रातो रात बढ़ा गंगा का जलस्तर : गंगा के बढ़ते जलस्तर से कटाव शुरू, जिस डर में दो पीढ़ी चली गई उसी डर के साथ तीसरी पीढ़ी जीने को मजबूर

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Ganga water level increased overnight Ganga water level increased overnight

भोजपुर : गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। पूरा गांव दहशत में है। न जाने कब यह नदी किसे अपने अंदर समा लें। पहले भी कितनों के घर इस नदी में समा चुकी है। रात में ठीक तरीके से सो भी नहीं पाते है न जाने कब गंगा हमारे घर तक आए और डूबा दें। यहीं चिंता भोजपुर जिले के बलुआ पंचायत के लोगों को सता रही है। दरअसल बलुआ पंचायत के अचरज लाल के टोला के रहने वाले लोगों को बाढ़ के साथ साथ कटाव का भी डर दिन प्रतिदिन सता रहा है। गंगा का जलस्तर दिन रात बढ़ रहा है। गंगा का तेजी से जलस्तर बढ़ने से ग्रामीणों में दहशत है। अभी शुरुआती दिनों में गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखकर ग्रामीण काफी चिंतित है। कटाव से परेशान लोग अभी भी इस डर के साथ जीने में मजबूर है, जिस डर के साथ उनकी दो पीढ़ी चली गई है।

दो किलोमीटर दूर बहा करती थी गंगा

गांव के बुजुर्ग निवासी गणेश राम ने बताया कि उनकी उम्र पचास वर्ष से ज्यादा हो गई है। उस दौरान गांव से गंगा नदी करीब दो किलोमीटर दूर से बहा करती थी। गांव के दूसरे छोड़ मेला लगता था तो पैदल ही जाकर मेला घूम आते थे। लेकिन धीरे धीरे गंगा में बाढ़ आने लगी और हजारों एकड़ जमीन गंगा में समा गई। सैकड़ो घर नदी में बह गए। अचरज लाल के टोला से केवटिया जाने वाला रास्ता भी कटाव की वजह से गंगा में डूब गया। उसके बाद ग्रामीणों के लिए एक और रास्ते का निर्माण हुआ जो गंगा से कई बांस दूर था। लेकिन अब यह रास्ता भी नदी के कटाव से टूटने के कगार पर है। उन्होंने बताया कि गांव से कई लोग गंगा पार कर खेती करने के लिए जाते है। इधर खेत रहा ही नहीं है। अब जिनका खेत है वो जान जोखिम में डालकर डेंगी नाव में बैठकर दूसरे किनारे जाते है। नाव पलटने का भी डर बना होता है। वहीं सुरेंद्र यादव ने बताया कि जिला प्रशासन की तरफ से हमलोग को कोई सुविधा नहीं मिलता है। बाढ़ आता है तो बालू वाला बोरा कटाव से बचने के लिए डाला जाता है। लेकिन उससे भी कोई फायदा नहीं है। हर साल गंगा उफान पर आती है और हमारे कई एकड़ जमीन बहा जाती है। लेकिन जिला प्रशासन की ओर से कोई स्थाई विकल्प नहीं निकाला जा रहा है।

हर साल यहां आती है बाढ़

वहीं कार्यपालक अभियंता संजीव कुमार ने बताया कि कटाव दो दिन पहले हुआ था, उसके बाद हमलोग तकनीकी टीम से सुझाव और जानकारी लेकर बम्बू पाइलिंग का काम करवाए है। फिलहाल स्थिति ठीक है। वहीं गंगा के बढ़ रहे जलस्तर के सवाल पर उन्होंने कहा कि मंगलवार की रात जलस्तर 51.99 था अब बुधवार की सुबह जलस्तर बढ़कर 52.03 हो गया है। वहीं आपको बता दें कि इस गांव की तीन पीढ़ी गंगा के उफान को देखते आ रही है। प्रत्येक वर्ष कई एकड़ जमीन इसमें समा जाती है। मझौली, सोहरा, केवटिया, हेतमपुर, पिपरपाती और बलुआ गांव गंगा नदी के सबसे करीब है। इन गांवों के लोगों ने गंगा को शांत और गंगा का विकराल रूप भी देखा है। जिले में अक्टूबर माह के अंत-अंत तक इन गांवों में गंगा अपने उफान पर आ जाती है। जिसका खामियाजा गांव के लोग भुगतते है।

पैदल रास्तों पर चढ़ा गंगा का पानी

हीं भोजपुर जिले के कोईलवर प्रखंड के ज्ञानपुरा गांव में बाढ़ का पानी अब गांव में जाने वाले एक मात्र रास्ते पर चढ़ चुका है। यहां दो तरफ से पानी का जलस्तर बढ़ता है। इस क्षेत्र में गंगा और सोन नदी की पानी एक साथ आती है। गंगा का स्तर और सोन में भारी पानी के बढ़ने से ज्यादातर पानी ज्ञानपुरा गांव में समा जाता है। जिसकी शुरुआत अब धीरे धीरे हो चुकी है। मेन सड़क से गांव में आने वाला एक मात्र रास्ता पर बाढ़ का पानी चढ़ गया है। जिसकी वजह से ग्रामीणों को सड़क पर आने के लिए या गांव में प्रवेश करने के लिए इस पानी को पार करके जाना पड़ता है। कई लोग कपड़े ऊपर करके इस किनारे से उस किनारे तक पहुंच रहे है। इसमें डर भी बना हुआ है। शाम होते सड़क का पता नहीं चलता है। पतली सड़क है और सड़क के अगल बगल 10 से 15 फीट से ज्यादा नीचे जमीन है यानी गढ्ढा है।

पानी पार कर जाना पड़ता है स्कूल

वहीं गांव का रहने वाला एक लड़का आशीष ने बताया कि हर साल इस सड़क पर पानी भर जाता है। अभी तो शुरू हुआ है। सड़क पर करीब 4 से 5 फीट पानी भरता है। नाव के सहारे हमलोग को घर आना जाना पड़ता है। बाढ़ की वजह से कई दिनों तक लाइट नहीं रहती है। बीमार अगर कोई पड़ता है तो काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं गांव की कई छात्र छात्राएं इसी पानी के बीच पार करके हर दिन स्कूल जाती है। जिन्हें कई समस्या का सामना करना पड़ता है। वहीं स्कूल की छुट्टी के बाद कुछ लड़कियों ने बताया कि स्कूल आने जाने में बहुत दिक्कत होता है। डर भी लगता है। लेकिन पढ़ने आने के लिए स्कूल आते है। वहीं एक और लड़की ने बताया कि बहुत डर लगता है। लेकिन पढ़ना भी है। स्कूल के बाहर भी पानी बढ़ जाता है। अभी भी पानी बढ़ रहा है। सुबह तक सड़क दिख रहा था। लेकिन अब सड़क नहीं दिख रहा है। वहीं वहीं ग्रामीणों का कहना है कि किसी को सड़क का अंदाजा नहीं मिलता है। इस वजह से यहां प्रत्येक वर्ष किसी न किसी के डूबने की सूचन मिलती रहती है।

आरा से विवेक कुमार की रिपोर्ट