BIHAR NEWS : कृषि विभाग लेकर आया है कृषि ड्रोन छिड़काव योजना, 2025-26 में 56 हजार एकड़ खेतों में ड्रोन से छिड़काव का लक्ष्य

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पटना : खेती को हाई-टेक और लाभकारी बनाने के लिए बिहार सरकार का कृषि विभाग निरंतर प्रयासरत है. इसी के तहत विभाग कृषि ड्रोन छिड़काव योजना लेकर आया है, जिससे किसानों के लिए ड्रोन से छिड़काव कराना सस्ता और कारगर साबित हो रहा है. फसलों में कीटनाशी, खरपतवारनाशी और तरल उर्वरकों आदि का ड्रोन से छिड़काव कराने पर विभाग की ओर से भारी अनुदान दिया जा रहा है. इसका लाभ लेने के लिए किसानों को कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा.

ड्रोन से छिड़काव पर किसानों को मिल रहा अनुदान

ड्रोन से छिड़काव कराने पर किसानों को प्रति एकड़50प्रतिशत,अधिकतम240रुपए का अनुदान दिया जा रहा है. एक किसान अधिकतम10एकड़ क्षेत्र के लिए आवेदन कर सकता है. किसान ड्रोन का उपयोग कर बड़े क्षेत्रफल में महज कुछ ही मिनटों में कीटनाशक,खाद या दवाओं का छिड़काव कर सकते हैं. इसके प्रयोग से न केवल लागत में कमी आएगी,बल्कि समय की भी बचत होगी. साथ ही,इससे मिट्टी की क्वालिटी दुरुस्त रखने और फसलों में कीटनाशकों व दवाओं के अवशेष को कम करने में भी मदद मिलती है.

पिछले वर्ष27,666एकड़ में ड्रोन से हुआ था छिड़काव

कृषि विभाग ने इस वर्ष56,050एकड़ क्षेत्र में ड्रोन से छिड़काव का लक्ष्य रखा है. वर्ष2024-25में27,666एकड़ फसलों में ड्रोन से छिड़काव सफलतापूर्वक किया गया था. ड्रोन के माध्यम से फसलों में कीटनाशी,फफूंदनाशी,खरपतवारनाशी,पादप वृद्धि नियामक तथा तरल उर्वरक जैसे नैनो यूरिया,नैनो डीएपी,एनपीके एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव किया जा सकता है.

छिड़काव से होंगे ये फायदे

ड्रोन मैन्युअल छिड़काव की तुलना में50से60गुना तेजी से कीटनाशकों और उर्वरकों का छिड़काव कर सकता है. इससे लगभग15से20मिनट में एक एकड़ क्षेत्र में छिड़काव संभव है. ड्रोन के उपयोग से90प्रतिशत तक पानी और40प्रतिशत तक कीटनाशक एवं फफूंदनाशक आदि की बचत की जा सकती है. इससे कृषि लागत में कमी आएगी,समय की बचत होगी और सही समय पर खेतों में प्रभावी कीट प्रबंधन किया जा सकेगा.

क्या कहा मंत्री ने

बिहार में खेती को आधुनिक, सस्ती और सुरक्षित बनाने की दिशा में कृषि ड्रोन छिड़काव योजना एक बड़ा कदम है. ड्रोन तकनीक से किसानों की लागत घटेगी, समय की बचत होगी और फसलों में कीटनाशी व उर्वरकों का सटीक एवं संतुलित उपयोग संभव होगा. राज्य सरकार 50 प्रतिशत अनुदान के माध्यम से किसानों को इस नई तकनीक से जोड़ रही है.