शोक : आदि गुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का 99 साल की उम्र में निधन

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SHANKARACHARYA  KE NIDHAN SE SOOK KI LAHAR. SHANKARACHARYA  KE NIDHAN SE SOOK KI LAHAR.

DESK:-इस वक्त की बड़ी खबर आदि गुरू शंकराचार्य को लेकर आ रही है.सनातन के सबसे बड़े धर्म गुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का निधन हो गया है.एमपी के परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर जिला नरसिंहपुर में आज उन्हौने 99 साल की उम्र में अंतिम सांस ली है. जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती दो मठों यानी द्वारका एवं ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य थे.

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के जीवनी पर प्रकाश डाले तो वे देश के आजादी के आन्दोलन में जेल भी गए थे.उन्हौने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर काफी संघर्ष किया था.धर्म कर्म के प्रति उनमें बचपन से ही दिलचस्पी था.मिली जानकारी के अनुसार वे महज 9 वर्ष की उम्र में घर त्याग दिया था वे काशी पहुंच कर ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग और शास्त्रों की शिक्षा ली थी..1950 में शारदा पीठ शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड-सन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे

जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती करपात्री महाराज की राजनीतिक दल राम राज्य परिषद के अध्यक्ष भी थे. 1981 में इनको शंकराचार्य की उपाधि मिली. . राजनीति में भी काफी सक्रीय थे. अक्सर तमाम मुद्दों में सरकार के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाते थे. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जब ईरान यात्रा पर थीं तो सुषमा ने अपना सिर ढक रखा था. चूंकि वहां पर हिजाब का चलन था इसलिए उनको भी ऐसा करना पड़ा था. शंकराचार्य ने इसका विरोध किया था.