Bihar Politics : सांसद पप्पू यादव ने खाद की कालाबाजारी पर जताई चिंता, केंद्र सरकार से की सख्त कार्रवाई की मांग

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 MP Pappu Yadav expressed concern over black marketing of fertilizers  MP Pappu Yadav expressed concern over black marketing of fertilizers

NEW DELHI :सांसद राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव ने आज संसद में नियम 377 के तहत किसानों को हो रही खाद संकट की समस्या को उठाते हुए सरकार से तुरंत कदम उठाने की अपील की। उन्होंने गेहूं और दलहन की बुआई के लिए आवश्यक डीएपी और यूरिया की कमी, और इसके चलते हो रही कालाबाजारी पर गहरी चिंता व्यक्त की।

सांसद पप्पू यादव ने कहा कि सरकारी खाद-बीज केंद्रों पर किसानों को अनुदानित दरों पर डीएपी और यूरिया पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को खुले बाजार से ऊंचे दामों पर खाद खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

सरकारी दर पर डीएपी खाद ₹1350 प्रति बोरी है, लेकिन बाजार में यह ₹1800 से ₹2000 प्रति बोरी तक बेची जा रही है। नैनो यूरिया, जिसका दाम सरकारी दर पर ₹266 है, वह खुले बाजार में ₹350- ₹400 तक बिक रही है। यूरिया की कीमत स्थिर है, लेकिन इसका वजन 50 किलोग्राम से घटाकर 45 किलोग्राम कर दिया गया है।

सांसद ने आरोप लगाया कि सरकारी दुकानों पर खाद की किल्लत का फायदा उठाकर कालाबाजारी की जा रही है। दुकानदार किसानों को डीएपी देने के साथ-साथ जिंक और नैनो यूरिया खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं। वहीं, कुछ जगहों पर मिक्बर खाद को डीएपी बताकर अधिक दामों पर बेचा जा रहा है।

सांसद ने कहा कि खाद की कमी और कालाबाजारी के चलते किसानों की गेहूं और दलहन की बुआई समय पर नहीं हो पा रही है। इससे फसल उत्पादन प्रभावित होने का खतरा है, जिससे आने वाले समय में खाद्य सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है इसलिए हम सरकार से खाद की आपूर्ति सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं। सरकारी अनुदानित दरों पर समय पर खाद उपलब्ध कराई जाए। कालाबाजारी करने वाले दोषी दुकानदारों पर कार्रवाई करते हुए उनकी लाइसेंस रद्द की जाए। जांच और निगरानी बढ़ा कर खाद वितरण प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।

सांसद पप्पू यादव ने कहा कि किसानों की मेहनत से ही देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है। ऐसे में सरकार का कर्तव्य है कि वे समय पर खाद उपलब्ध कराकर किसानों को राहत दें और कालाबाजारी को रोकें। उन्होंने कहा कि अगर यह समस्या तुरंत हल नहीं की गई तो किसानों की आर्थिक स्थिति और खराब हो सकती है।