साहेबगंज स्थित गंगा नदी में मिली कैटफिश मछली : मछुआरों ने मछली को पहुंचाया डीएफओ के पास

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साहेबगंज : खबर साहेबगंज की है जहां गंगा नदी में कैटफिश प्रजाति की एक मछली मिली है मछली मिलने से मछुआरों में हड़कंप मच गई. इसके बाद मछुआरों ने इसकी सूचना गंगा प्रहरी को दे दी है.

आपको बता दें कि यह मछली देसी नहीं बल्कि विदेशी है और अमेरिका की अमेजन नदी में पाई जाती है. यही नहींयह अपने से छोटी मछलियों व अन्य जलीय जीवों को भी खा जाती है. जो मछुआरों की अजीविका के लिए एक बड़ा खतरा है. साथ ही यह मछली गंगा की पारिस्थितिकी के लिए बेहद खतरनाक मानी जा रही है. मांसाहारी प्रवृत्ति की इस मछली का जंतु वैज्ञानिक नाम हाइपोस्टोमस प्लोकोस्टोमस है. विदेशों में इसे प्लैको नाम से भी जाना जाता है.

01 मार्च को महादेवगंज गोरी टोला छुटकी नदी में गांव के पास गंगा में यह मछली मछुआरों के जाल में फंस गई. इस अजीबोगरीब मछली को देख कर मछुआरों ने इसकी सूचना गंगा प्रहरी को दी. इसके बाद उसे जीवित अवस्था में डीएफओ मनीष तिवारी के पास पहुंचाया.

DFOमनीष तिवारी ने बताया कि साहेबगंज के महादेवगंज स्थित गंगा में एक मछली मिली है जिसका फोटो और डिटेल्स वैज्ञानिक को भेजा है. वहां से जो यह बताया गया है कि यह शक्कर कैप्स माउथ कैटफिश मछली है. यह इस गंगा का प्राणी नहीं है.

इस मछली को इस गंगा में खाने वाला कोई और मछली भी नहीं है. इसका कारण यह है कि यह मछली बहुत ही कटीला है और इसके ऊपरी हिस्से में इसमें बहुत कांटा है. इसके कारण यह तेजी से फैलेगा और इसके पोपुलेशन को कंट्रोल नहीं किया जा सकता है. गंगा में पाए जाने वाले डॉल्फिन तथा कछुए को डायरेक्टली नुकसान नहीं पहुंचा सकता क्योंकि यह छोटी है. लेकिन इनडायरेक्ट नुकसान पहुंचा सकती है.

यह अपने से छोटी मछलियों ही नहीं बल्कि अन्य जलीय जीवों को भी खा जाती हैं. देसी मछलियों को प्रजनन के लिए विशेष परिस्थिति की जरूरत होती है, लेकिन हाइपोस्टोमस प्लोकोस्टोमस के साथ ऐसा नहीं है. ये मछलियां जल में किसी भी परिस्थिति में और कहीं भी प्रजनन कर सकती हैं. मछुआरों से अपील भी किया है कि अगर इस तरह की मछली गंगा नदी में पाई जाती है या मिलती है तो उसे तुरंत गंगा से बाहर निकाल दिया जाए ताकि पहले से रह रहे मछली को हानि न पहुंचा सके.


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