चुनावी साल शुरू.. : मोदी सरकार 9 साल की उपलब्धियां गिनाने निकली..तो विपक्षी दल अपनी शक्ति बढाने में जुटे...
DESK: -केन्द्र की मोदी सरकार (MODI SARKAR) ने 26 मई को अपने कार्यकाल के 9 साल पूरे कर लिये गये हैं ..इसके बाद देश में चुनावी साल शुरू हो गया है,जिसमें पक्ष और विपक्ष दोनो 2024 में होनेवाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में लग गई है.
9 साल पूरे होने के बाद पीएम मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को किया है और 30 मई से 30 जून तक देशभर में महाजनसंपर्क अभियान शुरू कर रही है,जिसमें मोदी सरकार के मंत्री,सांसद,विधायक एवं पार्टी के नेता और कार्यकर्ता घर-घर जाकर 9 साल को बेमिसाल का नारा देते हुए केन्द्र सरकार की उपलब्धियों की जानकारी देंगे...उससे ठीक एक दिन पहले आज 29 मई को मोदी सरकार के मंत्री देश की अलग अलग राज्यों में जाकर प्रेसवार्ता के माध्यम से सरकार की उपलब्धियों को बता रहें हैं.इसके साथ ही मोदी ने उद्घाटन समारोह में साधु संतो के साथ नए संसद भवन में प्रवेश करके उऩ्हौने एक खास मैसेज देने की कोशिश की है.
नए संसद भवन के उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी ने 9 साल की रूपरेखा रखते हुए कहा था कि उनके नौ साल बेमिसाल हैं...इस कार्यकाल में पंचायत भवन से लेकर संसद भवन तक का निर्माण हुआ है.चार करोड़ गरीबों के लिए घर भी बनाया गया है.वहीं देश विश्व की पांचवी अर्थव्यवस्था बन चुकी है.उन्हौने कहा था कि विश्व में अब भारत का सम्मान बढा है..भारत जब आगे बढता है तो दुनियां पीछे -पीछे चलती है.
वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार को 2024 के लोकसभा चुनाव में चुनौती देने के लिए विपक्ष भी कमर कस रहा है...इसके लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार विपक्षी पार्टियों की धुरी बनने की कोशिश कर रहें हैं,इसके लिए सबसे पहले उन्हौने पिछले साल अगस्त माह में बिहार में बीजेपी से नाता तोड़ कर आरजेडी,कांग्रेस एवं वामपंथियों दलों के समूह के साथ सरकार बनाई और उसी दौरान घोषणा की,कि वे केन्द्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम शुरू करेंगे और अगर सभी विपक्षी दल एक मंच पर आतें हैं तो मोदी सरकार को सत्ता से बाहर किया जा सकता है जिसे अभी तक बीजेपी के नेता असंभव बता रहें हैं.
बतातें चलें कि नीतीश कुमार ने विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने के लिए अलग अलग दलों के नेताओं के साथ कई दफे बैठक की है और इसका असर भी दिखने लगा है.पीएम के नए संसद भवन के उद्घाटन का 20 विपक्षी दलों द्वारा बहिष्कार किए जाने को विपक्षी एकता से जोड़कर देखा जा रहा है.अब 12 जून को सभी विपक्षी दल पटना में एक साथ बैठक करने जा रहें हैं जिसमें विपक्षी दलों की एकता और उनमें समन्वय को लेकर चर्चा हो सकती है.इसके लिए किसी सीनियर नेता को संयोजक भी बनाया जा सकता है.इसमें बिहार के सीएम नीतीश कुमार की भी चर्चा हो रही है.
वहीं इस बैठक में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के एक प्रत्याशी के खिलाफ विपक्षी दलों को एक प्रत्याशी देने की योजना पर चर्चा हो सकती है.इस योजना की चर्चा नीतीश के साथ ही यूपी के अखिलेश यादव भी कर चुकें हैं.इसके साथ ही अलग अलग राज्यों में अलग अलग दलों के नेतृत्व करने की योजना पर चर्चा हो सकती है.यानी जिस राज्य में कांग्रेस मजूबत स्थिति में है तो वहां कांग्रेस लीडिंग भूमिका में होगी जबकि जहां क्षेत्रीय दल मजूबत हैं वहां उऩको नेतृत्व करने का मौका दिया जाएगा.इस योजना के तहत कांग्रेस कर्नाटक,राजस्थान,मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ,उत्तराखंड,हरियाणा जैसे राज्यों में लीड करते नजर आयेगी,जबकि यूपी में समाजवादी पार्टी,बिहार में आरजेडी एवं जेडीयू,पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस,तमिलनाडू में डीएमके, झारखंड में जेएमएम,महाराष्ट्र में शिवसेना एवं एनसीपी जैसी राजनीतिक पार्टियां लीड करते नजर आयेगी.अभी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को लेकर कांग्रेस एकमत नहीं हो पा रही है..क्योंकि कांग्रेस और आप दिल्ली एवं पंजाब में खुद को मजूबत मानती है..