुए प्रेस कांफ्रेस के दौरान इशारों ही इशारों में राहुल गांधी को 'दूल्हा' बनाने की बात कह दी, जिसके कई सियासी मायने निकाले जाने लगे। तबतक नीतीश कुमार भी वेट एंड वॉच की स्थिति में थे।
इस बीच विपक्षी नेताओं को गोलबंद करने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कोशिशें भी रंग लाने लगी लिहाजा विपक्षी दलों के इस गठबंधन का लगातार विस्तार होने लगा। कई और दल इसमें शामिल होने लगे। तबतक इस गठबंधन के प्रमुख किरदार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही थे, जिन्होंने विपक्षी एकता की पूरी मुहिम को दिल से लीड किया और रणनीतियों के तहत इस गठबंधन को एक मूर्त रूप दिया।
...जब नीतीश को लगा दूसरा झटका
बिहार की राजधानी पटना के बाद बेंगलुरु में हुई गठबंधन की दूसरी बैठक की शुरुआत तक भी सबकुछ ठीक था लेकिन बैठक समाप्त होते-होते इस गठबंधन में दरार की ख़बरें सामने आने लगी। दरअसल, बेंगलुरु की इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस गठबंधन का नाम I.N.D.I.A रखने का ऐलान किया, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पसंद नहीं आया। उन्होंने मीटिंग के दौरान इसका विरोध भी किया लेकिन उनकी बातों को अनसुना कर गठबंधन का नाम I.N.D.I.A रखने की घोषणा कर दी लिहाजा वे अंत में होने वाली प्रेस कांफ्रेंस को छोड़कर सीधे पटना के लिए उड़ान भर लिए।
सियासी पंडितों की माने तो पटना की बैठक में जहां आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने एक बड़ा बयान देकर भारी गलती की थी, वहीं बेंगलुरु की बैठक में कांग्रेस ने गठबंधन का नाम I.N.D.I.A रख एक और मिस्टेक कर दिया। यहीं वो पहला मनभेद था। मीडिया ने तुरंत इसे भांप लिया था। नीतीश की नाराजगी की ख़बरें अखबारों के मुख्यपृष्ठ पर छपने लगी। साथ ही सियासी गलियारे में भी सुगबुगाहट तेज हो गयी।
नीतीश को लगते रहे झटके-पर झटके
हद तो तब हो गयी, जब महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में I.N.D.I.A गठबंधन की अगली बैठक हुई। पूरे देश को I.N.D.I.A गठबंधन के संयोजक के नाम के ऐलान का बेसब्री से इंतजार था। नीतीश कुमार की उम्मीदों को झटका तब लगा, जब मुंबई में गठबंधन की तीसरी बैठक में उन्हें PM कैंडिडेट या संयोजक बनाने की बजाए कई प्रकार की कमेटियां बना दी गईं। यहां भी कांग्रेस पार्टी ने दूसरी बड़ी गलती की।
मामला यहीं नहीं थमा। मोदी विरोधी दलों को एकजुट करने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुहिम को करारा झटका उस वक्त लगा, जब 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने थे और कांग्रेस I.N.D.I.A गठबंधन की परवाह किए बगैर विधानसभा चुनाव में जुट गयी और लंबे समय तक विपक्षी एकता का मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
कांग्रेस पर नीतीश कुमार ने कसा था तंज
कांग्रेस पार्टी के सुस्त होने और विपक्षी एकता की मुहिम को झटका लगते देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बिफर पड़े और 2 नवंबर 2023 को मिलर स्कूल ग्राउंड में हुई CPI की रैली में लालू प्रसाद की गैरहाजिरी में उन्होंने विपक्षी एकता के अपने प्रयासों की चर्चा करते हुए कांग्रेस के उदासीन रवैये पर कटाक्ष किया।
सीपीआई की रैली में मंच से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के खिलाफ I.N.D.I.A गठबंधन बनाने में हम सभी ने कितना काम किया है। पटना सहित दो राज्यों में बैठक भी की गई लेकिन अभी इस गठबंधन को मजबूत करने के लिए कोई काम नहीं हो रहा है। I.N.D.IA. गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस है।
उन्होंने इस रैली में दो टूक अंदाज में कहा था कि कांग्रेस को आगे बढ़ाने के लिए हम लोगों ने इतना काम किया है लेकिन अभी ज्यादा काम नहीं हो पा रहा। अभी पांच जगह विधानसभा का चुनाव है। कांग्रेस पार्टी तो उसी को लेकर ज्यादा इच्छुक है। हमलोग तो कांग्रेस को आगे बढ़ाने के लिए एकजुट होकर काम कर रहे थे लेकिन अभी उनको इन सब चीज की चिंता है नहीं। अभी वह लगे हुए हैं पांच राज्यों के चुनाव में इसलिए जब पांच राज्य का चुनाव हो जाएगा तो अपने सबको बुलाएंगे। अभी कोई चर्चा नहीं हो रही है।" मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के मंच से अपनी मेहनत का जिक्र करते हुए कांग्रेस से मिल रहे कष्ट का खुलासा किया था।
कांग्रेस और आरजेडी ने की एक और गलती
गौर करने वाली बात ये है कि CPI की रैली से कुछ दिनों पहले बिहार कांग्रेस दफ्तर सदाकत आश्रम में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में नीतीश कुमार को भी आमंत्रित किया गया लेकिन वे नहीं गये। हालांकि, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद इस प्रोग्राम में शामिल हुए थे, जहां उनकी शान में कसीदे गढ़े गये। फिर लालू प्रसाद ने भी राहुल गांधी की जमकर प्रशंसा की। इन सभी सियासी घटनाक्रमों को देखकर नीतीश कुमार की आंखें खुलने लगी और वे मौके का इंतजार करने लगे।
फिर दिसंबर का महीना आया। कांग्रेस को जब राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जोर का झटका लगा और चुनाव हार गयी तो उन्हें वापस नीतीश कुमार की याद आयी लेकिन तब तक नीतीश कुमार की बस छूट चुकी थी। यहीं से नीतीश ने I.N.D.I.A से लगभग अपनी राह अलग करने का फैसला ले लिया।
..जब I.N.D.I.A की बैठक से नीतीश ने किया तौबा
CM नीतीश दिन गुजरने के साथ-साथ बेचैन होने लगे। वे लगातार सीट शेयरिंग और प्रत्याशियों के चयन पर बात आगे बढ़ाना चाहते थे लेकिन कांग्रेस विधानसभा चुनावों में हुई हार पर मंथन करना चाहती थी लिहाजा नीतीश कुमार ने इस गठबंधन से तौबा करने में भी भलाई समझी और व्यस्तता का हवाला देते हुए I.N.D.I.A गठबंधन की अगली बैठक में जाने से इनकार कर दिया। इसके बाद बैठक टल गयी।
नीतीश ने अपने हाथ में ली JDU की कमान
फिर क्या था, धीरे-धीरे लोकसभा चुनाव के दिन नजदीक आने लगे, वहीं I.N.D.I.A गठबंधन की बैठकें लगातार दो बार टलती गयीं। फिर 21 दिसंबर को दिल्ली में एक मीटिंग हुई, जहां नीतीश कुमार को फिर से निराशा हाथ लगी और उन्हें संयोजक नहीं बनाया गया लिहाजा नीतीश कुमार का I.N.D.I.A गठबंधन से मोहभंग होने लगा। इसके बाद 29 दिसंबर को उन्होंने JDU की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलायी और फिर सर्वसम्मति से JDU की कमान अपने हाथों में ले ली।
नीतीश कुमार ने वक्त रहते ये भांप लिया था कि I.N.D.I.A गठबंधन में उन्हें कुछ हासिल नहीं वाला है लिहाजा उन्होंने न केवल जेडीयू अध्यक्ष पद से ललन सिंह से इस्तीफा लिया बल्कि गठबंधन से लेकर लोकसभा चुनाव में कैंडिडेट सिलेक्शन तक का अधिकार अपने पास सुरक्षित रखा। इस बदलाव के साथ ही शुरू हो गई बिहार में सरकार बदलने की चर्चा। एक बार फिर से बिहार में एनडीए की जमीन तैयार होने लगी।
नीतीश के लिए फिर खुले बीजेपी के बंद दरवाजे
महीना गुजरते-गुजरते एकबार फिर नीतीश कुमार NDA में शामिल हो गए। नीतीश कुमार के लिए बीजेपी के बंद दरवाजे फिर खुल गए। नीतीश कुमार ने भी दोहराया कि अब वे इस दरवाजे से दोबारा वापस नहीं जाएंगे। ऐसे में कहा जा सकता है कि आरजेडी और कांग्रेस की बड़ी गलतियों की वजह से विपक्षी एकता के सूत्रधार बनने वाले नीतीश कुमार ने I.N.D.I.A गठबंधन से दूरी बनाने में ही भलाई समझी।
अब I.N.D.I.A के सामने पछताने के सिवा कुछ नहीं
इसके बाद लोकसभा चुनाव हो गये। कल तक नीतीश कुमार को कमजोर समझने वाले लोग आज औंधे मुंह गिरे हुए हैं क्योंकि इस चुनाव के बाद नीतीश कुमार कमजोर नहीं बल्कि 'किंगमेकर' के तौर पर उभरे हैं। फिलहाल NDA की सरकार बनाने में उनकी बड़ी भूमिका मानी जा रही है। वहीं, I.N.D.I.A गठबंधन में भी उनकी पूछ बढ़ गयी है। कलतक उन्हें अधिक तवज्जो नहीं देने वाला I.N.D.I.A अलायंस आज उनके सामने नतमस्तक होने को तैयार है। लेकिन ये नौबत इसलिए आई क्योंकि कभी लालू तो कभी कांग्रेस ने नीतीश की अहमियत नहीं समझी और अब उनके सामने पछताने के सिवा कुछ नहीं बचा है।
सियासी पंडितों की माने तो अगर उसवक्त सीएम नीतीश को I.N.D.I.A का संयोजक बना दिया जाता तो आज देश में नयी सियासी तस्वीर सामने होती। लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू आरजेडी, कांग्रेस, लेफ्ट और वीआईपी के साथ मजबूती से लड़ती और अधिक सीटों पर परचम लहराया होता। आज लोकसभा चुनाव के आंकड़े कुछ और गवाही देते और सत्ता के मुहाने पर आकर ठिठकी I.N.D.I.A गठबंधन आज नयी सरकार बना रही होती और मोदी सरकार की विदाई हो गयी होती।
(संपादक अशोक मिश्र की विशेष रिपोर्ट)