देवघर में नीलकंठ महादेव मंदिर : विराजमान हैं राजा दक्ष का सिर काटनेवाले भैरव, इनकी पूजा से अवरुद्ध कार्य वायु वेग से होगा पूरा
देवघर के बाबा मंदिर प्रांगण में मुख्य मंदिर सहित 22 मंदिर स्थापित है. इन्ही में से एक है नीलकंठ महादेव मंदिर. त्रिपुर सुंदरी जो पार्वती मंदिर के नाम से जाना जाता है, उसके ठीक बगल में स्थित है नीलकंठ मंदिर. जहां नीलकंठ महादेव के नाम से भैरव स्थापित है. यहां घोड़े पर सवार और हाथ मे त्रिशूल लिए नीलकंठ महादेव का विग्रह है. जानकार की माने तो इनकी पूजा करने से सभी अवरुद्ध कार्य वायु वेग से भी तेज गति से पूर्ण होती है।
शिव के जटा से उत्पन्न हुआ है नीलकंठ नामक भैरव
नीलकंठ एक ऐसा सीधी भैरव है जिसकी पूजा अर्चना करने से जो चाहे वह मिल जाता है. विशुद्ध तंत्र मार्ग से इनकी पूजा होती है. देवघर के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित पंडित दुर्लभ मिश्रा बताते हैं कि... असल में कथा यह है कि राजा दक्ष ने एक महायज्ञ का आयोजन किया जिसमें उन्होंने सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया लेकिन अपनी पुत्री सती और जामाता भगवान शिव को नहीं.सती अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में जाने के लिए उत्सुक थी जिसके चलते भगवान शिव ने उन्हें अपने गणों के साथ वहां जाने की अनुमति दे दी. परन्तु वहां जाकर अपने पति के लिए यज्ञ भाग न देखकर उन्होंने आपत्ति जताई और अपने पिता दक्ष के मुख से अपने पति के लिए अपमानजनक बातें सुनकर स्वयं को यज्ञ की अग्नि में भस्म कर डाला. इससे गुस्साए भोलेनाथ ने अपने जटा से नीलकंठ नामक भैरव को उत्पन्न किया.
नीलकंठ नामक भैरव ने राजा दक्ष का काटा का सिर
नीलकंठ के बारे में जानकर बताते हैं कि वह बहुत क्रूर हैं जिसे क्रोधित देवता के रूप में माना जाता है. सनातन संस्कृति में दंडनात्मक और मफात्मक दोनों मिलता है. वैदिक धर्म से पूजा में माफी मिल जाती है लेकिन तंत्र विद्या में त्रुटि होने पर दंड मिलता है. यही कारण है कि जब राजा दक्ष यज्ञ कर रहे थे तब उस यज्ञ को तहस नहस करने के लिए भोलेनाथ ने नीलकंठ भैरव को भेजा था. घोड़े पर सवार हाथ मे त्रिशूल लिए नीलकंठ भैरव राजा दक्ष के यहाँ वायु वेग से भी तेज गति से पहुँच कर यज्ञ को तहस नहस कर दिया. राजा दक्ष का सिर काट डाला. उस समय भोलेनाथ के इस भैरव की शक्ति के सामने न विष्णु और न ही ब्रह्मा ठहरे थे. दक्ष को मुक्ति मिलने के बाद यह भैरव वापस शिव के पास चला गया।
अवरुद्ध कार्य त्वरित कराने के लिए इस तरफ से प्रसन्न कीजिये नीलकंठ को
अगर आप का कोई भी कार्य जो सभी मन्नतों के बाबजूद पूर्ण नहीं हो रहा है तो आप बाबाधाम के इस मंदिर में अवश्य एक बार पूजा अर्चना कीजिये. आपके लंबित कार्य वायु वेग से भी जल्दी पूरी होगी. नीलकंठ भैरव मंदिर जो नीलकंठ महादेव के नाम से बाबाधाम में जाना जाता है इनकी पूजा कीजिये. आपके सभी कार्य पूर्ण होंगे. यूं तो बाबा बैद्यनाथ के धाम में सभी शक्ति और बलवान भैरव स्थापित हैं. इस मंदिर में नौ ग्रह की पूजा अर्चना नहीं होती है. यहाँ अगर आप नीलकंठ महादेव की पूजा कर लेंगे तो आपके सभी ग्रह भी शांत हो सकते हैं. क्रूर देवता के रूप में माने जाने वाले नीलकंठ को आप सिर्फ जल,चावल,पुष्प अर्पित कर इनसे अपना अवरुद्ध कार्य करवा सकते हैं. पुष्प में नीला और कनैल यानी घंटी फूल इनका सबसे प्रिये है.
बाबाधाम में मुख्य मंदिर सहित 22 मंदिर है, हर का अपना महत्व है
यूं तो बाबाधाम में मुख्य मंदिर सहित 22 मंदिर है जिसका अपना अपना महत्व है. लेकिन नीलकंठ महादेव मंदिर का अपना अलग ही महत्व है. इस मंदिर में आपको शनि,राह, केतु का भी विग्रह मिलेगा. जिनकी पूजा अर्चना से आपके सभी ग्रह शांत हो सकते हैं. बाबाधाम की यही विशेषता इसे अन्य पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंगों से अलग पहचान होती है. तभी तो यहाँ सालों भर देश विदेश से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।