सुधाकर सिंह के बगावती बोल : स्वर्ग का रास्ता PM पद से होकर जाता है..20 लाख नौकरी का आश्वासन 15 लाख की तरह जुमला..
Kaimur:-बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री सह आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ अभी भी गरम हैं और उनके खिलाफ खुलेआम बयान दे रहें हैं.कैमूर में खरवार आदिवासी समाज के अभिनंदन समारोह में शामिल सुधाकर सिंह ने कहा कि कुछ लोगों को लगाता है कि स्वर्ग जाने का रास्ता पीएम पद होकर जाता है.इसलिए ये आजकल पीएम बनने के लिए परेशान हो रहें हैं..वहीं बिहार सरकार के 20 लाख की नौकरी के सवाल पर भी निशाना साधा है और कहा कि जब नौकरी देना ही नहीं हो तो चाहे 10 लाख की घोषणा हो या 20 लाख की ..इससे क्या फर्क पड़ता है.20 लाख नौकरी का आश्वासन भी मोदी सरकार के हर अकाउंट में 15 लाख देने के झांसा जैसा ही है.
सुधाकर सिंह के ये बगावती तेवर अब नीतीश कुमार के साथ ही आरजेडी के खिलाफ भी नजर आने लगा है क्योंकि 10 लाख नौकरी का वादा डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का है.सुधार सिंह ने अपने बयान में कहा कि बिहार की वर्तमान सरकार में दो तरह के लोग हैं। एक मालिक है और बाकी लोग मुख्तार हैं।उन्हौने इस सरकार से इस्तीफा दे दिया है.इसलिए अब मुख्तारी करने की जरूरत नहीं रह गई है.उन्हौने कहा कि इस सरकार में यही नहीं आदिवासी खरवार समाज भी अपनी सामाजिक और आर्थिक पहचान के लिए संघर्ष कर रहा है।
रोजगार के सवाल पर कहा कि बिहार के भीतर 10- 20 लाख लोगों रोजगार और नौकरी देने की बात की जा रही है यह ठीक वैसे ही बात है जैसे केंद्र की सरकार 15 लाख के जुमले सुना रही थी। फिलहाल बिहार सरकार भी 10- 20 लाख लोगों को रोजगार नौकरी देने की जुमला बांट रही है। दरअसल यह सरकार वोट बैंक की राजनीति कर रही है। यही कारण है कि आदिवासी समाज को न सामाजिक पहचान मिल पाया और ना ही आर्थिक। क्योंकि उनको पता है इनकी संख्या कम है। चुनाव के दौरान वोट देने जाएंगे जहां मेरे लठैत इनसे वोट ले लेंगे। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि यह सरकार पुरानी है। पिछले 17 सालों से बिहार में सत्ता पर काबिज है। उसमें हम लोग नए हैं। नए लोगों की कितनी बात सुनी नहीं जाती। किसी से छुपा हुआ नहीं है। जिन मुद्दों को मैंने विधायक नहीं रहने से पहले उठाया था विधायक बनने के बाद वह मुद्दा मेरे साथ है।
विधानसभा के भीतर भी किसानों के सवाल पर मैंने संघर्ष किया जब मंत्री बना तो मेरी बात जो किसानी खेती किसानी से जुड़ी हुई थी नीतीश कुमार नहीं समझ सके। लिहाजा मैंने इस्तीफा दे दिया। अगर हम बदले हुए लोग होते तो 2009 में ही विधायक और मंत्री बन जाते। हमें पता है लोगों को भी पता है काम पर वोट नहीं मिलता। जाति और धर्म और मंच के नारों से जब वोट मिल ही जाता है काम क्या करना है। इस सरकार में एक मंत्री की हैसियत चपरासी के बराबर होती है। मंत्री पूरी तरह से सरकार के रबर स्टैंप होते हैं। हालांकि हमारी पार्टी के नेता तो अच्छे हैं लेकिन बगल वाली पार्टी के नेता अगर अच्छे थे तो हम लोगों से अलग क्यों हुए। खुद 17 सालों से मालिक हैं और सबको मुख्तार बनाए हुए हैं। मुद्दों को लेकर मेरी राजनीति होती रहेगी। सदन से लेकर सड़क तक आवाज उठाता रहूंगा। क्योंकि आप सभी के वोट से मैं 5 साल के लिए विधायक बना हूं और मंत्री नीतीश कुमार बनाए थे। बीच में हट गए।
आदिवासी समाज के संदर्भ में सुधाकर सिंह ने कहा कि पहाड़ से लेकर जमीन तक बसे खरवार समाज आज के दौर में भी सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। लेकिन सरकार को सिर्फ काम के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करनी है। जाति धर्म मजहब और मंच के जरिए नारों से वोट हासिल हो रहा है यही कारण है कि आज की तारीख में किसान का बेटा किसान नहीं बल्कि चपरासी बनना पसंद करता है। पूरे देश में खेती किसानी संकट के दौर से गुजर रही है। किसान हर दिन कमजोर और गरीब होते जा रहा है जिन की बात सुनने वाला कोई नहीं है।