बिहार के अस्‍पताल की दुर्दशा : मोबाइल टॉर्च की रोशनी में मरीज के सिर में लगाए गये टांके, बाहर अटकी रही परिजनों की सांसें

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 In Nawada stitches were placed on the patient's head in the light of mobile torch.  In Nawada stitches were placed on the patient's head in the light of mobile torch.

NAWADA : नवादा अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड का इन दिनों बुरा हाल है। यहां बिजली की आंख मिचौली से मरीज अक्‍सर परेशान रहते हैं। हद तो तब हो गयी, जब बिजली जाने से सदर अस्पताल में कार्यरत परिचारी ने मोबाइल टॉर्च की रोशनी में जख्मी व्यक्ति के सिर में टांके लगाए।

बिहार के अस्‍पताल की दुर्दशा

इस दौरान करीब आधे घंटे तक सदर अस्पताल में अंधेरा छाया रहा। फिर क्या था, आखिरकार सदर अस्पताल में कार्यरत परिचारी को मरीजों का इलाज मजबूरन मोबाइल की रोशनी में ही करना पड़ा। इस दौरान मरीज के परिजनों की सांसें अटकी रहीं।

बता दें कि सदर अस्पताल में ड्रेसर और नर्स की जगह परिचारी जख्मी मरीजों को टांका लगा रहे हैं। मरीज के परिजन और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता इसे लेकर अस्पताल प्रबंधन पर सवाल उठा रहे हैं।

मोबाइल की रोशनी में परिचारी ने किया स्टिच

बताया जाता है कि सुबह मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बेलदारी गांव में आपसी विवाद में दो पक्ष आपस में भिड़ गए थे, जहां दोनों पक्ष से कई लोग घायल हो गए, जिसके बाद डायल 112 की पुलिस ने जख्मी को मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बेलदरिया गांव निवासी इंद्र देव यादव को सदर अस्पताल में भर्ती कराया।

इस बीच इमरजेंसी वार्ड में कार्यरत परिचारी द्वारा जख्मी व्यक्ति के सिर में टांके लगाए जा रहे थे, तभी बिजली गुल हो गई। पहले तो कुछ देर बिजली आने का इंतजार किया गया। इसके बाद भी जब बिजली नहीं आयी तो मरीज के परिजन ने मोबाइल के टॉर्च से रोशनी दी। इसके बाद परिचारी ने उसी रोशनी में इलाज किया।

अंधेरे के बीच सिर में स्टिच देने से स्वजन में कुछ देर के लिए बेचैनी छाई रही। हालांकि, कुछ पल के बाद सभी ने राहत की सांस ली लेकिन बिहार में इसतरह की व्यवस्था पर एक बार फिर से लोगों ने सवाल उठाया है। लोगों का मानना है कि अस्पताल में ड्रेसर और नर्स की जगह परिचारा द्वारा टांका लगाया जा रहा है, जिससे राहत की जगह दर्द लगातार बढ़ता जा रहा है।