चतरा के प्रतापपुर में राशन का 'महा घोटाला' : एफसीआई गोदाम से खेल, लाभुकों को 3 महीने के बिल पर 2 माह का चावल

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चतरा:जिले के प्रतापपुर में राशन वितरण प्रणाली में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश होने की आशंका है. यहां के हजारों लाभुकों का आरोप है कि उन्हें तीन महीने का राशन बिल दिखाकर,केवल दो महीने का चावल दिया जा रहा है. इस स्थिति ने लाभार्थियों को गहरी चिंता में डाल दिया है कि आखिर अगस्त महीने में मिलने वाले उनके हक के राशन पर किसका ग्रहण लग गया है. यह पूरा मामला प्रतापपुर प्रखंड के एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) गोदाम से जुड़ा हुआ है,जिससे इसकी गंभीरता और बढ़ जाती है.

एमओ ने स्वीकारा'बैकलॉग',2 साल से चल रहा खेल

इस गंभीर अनियमितता पर प्रतिक्रिया देते हुए,प्रतापपुर के एमओ (मार्केटिंग ऑफिसर) अजीत कुमार गोप ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. उन्होंने स्वीकार किया है कि प्रतापपुर में पिछले दो सालों से'बैकलॉग'चल रहा है. एमओ गोप के अनुसार,इस व्यवस्था के तहत आने वाले अगले महीने का राशन,पिछले महीने में ही बांट दिया जाता है. यही वजह है कि लाभुकों को जून-जुलाई-अगस्त (3 महीने) का बिल दिखाकर,फिलहाल केवल जून-जुलाई (2 महीने) का ही चावल दिया जा रहा है. ऐसे में अगस्त महीने का राशन कहाँ गया,यह एक बड़ा सवाल है,जिस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल पा रहा है.

यह अनियमितता सीधे तौर पर सरकार की महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा योजना पर सवाल उठाती है,जिसका उद्देश्य गरीब और जरूरतमंदों तक समय पर और पूरी मात्रा में अनाज पहुंचाना है. यदि यह आरोप सही साबित होते हैं,तो यह सीधे तौर पर लाभुकों के हिस्से के अनाज में सेंधमारी का मामला है.

राशन दुकानदारों की भी बढ़ी फजीहत

इस'बैकलॉग'और अपर्याप्त वितरण के कारण राशन प्रणाली दुकानदारों को भी लाभुकों की नाराजगी और फजीहत का सामना करना पड़ रहा है. जब लाभुक अपने पूरे हक का राशन मांगते हैं और उन्हें कम मिलता है,तो वे सीधे दुकानदारों से सवाल करते हैं,जबकि दुकानदार भी इस पूरी व्यवस्था का हिस्सा हैं और ऊपर से आ रहे निर्देशों का पालन कर रहे हैं.

विधायक ने उठाया सवाल:'39 सौ क्विंटल गबन करने वाले आज भी प्रतापपुर में जमे'

इस बड़े घोटाले पर अब लोजपा के चतरा विधायक जनार्दन पासवान ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा है कि "39 सौ क्विंटल गबन करने वाले आज भी प्रतापपुर में जमे हुए हैं,जो बेहद चिंताजनक है." विधायक का यह बयान इस ओर इशारा करता है कि इस गड़बड़झाले में बड़े पैमाने पर अनाज की हेराफेरी हुई है और इसमें कुछ बड़े लोग शामिल हो सकते हैं,जिन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

घोटाले का जिम्मेदार कौन?एफसीआई गोदाम की जांच की मांग तेज

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर प्रतापपुर में इस बड़े घोटाले का जिम्मेदार कौन है?क्या यह विभागीय लापरवाही है,या इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और कालाबाजारी का खेल एफसीआई गोदाम स्तर पर चल रहा है?विधायक के बयान के बाद यह संदेह और गहरा गया है कि कुछ प्रभावशाली लोग इस गोरखधंधे में लिप्त हैं.

स्थानीय लोगों और लाभुकों की प्रबल मांग है कि प्रतापपुर एफसीआई गोदाम की गहन और निष्पक्ष जांच की जाए. उनका मानना है कि गोदाम के स्टॉक रिकॉर्ड,वितरण चालान और पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल) मशीन के डेटा की विस्तृत जांच से ही इस महा घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है. यदि अगस्त महीने का राशन पहले ही गोदाम से निकाला जा चुका है और उसे लाभार्थियों तक नहीं पहुंचाया गया है,तो यह स्पष्ट रूप से आपराधिक कृत्य होगा.

जिला प्रशासन को तुरंत इस गंभीर मामले का संज्ञान लेते हुए एक उच्च-स्तरीय जांच समिति गठित करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए,ताकि गरीबों के हक का अनाज उन तक पहुंच सके और भविष्य में ऐसी अनियमितताओं पर लगाम लग सके.

चतरा से कुमार चंदन की रिपोर्ट--