आजादी के बाद से नहीं देखी सड़क ! : 'अच्छे दिन' की तलाश में ये गांव, 'पक्की सड़क कैसी होती है पता नहीं'
सिमडेगा : सड़कें गांव की दर्पण होती है और उसी से जिले का विकास की गति का अनुमान लगाया जा सकता है. लेकिन अगर किसी गांव में सड़क ना हो तो उस गांव की बदहाली को कौन बयां कर सकता है. ऐसा ही गांव है सिमडेगा में.. जहां दिया तले अंधेरा. यह कहावत चरितार्थ होता नजर आ रहा है.
सिमडेगा का कोलियादामर गांव, पंचायत का नाम है बड़ाबरपानी. कोलियादामर गांव की दूरी सिमडेगा समाहरणालय से महज 3 किलोमिटर है. यह गांव आजादी के बाद से लेकर आज तक कई मूलभूत सुविधाओं का दंश झेला. गांव में धीरे-धीरे बिजली पानी तो पहुंच गई. लेकिन आज तक इस गांव की सड़क नहीं बनी. इसकी वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
कोलियादामर गांव के लोगों का कहना है कि बारिश के दिनों में गांव टापू बन जाता है. यहां से लोगों के आवागमन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बताया गया कि महज 3 किलोमीटर में मुख्यालय पहुंचने की बजाय 12-13 किलोमीटर घूम कर जाना पड़ता है।
सिमडेगा से रविकांत मिश्रा की रिपोर्ट