कर्नाटक चुनाव परिणाम .. : क्या कांग्रेस के लिये वरदान .. BJP के लिये 2024 भी नहीं आसान !....


DESK:- दक्षिण का द्वार माने जाने वाले कर्नाटक विधान सभा का चुनाव परिणाम आ चुका है.करीब 34 वर्षो के बाद पहली बार किसी पार्टी ने 42.9 फीसदी वोट लाकर 136 सीटें जीती है.224 सीटों की हैसियत वाले कर्नाटक विधान सभा में कांग्रेस(CONGRESS) को पूर्ण बहुमत मिल गया है और वह 136 सीट जीतने में कामयाब रही है.जबकि बीजेपी(BJP) 65 और जे डी एस (JDS) ने 19 सीटें जीती है.
अगर 2023 के विधान सभा चुनाव के परिणाम की तुलना हम 2018 से करें तो इस चुनाव में कांग्रेस को 55 सीटें अधिक मिली है तो बीजेपी को 39 सीटों का और जेडीएस को करीब 19 सीटों का नुकसान हुआ है.
लेकिन सबसे बड़ा संकेत इस चुनाव परिणाम ने जो दिया है वह बीजेपी के लिये ज्यादा चिंतित करने वाली है.यानि बीजेपी की राज्य से सत्ता तो गयी ही है 2024 के लोकसभा चुनाव के लिये भी बड़ा झटका लगा है.
28 लोकसभा की हैसियत वाले कर्नाटक में 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी जहां 25 सीटें जीती थी वही कांग्रेस और जेडीएस को एक एक सीटें मिली थी और एक निर्दलीय ने बाजी मारी थी. लेकिन विधान सभा चुनाव परिणाम की लोकसभा क्षेत्र बार समीक्षा करें तो 25 में से 20 लोकसभा सीटों पर बीजेपी की हार हुई है और 25 लोकसभा की जो वर्तमान सीटों पर कब्जा है उसमें 21 सीटो पर हार का मुह देखना पड़ सकता है जबकि कांग्रेस को 20 से अधिक सीटों पर फायदा हो सकता है.
करीब 130 लोकसभा की हैसियत वाले दक्षिण के राज्यो में जहां पहली बार बीजेपी को कर्नाटक ने ही राजनीतिक हैसियत दिलायी तो कांग्रेस के दुर्दिन में भी कर्नाटक ने ही उसे सत्ता में वापसी की राह दिखायी है. यानि कर्नाटक कांग्रेस के लिये संजीवनी साबित होती रही है.
शायद यही वजह रही है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश जो कर्नाटक के चुनाव प्रभारी है इस जीत को खासकर चिकमगलूर लोकसभा के अंतर्गत आने वाले सभी 5 विधान सभा सीटो पर कांग्रेस के उम्मादवारों की जीत को ऐतिहासिक माना है..
जयराम रमेश ने कहा है कि चिकमगलूर में बीजेपी का गढ़ बन गया था जिसमें सेंध लगाना काफी मुश्किल थी . हलांकि चिकमगलूर की लोकसभा सीट तब कांग्रेस के लिये वरदान साबित हुई थी जब 1975 में इमरजेसी के बाद 1977 की जनता पार्टी लहर में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जब उत्तर प्रदेश के रायबरेली से चुनाव हार गयी थी तब 1978 में चिकमगलूर में हुए उप चुनाव में जीतकर 1980 में फिर केन्द्र की सत्ता में वापसी की थी.
वहीं 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद ऱाजनीति से खुद को दूर रखने वाली सोनिया गांधी भी जब 1998 में कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाला तब 1999 में कर्नाटक के बेल्लारी से बीजेपी की उम्मीदवार सुषमा स्वराज को हराया था. हालांकि सोनिया गांधी इस चुनाव में रायबरेली सीट पर भी जीत हासिल की थी और बाद में बेल्लारी सीट से इस्तीफा दे दिया और रायबरेली को अपने जिम्मे रखा था .बाद में सोनिया गांधी यूपीए की अध्यक्ष बनी और 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व में मनमोहन सिंह की सरकार बनी जिसने 2014 तक यानि 10 वर्षो तक शासऩ किया.
2014 के बाद कांग्रेस पिछले 9 वर्षो में दो बार लोकसभा और कई राज्यों में चुनाव हार चुकी है. लेकिन हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक की जीत से कांग्रेस के नेताओं को एक बार फिर उम्मीद जगी है कि उनका उद्धार हो सकता है. .इस लिये इस जीत के अलग मायने हैं.यानि बीजेपी के लिये खतरा तो कांग्रेस के लिये शुभ संकेत .
अशोक मिश्र, कशिश न्यूज .