चक्का जाम : बड़हिया वासियों के आन्दोलन से हावड़ा-दिल्ली रेलखंड पर परिचालन ठप..परेशान हैं रेलयात्री और अधिकारी
लखीसराय- बढ़हिया रेलवे स्टेशन पर रविवार 10:बजे से शुरू हुआ ग्रामीणों का आंदोलन लगातार जारी है और रविवार 10 बजे से अभी तक हावड़ा नई दिल्ली मुख्य रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन ठप है इस वजह से कई ट्रेनों को डायवर्ट कर दिया गया है जबकि कई अन्य ट्रेनों को कैंसिल कर दी गई है इस आंदोलन की वजह से इस रेलखंड के यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है इन आंदोलनकारियों को रेलवे और जिला प्रशासन की तरफ से समझाने बुझाने की काफी कोशिश की गई है पर ये लोग अपनी मांग मानने तक आंदोलन से पीछे हटने को तैयार नहीं है. अभी तक 56 से अधिक ट्रेनों का रूट डायवर्ट किया गया है,जबकि 30 ट्रेनें रद्द की गई है.आन्दोलनकारी अभी भी ट्रेन ठहराव की मांग को लेकर पटरियों पर जमे हुए हैं. इधर ट्रेन ठहराव की मांग को लेकर बड़हिया बाजार भी बंद रहा।
बतातें चलें कि कोरोना काल के पहले जिन ट्रेनों का ठहराव बड़हिया रेलवे स्टेशन पर हुआ करता था, उन सभी ट्रेनों के ठहराव की मांग आंदोलनकारी कर रहे हैं। जिन 9 ट्रेनों की ठहराव की मांग आंदोलनकारी कर रहे हैं उनमें हटिया- पटना पाटलिपुत्र एक्सप्रेस, भागलपुर -लोकमान्य तिलक, गोवाहाटी लोकमान्य तिलक, भागलपुर -मुजफ्फरपुर जनसेवा, टाटा दावे लिंक एक्सप्रेस, टाटा कटिहार लिंग एक्सप्रेस, मालदा टाउन दिल्ली फरक्का एक्सप्रेस, मालदा टाउन दिल्ली फरक्का एक्सप्रेस और सियालदह -बलिया एक्सप्रेस ट्रेन शामिल हैं।
बड़हिया में रेल चक्का जाम की सूचना पर दानापुर के एडीआरएम बीबी गुप्ता, लखीसराय के डीएम संजय कुमार सिंह, एसपी पंकज कुमार, एएसपी इमरान मसूद, एसडीएम संजय प्रसाद समेत भारी संख्या में पुलिस बल बड़हिया स्टेशन पर पहुंची। आंदोलनकारी और प्रशासन के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई लेकिन नतीजा नहीं निकल सका है. इधर आंदोलनकारी पटरी पर ही जमे हैं। आंदोलनकारियों का साफ कहना है कि जबतक सभी ट्रेनों के ठहराव की घोषणा नहीं कर दी जाती है। तब तक वह आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे।
आपकों बता दें कि बड़हिया स्टेशन पर 10 बजे से ही पाटलिपुत्र एक्सप्रेस ट्रेन को आंदोलनकारी ने रोक रखा है। इधर यात्रियों की परेशानी को देखते हुए जिला प्रशासन ने चार बस की व्यवस्था की और यात्रियों को पटना के रवाना करवाया। कुल मिलाकर यह साफ हो गया कि ना तो आंदोलनकारी पीछे हटने को तैयार हैं और ना ही रेलवे आंदोलनकारियों की मांग मानने को तैयार हैं।