संघर्ष की कहानी : पहले ARMY ,फिर BIHAR POLICE और अब BPSC TEACHER,स्कूली बच्चों को सिखायेंगे अनुशासन

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First ARMY, then BIHAR POLICE and now BPSC TEACHER, will teach discipline to school children. First ARMY, then BIHAR POLICE and now BPSC TEACHER, will teach discipline to school children.

PATNA:-पहले सेना में नौकरी फिर बिहार पुलिस की सेवा और अब BPSC शिक्षक... कैरियर के कई उतार-चढ़ाव से गुजरने वाले सुपौल के राघोपुर के शंकर चौधरी अब बीपीएससी शिक्षक बन गये हैं.उन्हौने उच्च माध्यमिक स्कूल में समाजशास्त्र विषय में सफलता पायी है.उन्हें 13 जनवरी को नियुक्तिपत्र मिल गया है और जल्द ही आवंटित स्कूल में योगदान करेंगे.



यूयं तो बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा में लाखों युवा-युवति सपल हुए हैं और हर अभ्यर्थी के संघर्ष और सफलता की अलग अलग कहानी है पर सुपौल के राघोपुर के शंकर चौधरी की कहानी थोड़ी अलग है.आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आने वाले शंकर चौधरी ने इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद जनवरी 2005 में आर्मी की नौकरी ज्वाइन कर ली. आर्मी का नौकरी लगने के बाद भी पढाई के प्रति उनकी दिलचस्पी कम नहीं हुई और उन्हौने आर्मी द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाब उठाते हुए आगे भी पढ़ाई जारी रखी.आर्मी में नौकरी करते हुए ही उन्होंने बीएड तक की पढ़ाई पूरी की.आर्मीमैन के रूप में 16 साल 4 महीने तक देश की सेवा करने के बाद वे घर लौटे.. 2021 में एसटीईटी परीक्षा पास की. उनका मन शिक्षक बनकर बच्चों के भविष्य को संवारने का था.इसलिए शिक्षक भर्ती के लिए तैयारी करने लगे.इस बीच शिक्षक भर्ती की परीक्षा मे विलंब हुआ तो उन्हौने बिहार पुलिस में डायल 112 ज्वाइन कर लिया.इस बीच उसने बीपीएससी शिक्षक भर्ती की तैयारी जारी रखी और दूसरे चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा मे वे सफल हो गये हैं और उन्हें नियुक्ति पत्र भी मिल गया है.


मीडिया से बात करते हुए शंकर चौधरी ने कहा कि आर्मी मैन के जरिए देश की सेवा करने का मौका मिलता है वहीं व्यक्ति और समाज के विकास के लिए शिक्षा का महत्व सबसे ज्यादा है.बेहतर शिक्षा हासिल कर ही अपना और समाज का विकास किया जा सकता है. इसी सपने को साकार करने के लिए वे एक शिक्षक बने हैं और अपने स्कूल के बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ ही आर्मी के अनुशासन समेत देश प्रेम की भावना जागृत करने पर भी वे ध्यान देंगे.


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