सत्ता पलटने के बाद भी नीतीश ने की लालू की बड़ी मदद : पर्दे के पीछे का 'खेल' जान आप भी हो जाएंगे हैरान, जानिए मुलाकात के क्या हैं मायने?

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Even after the overthrow of power, Nitish helped Lalu a lot Even after the overthrow of power, Nitish helped Lalu a lot

PATNA : बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद विधानसभा परिसर में एक सुखद नजारा देखने को मिला, जब सूबे की सियासत के दो धुरंधर आमने-सामने आ गये। इस नजारे को क़ैद करने के लिए हर कोई बेचैन दिखा। एकपल के लिए लोगों को लगा कि दोनों एक-दूसरे को नजरंदाज करेंगे और आगे बढ़ेंगे लेकिन ये सियासत है, यहां सिर्फ विचारधारा की लड़ाई होती है और निजी रिश्तों को तरजीह दी जाती है।


विधानसभा पोर्टिको में हुई लालू-नीतीश की मुलाकात

बिहार विधानसभा के प्रवेश द्वार पर जब लालू प्रसाद और नीतीश कुमार का सामना हुआ तो दोनों के चेहरे पर मुस्कान दिखी। नीतीश कुमार ने हाथ जोड़कर लालू यादव का अभिनंदन किया। दोनों ने एक-दूसरे की मिजाजपुर्सी की और फिर थोड़ी देर की बात के बाद आगे बढ़ गये। इस कुछ सेकेंड की मुलाकात के बाद अब कई तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं।

कहा जाता है कि सियासत में कोई भी मुलाकात बेकार नहीं होती, उसके कई मायने निकाले जाते हैं। कुछ ऐसा ही बिहार विधानसभा के पोर्टिको में हुआ, जब लालू प्रसाद अपनी पत्नी राबड़ी देवी, पुत्र तेजस्वी और तेजप्रताप के साथ पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवारों के नामांकन के लिए आए थे। नीतीश और लालू प्रसाद की इस कुछ क्षण की मुलाकात के बड़े सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

मुलाकात के निकाले जा रहे सियासी मायने

सियासत के जानकारों की नज़र में इसे राज्यसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, बिहार में राज्यसभा की 6 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है। ऐसे में एनडीए की तरफ से 3 और महागठबंधन की तरफ से भी 3 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनका अब राज्यसभा जाना पक्का हो गया है लेकिन अंदरखाने की बात ये है कि बीजेपी के एक बड़े नेता भी राज्यसभा जाना चाहते थे और उन्होंने नामांकन-पत्र भी खरीद लिया था, जिसकी सूचना नीतीश कुमार को लग गयी थी लिहाजा राज्यसभा चुनाव का गणित और समीकरण न बिगड़े इसलिए नीतीश कुमार ने साफ इनकार कर दिया।

सत्ता पलटने के बाद नीतीश कुमार द्वारा लालू प्रसाद की इसतरह बड़ी मदद करने के बाद आरजेडी सुप्रीमो सामने आए और विधानसभा पोर्टिको में ही मुलाकात कर एक बड़ा संदेश दे दिया कि मुश्किल घड़ी में दोनों एक-दूसरे के मददगार थे...हैं और रहेंगे।

मुश्किल परिस्थितियों में लालू प्रसाद ने की थी मुलाकात

आपको बता दें कि इससे पहले भी आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने मुश्किल में फंसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मदद की थी। बात 2014 के राज्यसभा चुनाव के दौरान की है, जब नीतीश की पार्टी के बगावती रूख अख्तियार करने वाले 2 नेताओं की धार को आरजेडी सुप्रीमो ने कुंद किया था और जेडीयू के दो उम्मीदवारों को जीत दिलाने में मदद की थी। इस तरह से लालू प्रसाद ने उसवक्त नीतीश कुमार की मदद की थी। लालू प्रसाद की इस दरियादिली के बाद दोनों के बीच तल्ख रिश्ते फिर से सुधरने लगे थे।

तब नीतीश कुमार के सियासी संकट के बीच मददगार बनकर पहुंचे लालू प्रसाद ने उन्हें सहारा दिया था लिहाजा इसबार राज्यसभा चुनाव का समीकरण न बिगड़े, इसे देखते हुए नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद की बड़ी मदद की है।

तेजस्वी ने भी दिखाया था सॉफ्ट कॉर्नर

इससे पहले भी बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव ने जोरदार भाषण दिया था लेकिन उस दौरान भी वे नीतीश कुमार के प्रति सॉफ्ट दिखे थे। तेजस्वी यादव लगातार नीतीश कुमार के प्रति सम्मान जता रहे थे। कई बार अपने शब्दों में सीएम नीतीश के लिए उन्होंने अपना प्यार और आभार भी जताने की कोशिश की। उन्होंने बेहद ही संयमित तरीके से नीतीश कुमार पर प्रहार किया था।

बिहार विधानसभा में तेजस्वी 40 मिनट बोले थे। इस दौरान तेजस्वी के संबोधन में नाराजगी थी, तल्खी थी लेकिन गुस्से का भाव चेहरे पर नहीं था। जो लोगों को दिख रहा था, वह अनुशासन और संयम और आगामी राजनीति के लिए प्लॉट तैयार करने का भरोसा। तेजस्वी अपने भाषण के दौरान काफी मैच्योर दिखे थे।

गौरतलब है कि बिहार की सियासत के दोनों धुरंधर एक ही सियासी पाठशाला के छात्र हैं लिहाजा सत्ता आती है और जाती है लेकिन पब्लिक डोमेन में ये दिखना नहीं चाहिए कि सत्ता पलटने के बाद दोनों के बीच खटास है इसलिए दोनों सियासी खिलाड़ियों ने निजी रिश्तों को तवज्जो दी है।