BIHAR POLITICS में हीट वेव : आखिर मांझी ने क्यों दिया नीतीश-तेजस्वी को झोरदार झटका..जानिए INSIDE STORY
PATNA:-अगर लोकसभा चुनाव में 5 सीट चाहिए तो आप अपनी पार्टी हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा(HAM) का जनता दल यूनाइटेड(JDU)में विलय कर दीजिए,पर पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने जेडीयू को करारा जवाब देते हुए कहा कि हम 5 सीट पर चुनाव भी लड़ेगें और अपनी पार्टी को जिंदा भी रखेंगे.. अगर आपका महागठबंधन हमें ये अवसर नहीं देगा तो हमें आपका साथ छोड़ने में भी गुरेज नहीं हैं और फिर जीतनराम मांझी ने नीतीश-तेजस्वी को जोरदार झटका देते हुए अपने बेटे संतोष कुमार सुमन उर्फ संतोष मांझी से इस्तीफा दिलवा दिया..
प्रथम ग्रासे मक्षिका पात:
मौके पर चौका मारने वाले जीतनराम मांझी के इस फैसले से देशभर के विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने के लिए प्रयास कर रहे नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी को असहज कर दिया है.यही वजह है कि संतोष मांझी के इस्तीफे के बाद सीएम आवास में हाईलेबल मीटिंग बुलाई गई जिसमें सीएम नीतीश कुमार एवं डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ ही कैबिनेट के बड़े मंत्री और जेडीयू के बड़े नेता शामिल हुए.विपक्षी एकता की मुहिम को लेकर आयोजित 23 जून की महाबैठक से पहले जीतनराम मांझी का यह कदम नीतीश कुमार के लिए "प्रथम ग्रासे मक्षिका पात:" की तरह है...नीतीश-तेजस्वी इसकी काट ढ़ूंढ़ने में लगें हैं तो विपक्षी भारतीय जनता पार्टी(BJP)के नेता बम बम करते नजर आ रहें हैं.बिहार बीजेपी के नेता बयान दे रहें हैं कि जो नीतीश कुमार अपने सहयोगी को साथ नहीं रख पा रहें हैं वो देश की विपक्षी नेताओं को क्या एकजुट करेंगे..उनकी विपक्षी एकता की मुहिम भी आने वाले दिनों में फुस्स होने वाली है.
प्रेशर पॉलिटिक्स के मास्टर
बतातें चलें कि पूर्व सीएम और हम पार्टी के संरक्षक जीतनराम मांझी दबाव की राजनीति के मास्टर माने जातें हैं...और वे ये काम समय समय पर करते रहें हैं.वे जिस गठबंधन में रहतें हैं..उसी को अपने बयानो से असहज करते रहें हैं.पिछले काफी दिनों से वे सीएम नीतीश की तारीफ करते हुए उनके ही कई फैसले पर सवाल उठाते रहें हैं.पिछले दिनों उन्हौने नीतीश के साथ ही पीएम मोदी की तारीफ की थी,जिसके बाद यह अंदाजा लगने लगा था कि मांझी के मन में कुछ चल चल रहा है..और आज उनके मन की बात सामने भी आ गई.उऩ्हौने महागठबंधन छोड़ने का फैसला कर लिया है.इसका मतलब है कि वे बीजेपी के साथ लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे ओर मोदी के नाम पर वोट मांगेंगे,,हलांकि अभी जीतनमांझी के बेटे सह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष मांझी ने अपनी पार्टी को मजबूत करते हुए एकला चलो की नीति पर आगे बढने की बात कही है,पर देर-सबेर उपेन्द्र कुशवाहा की तरह जीतनराम मांझी का भी बीजेपी खेमे में जाना तय है.
बीजेपी ने भी मांझी पर पार्टी के मर्जर का बनाया था दबाव
जीतनराम मांझी के आज के कदम से बीजेपी के नेता खुश हैं और उन्हें लगता है कि उपेन्द्र कुशवाहा,चिराग पासवान और जीतनराम मांझी का साथ लेकर वे जेडीयू की कमी की पूरा कर सकतें हैं.पर बीजेपी के नेता को ये भी मालूम है कि जीतनराम मांझी कब क्या कदम उठायें..ये कहना और समझना काफी मुश्किल है.कांग्रेस से राजनीतिक की शुरूआत करने वाले जीतनराम मांझी आरजेडी एवं जेडीयू में रहने के साथ ही बीजेपी के साथ राजनीति कर चुकें हैं.. पिछले टर्म में भी जीतनराम मांझी ने खुद और अपनी पार्टी के लिए बीजेपी के समक्ष कई तरह की मांग रखी थी,जिसमें खुद के लिए केन्द्र में जगह और बेटे के लिए एमएलसी का पद मांगा था, जिसके बाद बीजेपी ने मांग पूरी कराने के लिए उन्हें अपनी पार्टी का विलय बीजेपी में करने की शर्त रखी था,जिस तरह की शर्त अभी जेडीयू रख रही थी.उस समय बीजेपी की शर्त से नाराज होकर उन्हौने एनडीए से नाता तोड़ लिया था और फिर आरजेडी के साथ आ गए थे.
RJD ने संतोष मांझी को बनाया था MLC
आरजेडी ने उनके बेटे को संतोष कुमार सुमन को एमएलसी बना दिया था और बाद में 2020 में विधानसभा चुनाव में जीतनराम मांझी ज्यादा सीटों देने का दबाव बनाने लगे थे,पर तेजस्वी यादव ने मनमानी सीट देने से मना किया तो वे विधानसभा चुनान से ठीक पहले नीतीश कुमार के साथ एनडीए में आ गए.. एनडीए सरकार में उनके बेटे संतोष मांझी को एसससी एसटी विभाग के साथ ही लघु जल संसाधन विभाग भी मिला था,पर सीएम नीतीश कुमार के बीजेपी से नाता तोड़ कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाए जाने के बाद उनके बेटे संतोष मांझी के पास सिर्फ एससी.एसटी मंत्रालय ही रह गया था जिसको लेकर उन्हौने सार्वजनिक रूप से नराजगी जाहिर की थी.
बड़ा सवाल .. बीजेपी 5 सीट मांझी को देगी
अब जीतनराम मांझी और उनकी पार्टी देर-सबेर महागठबंधन को छोड़कर बीजेपी के साथ जाएगी..अब देखना कि बीजेपी उऩ्हें कितनी सीटें लोकसभा चुनाव में देती है. 2024 को लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की भी रणनीति है कि वे 40 से में 30 सीटें खुद लड़े और बाकी 10 सीट सहयोगियों के लिए छोड़े...अगर बीजेपी ऐसा करती है तो मांझी को 5 सीट मिले..इसकी संभावना कम ही है..क्योंकि बीजेपी के चिराग पासवान,उनके चाचा पशुपति कुमार और उपेन्द्र कुशवाहा के लिए भी सीटें छोड़नी है.. पर राजनीति है..चलती रहती है .. और मांझी इस तरह की दवाब की राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जातें हैं.इस बार उनका दबाव कितना कारगर होता है..ये आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा..