Jharkhand News : मेसर्स श्री बालाजी इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग लिमिटेड विरोध के बीच लोक सुनवाई को मिली हरी झंडी
चाईबासा।मेसर्स श्री बालाजी इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग लिमिटेड की वर्तमान 1,20,000 टन प्रति वर्ष स्पंज आयरन उत्पादन क्षमता के साथ 16,200 टन प्रति वर्ष सिलिको मैगनीज के उत्पादन के लिये 1×9 एमवीए सबमर्ज्ड आर्क फार्नेस और कैप्टिव पावर प्लांट 12 मेगावाट की स्थापना का प्रस्तावना हेतु गांवगुटू गाँव में पर्यावरणीय लोक सुनवाई स्वीकृति हेतु आयोजित ग्रामीणों के भारी विरोध और विभिन्न समस्याओं के सशर्त स्वीकृति प्रदान किया। ग्रामीणों ने कंपनी पर कई गंभीर और संगीन आरोप लगाए और लोक जनसुनवाई में समस्याओं की झड़ी लगा दी।
कंपनी पर वादा खिलाफी का आरोप भी लगाया साथी वर्षों से पेयजल, सड़क,स्वास्थ्य,प्रदूषण आदि विभिन्न समस्या समस्याओं को लेकर विरोध भी जताया। लोक जनसुनवाई पूर्व की तरह पूर्ण नियोजित और निर्धारित प्रायोजित थी। और इसमें उन्हीं लोगों को बुलाया गया था जो कंपनी के समर्थन और पक्ष में बोले इसके बावजूद कुछ प्रभावित हो और ग्रामीणों ने खुलकर अपनी समस्याओं को रखा। जिसका उपस्थित अधिकारियों और कंपनी प्रबंधन ने समाधान का आश्वासन दिया।
यह लोक सुनवाई झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की वैज्ञानिक अर्पिता मिश्रा, एसडीओ मुकेश मछुवा क्षेत्रीय पदाधिकारी राम प्रवेश कुमार की मौजूदगी में संपन्न हुआ। सबसे पहले कंपनी के इकाई प्रतिनिधि अमन वर्मा ने कंपनी की प्रस्तावित योजनाओं के बारे में विस्तार से रखा। उपस्थित ग्रामीणों ने कहा कि कंपनी प्रबंधन इस प्लांट से होने वाली प्रदूषण को रोकने हेतु बेहतर प्रयास करे, प्रभावित गांवों के ग्रामीण बेरोजगारों को कंपनी में स्थायी नौकरी के साथ-साथ अन्य रोजगार की व्यवस्था, शुद्ध पेयजल, चिकित्सा, गुणवता युक्त तकनीकी व उच्च शिक्षा, कृषि का बेहतर सुविधा, एम्बुलेंस, कंपनी गेट के सामने से गुजरने वाली मुख्य ग्रामीण सड़क का पक्कीकरण, जल जमाव से मुक्ति, सामाजिक व सांस्कृतिक विकास हेतु कार्य करने आदि की मांग रखी।
कंपनी प्रबंधन को जिसने भी जमीन प्रारम्भ में दिया है उन परिवारों को स्थायी नौकरी व तमाम प्रकार के लाभ दिया जाये। ग्रामीणों ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में कंपनी अब तक बेहतर कार्य की है, आगे और बेहतर करने की उम्मीद करते हैं। कंपनी घटते भूमिगत जल श्रोत की समस्या को दूर करे, स्कूल-कौलेज जाने हेतु छात्र-छात्राओं को स्कूल वाहन की व्यवस्था हो। कंपनी के एमडी के के कनोडिया ने जनता के सवालों का जबाब देते हुये कहा कि प्लांट ने निकलने वाला गैस और चारकोल पावर प्लांट में जायेगा जिससे प्रदूषण का स्तर काफी कम हो जायेगा। प्रदूषण नियंत्रण हेतु विशेष तकनीक का उपकरण भी लगाया जायेगा जिससे प्रदूषण कम होंगे। कंपनी में 242 श्रमिक हैं जिसमें लोकल 160 ग्रामीण व झारखण्ड मिलाकर 172 लोग हैं।
हम एक सप्ताह में एम्बुलेंस देंगे लेकिन आप ग्रामीण उसके संचालन हेतु समिति बनाकर दे। समिति हीं संचालन करेगी। हमें किसी भी ग्रामीण ने 3 अथवा 6 एकड़ जमीन नहीं दिया है। इस प्रोजेक्ट में किसी ग्रामीण की जमीन हम नहीं ले रहे हैं। जल जमाव को खत्म करने हेतु हमने दो नाला बनाया गया है। अगर कहीं जलजमाव या डम्प है तो उस समस्या को दूर करेंगे।
सुख-चैन मोटर से देवी स्थान तक सड़क सरकार बनाने की बात कही है। राजाबांधा का तालाब का निर्माण एक सप्ताह के अंदर प्रारम्भ कराया जायेगा। कंपनी के अंदर मात्र 3 डीप बोरिंग है। सरकार को हम पानी के लिये 3 वर्षों से पैसा देते हैं लेकिन अभी तक पानी हमें नहीं मिला, लेकिन जल्द मिलने की संभावना है। अगर इएसपी मशीन प्लांट में नहीं चल रहा है तो उसकी जानकारी हमें तुरंत दें, हम विभागीय पदाधिकारी को तुरंत निलम्बित करेंगे। 12 स्मार्ट क्लास अलग-अलग स्कूलों व कालेज में दिये हैं, और स्कूल में जरुरत होगी तो उसे भी हम देंगे। लाईट हम देंगे। स्कूल बस सर्वे कराकर हम देने की कोशिश करेंगे। 2004 में हमारा एक अकेला प्लांट लगा, पडो़सी राज्य में 4 प्लांट से आज लगभग 30 प्लांट लग गये। ऐसा प्रयास झारखण्ड सरकार व प्रशासन को सोचना होगा, क्योंकि झारखण्ड के इस क्षेत्र में लौह अयस्क का अकूत भंडार है।
अगर यहाँ और प्लांट लगेगा तो बेरोजगारी दूर होगी और क्षेत्र का विकास होगा। एक प्लांट होने की वजह से हमारे उपर सभी प्रकार का लोड बढे़ रहता है। सभी स्कूलों में शौचालय निर्माण कराया जायेगा। हमारा प्लांट काफी छोटा है। सेल, टाटा स्टील जैसी बडी़ संस्थानों जैसी सुविधा हमारे लिये देना संभव नहीं हो पायेगा। इस दौरान प्लांट के प्रबंधक सुरेश डोलिया, सीएसआर पदाधिकारी अजीत श्रीवास्तव, प्रमुख पूनम गिलुवा, मुंडा दिगम्बर चातोम्बा, मानकी मुकेश बोबोंगा, पूर्व जीप सदस्य शंभू हाजरा, मुखिया प्यारवती देवगम, मुखिया मंगल सिंह गिलुवा, पूर्व मुखिया राजा तिर्की, पूर्व उप प्रमुख अशोक दास, संजीव राय, सुजीत चातोम्बा आदि सैकड़ों मौजूद थे।