हंगामें की भेट चढा बिहार बजट सत्र : 20 दिनों तक चले इस लंबे सत्र में मर्यादायें तार-तार, सरकार ने जबाब का किया 'बायकाट'

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पटना : महामहिम राज्यपाल के द्वारा बिहार विधानमंडल के संयुक्त सदस्यों के संबोधन के साथ 27 फरवरी 2023 को शुुरू हुए बजट सत्र का विधिवत समापन 5 अप्रैल को विपक्ष के हंगामे के साथ ही खत्म हो गया. 20 दिनो तक चले इस बजट सत्र में राज्य के वित्तमंत्री विजय चौधरी ने 28 फरवरी 2023 को जहां बजट पेश किया वहीं राज्यपाल के अभिभाषण पर सदन में चर्चा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा दिये गये धन्यवाद से यह उम्मीद जगी थी कि बजट सत्र के दौरान जनता से जुड़े हुए सवालो पर सत्ता पक्ष और विपक्ष गंभीर होगें. लेकिन हुआ उसका ठीक उल्टा. एक तरफ जहां विपक्ष यानि बीजेपी के सदस्यों ने लगातार प्रश्नकाल को बाधित ही नही किया सदन में गंभीर चर्चा और विभागीय मंत्रियो के द्वारा दिये जा रहे जबाब का भी बायकाट किया.

इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्यों के बीच केवल नोंक झोक ही नही विधान सभा अध्यक्ष यानि आसन को भी कटघरे में खडा करने की कोशिश की गयी.जिसका परिणाम यह हुआ कि बीजेपी विधायक लखेन्द्र पासवान को तीन दिनों के लिये निलंबित भी किया . जिसके विरोध में विपक्षी सदस्यो ने सदन के अंदर और बाहर धरना भी दिया और सदन का वहिष्कार भी किया.हालांकि बाद में बीजेपी सदस्य लखेन्द्र पासवान और भाकपा माले सदस्य सत्यदेव राम के द्वारा खेद प्रकट करने के बाद लखेन्द्र पासवान का निलंबन वापस लिया गया. लेकिन रामनवमी के जुलूस के दौरान सासाराम और बिहार शरीफ में घटी हिंसक घटना और इस बीच केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिहार दौरे के बाद तो लगा कि बीजेपी सदस्यों को संजीवनी मिल गया है. इसका असर सीधा सदन की कार्यवाही पर भी दिखा और इस मामले को लेकर दोनो पक्ष आमने सामने दिखे.

हालांकि हंगामें के बीच ही राज्य सरकार अपना बजट पास कराने और 4 विधेयकों बिहार विनियोग विधेयक 2021 बिहार विनियोग संख्या 2 विधेयक 2023 बिहार नौका घाट बदोबस्ती विधेयक2023 और आधारभूत संरचना विकास सामर्थकारी (एनेबलिंग )(संशोधन विधेयक )2023 को सदन में आसानी से पास कराने में सफल रही. लेकिन सत्र का अंतिम तीन तो सदन पूरी तरह से हंगामें की भेंट चढ गया.हाालंकि सासाराम और नालंदा की घटना के लिये एक दूसरे को जिम्मेवार बतलाने वाले सत्ताधारी और विपक्षी सदस्यों ने एक दूसरे पर जमकर हमला ही नही बोला जहां बीजेपी इस मामले पर मुख्यमंत्री के बयान की मांग सदन के अंदर कर रही थी वहीँ सत्तापक्ष विपक्ष को कटघरे में खड़ा करने के फिराक में थी . यही वजह रही की सत्र के अंतिम दिन जहा विधान सभा अध्यक्ष के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी की गयी वही बीेजेपी सदस्य जीवेश मिश्रा को मार्शल आउट किया गया. लेकिन अंतिम दिन तो सत्तापक्ष की सियासत में विपक्षी सदस्य पूरी तरह से फंसे दिखे. हिंसा की घटना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश के बयान पर अड़ें विपक्षी सदस्यो को पहला झटका तब लगा जब सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले स्व जगजीवन राम की जयंति के अवसर पर मीडिया कर्मियो से विधान सभा परिसर से बाहर बात करते हुए नीतीश ने सासाराम और नालंदा की घटना को प्रायोजित बतलाते हुए इशारो इशारो में बीजेपी के घेरा वही दोषियो का पर्दाफाश करने और उन्हें नही बख्शे जाने का एलान किया. यानि बीजेपी को पहला झटका नीतीश ने सदन से बाहर बयान देकर किया तो जीवेश मिश्रा को मार्शल आउट कराकर दूसरा झटका दिया.

हालांकि भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद विपक्षी सदस्य गैर संरकारी संकल्प के बहाने सदन को चलाने के मूड में थे लेकिन राजद सदस्य भाई वीरेन्द्र के द्वारा गैर सरकारी संकल्प को समिति को भेज दिये जाने की मांग विपक्ष को तीसरा झटका दिया. अंत मे सत्र का समापन राष्ट्रगीत के बदले बिहार गीत से कराये जाने से विधान सभा अध्यक्ष अबध बिहारी चौधरी ने विपक्ष को अंतिम झटका दिया.हालांकि बिहार गीत के सम्मान में जीवेश मिश्रा का अपनी सीट से नही उठना और विधान सभा अध्यक्ष के धन्यवाद ज्ञापन और सत्र के समापन की घोषणा के बाद भी बीजेपी सदस्यों द्वारा वंदे मातरम का गीत गाकर अपने विरोध को प्रदर्शित करना एक नयी परंपरा की शुरूआत भी हुई.

हालांकि 17वीं बिहार विधान सभा के पहले सत्र में ही तात्कालीन विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिंन्हा ने सदन के कार्यवाही की शुरूआत ऱाष्ट्रगान और समापन राष्ट्रगीत से कराने की शुरू आत की थी. लेकिऩ उसी विजय सिंहा को इसका तनिक अनुमान नही था कि कुर्सी बदलने के साथ ही यानि विरोधी दल के नेता बनने के साथ ही उनके द्वारा लागू की गयी परंपरा इस तरह टूटेगी जिसे प्रत्यक्ष गवा वो भी बनेगे. इतना ही नही बजट सत्र के अंतिम दिन सदन नेता यानि मुख्यमंत्री द्वारा समापन भाषण सदन में मौजूद रहने के बावजूद नही देना यह साफ तौर पर दर्शाता है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष सदन के बदले सड़क पर फरियाने के मूड में है और इसके लिये कोई परंपरा या मर्यादा टूटे तो इसकी कोई फिक्र दोनों पक्षो को नही.

अशोक मिश्र , संपादक , कशिश न्यूज , बिहार.