सुपौल : शिक्षकों ने डीईओ कार्यालय की कार्यशैली पर उठाए गंभीर सवाल, मुख्यमंत्री से समाधान की मांग

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SUPAUL : जिला शिक्षा कार्यालय (डीईओ) की कार्यशैली से आहत जिले के शिक्षक अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष अपनी समस्याओं को उठाने का निर्णय ले चुके हैं। बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ की पिपरा इकाई द्वारा आयोजित एक बैठक में शिक्षकों ने डीईओ कार्यालय पर घूसखोरी, लापरवाही और लंबित मुद्दों के समाधान न होने के गंभीर आरोप लगाए। यह बैठक प्रखंड अध्यक्ष राजीव कुमार रंजन की अध्यक्षता में संघ भवन पिपरा में आयोजित की गई, जहां शिक्षकों ने शिक्षा विभाग की कार्यशैली को लेकर जमकर नारेबाजी की और विभाग को कड़ी चेतावनी दी। बैठक में शिक्षकों ने अपनी समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि कालबद्ध प्रोन्नति, बकाया वेतन, सक्षमता पास शारीरिक शिक्षकों का योगदान, वेतन विसंगति में सुधार और डीएलएड प्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षित वेतन का लाभ जैसे मुद्दों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इन लंबित मामलों के कारण शिक्षकों में गहरा आक्रोश है। शिक्षकों का कहना है कि डीईओ कार्यालय को "अवैध वसूली का अड्डा" बना दिया गया है, जहां जानबूझकर कार्यों को लटकाया जाता है ताकि शिक्षक मजबूर होकर घूस देने के लिए उत्पीड़ित हों। शिक्षकों का आरोप है कि यह मामला केवल विभागीय लापरवाही का नहीं, बल्कि एक सुनियोजित तरीके से शिक्षकों से घूस वसूलने की प्रक्रिया का हिस्सा है। इस आरोप के तहत शिक्षकों ने बताया कि उनके बकाया वेतन और अन्य लंबित मामलों की जानकारी देने के बावजूद किसी भी प्रशासनिक अधिकारी द्वारा कार्रवाई नहीं की जा रही है।

शिक्षकों ने यह भी बताया कि 2021 से प्रखंड शिक्षा कार्यालय द्वारा समर्पित वेतन विपत्र पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसके अलावा, जिला पदाधिकारी के स्पष्ट निर्देशों की भी अनदेखी की जा रही है। इस स्थिति ने शिक्षकों के मन में प्रशासन के प्रति अविश्वास को और बढ़ा दिया है। शिक्षकों का कहना है कि उनके बकाया वेतन और अन्य मामले सुलझाने के बजाय प्रशासन उन्हें लगातार अनदेखा कर रहा है। उनका मानना है कि डीईओ कार्यालय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सुशासन की नीतियों का मखौल उड़ा रहा है और शिक्षकों के लोकतांत्रिक विरोध को नजरअंदाज कर रहा है।बैठक में यह निर्णय लिया गया कि यदि 19 जनवरी तक शिक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो शिक्षक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुपौल आगमन पर अपनी समस्याओं को सीधे उनके समक्ष रखेंगे। शिक्षकों का कहना है कि जिला संघ की 15 सूत्री मांगों पर अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है, जिससे उनका आक्रोश और बढ़ता जा रहा है। शिक्षकों ने स्पष्ट किया कि अगर प्रशासन उनके मुद्दों को गंभीरता से नहीं लेता है, तो वे मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी समस्याओं को उजागर करेंगे।

इस मामले में डीईओ संग्राम सिंह ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है और कहा कि विभागीय स्तर से शिक्षकों को प्रोन्नति और अन्य प्रक्रियाओं से अवगत कराया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यालय में किसी प्रकार की अनियमितता नहीं हो रही है और सभी कार्य विधिपूर्वक किए जा रहे हैं। संग्राम सिंह ने दावा किया कि शिक्षकों द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं और सभी मामले सरकार के नियमानुसार हल किए जा रहे हैं। बैठक में प्रखंड महासचिव बदरे आलम, कोषाध्यक्ष अनिल कुमार, जिला प्रतिनिधि रोशन सिंह, संरक्षक श्रीप्रसाद विश्वास समेत अन्य शिक्षक भी उपस्थित रहे। सभी ने एकजुट होकर अपनी समस्याओं को प्राथमिकता से हल करने की मांग की और कहा कि अगर जल्द कोई कार्रवाई नहीं की जाती, तो वे मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी समस्याओं को उनके समक्ष रखेंगे। शिक्षकों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करेंगे और अगर प्रशासन उनकी सुनवाई नहीं करता, तो वे अपनी आवाज़ को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे। इस आंदोलन से यह भी संदेश जाता है कि शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा और उनकी समस्याओं का समाधान शिक्षा व्यवस्था की सुधार प्रक्रिया का अहम हिस्सा होना चाहिए।