देवभाषा पढ़ने वाले छात्रों का टोटा : संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष का कबूलनामा..कागजों पर चल रहे हैं अधिकांश स्कूल..
DARBHANGA:-बिहार के अधिकांश संस्कृत स्कूल सिर्फ कागजों पर चल रही है..और यहां सिर्फ फार्म भरने का ही काम होता...ये बातें खुद सत्ताधारी RJD के नेता और बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष भोला यादव ने कही है.
बतातें चलें कि सरकार ने हाल ही में बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड का पुनर्गठन किया है,जिसमें आरजेडी के पूर्व विधायक और लालू यादव के हनुमान माने जाने वाली भोला यादव को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है.
अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद पहली बार दरभंगा दौरे पर पहुंचे भोला यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए कई प्रकार योजनाओं पर काम कर रही है. देव लिपि संस्कृत भाषा एवं उससे जुड़े स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए बोर्ड अब पहल कर रही है,पर अभी संस्कृत स्कूलों की स्थिति काफी खराब है. भोला यादव कि एक समय ऐसा था,जब संस्कृत शिक्षा बोर्ड से जुड़े स्कूलों में संस्कृत पढ़ने के लिए छात्रों की संख्या दो लाख से ऊपर हुआ करती थी, लेकिन वर्तमान में यह संख्या घटकर मात्र 18 हजार रह गई है। इसमे व्यापक सुधार की आवश्यकता है। जिसके लिए सरकार के निर्देश पर काम चल रहा है।
भोला यादव ने आगे कहा कि शिक्षा बोर्ड का अध्यक्ष बनने के बाद हमने समीक्षा में पाया की प्रायः संस्कृत विद्यालय कागज पर चल रही है। कुछ विद्यालयों को छोड़कर बाकी सभी विद्यालय सिर्फ फॉर्म भरने का जरिया बन गया है। हमें इस प्रथा को खत्म करना है। संस्कृत से हमारा संस्कार जुड़ा हुआ है। जब हमारा संस्कार ही नहीं बचेगा तो कैसे हम लोग आगे बढ़ेंगे।
भोला यादव की मानें तो संस्कृत को बढ़ाने के लिए नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने हमें वहां का अध्यक्ष बनाया है। मैं प्रयास में हूं जो सभी विद्यालयों में जो पूर्व से बने हुए भवन हैं। वह जर्जर हो चुका है।उसे ठीक किया जाए.मैं सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से मिलकर ये आग्रह करूंगा कि कानून में परिवर्तन करके जिस तरह से सामान्य विद्यालयों को भवन देने और उसकी मरम्मती के लिए लिए विद्यालय का स्ट्रक्चर तैयार किया गया है ..उसी तरह से संस्कृत और मदरसा विद्यालय का भी भवन बने। ताकि बच्चों को पढ़ने में कठिनाई न हो. विद्यालयों में शिक्षको की जो कमी है उसे भरने की कोशिश की जाएगी.जहां जो खाली जगह है प्रबंधन समिति को निर्देश दिया जा रहा है आप अपने स्तर से इसकी बहाली करें। लेकिन शिक्षक और विद्यार्थी रहेंगे,पर भवन नहीं रहने पर विद्यालय के संचालन में कठिनाई होगी।
भोला यादव ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह देव भाषा संस्कृत पुनः जागृत होगी। आज के समय में संस्कृत के अच्छे विद्वान की भारी कमी हो गई है। जब हमारे बच्चे सभी विद्यालयों में संस्कृत में पढ़ना शुरू करेंगे, तो निश्चित तौर से छात्र की संख्या भी बढ़ेगी। अभी इस बार मात्र 18 हजार बच्चे शामिल हुए हैं।इस संख्या को बढ़ाने के लिए काम किय़ा जाएगा.हमे छात्रों की संख्या को बढ़ाकर 5 लाख तक ले जाने की जरूरत है। इसलिए मेरी जितनी जरूरत होगी हम संस्कृत शिक्षा बोर्ड को देंगे और सरकार से भी अपेक्षा करेंगे कि वह भी मदद करे।