रॉकी नहीं तो हत्यारा कौन ? : आदित्य सचदेवा हत्याकांड था या फिर स्वाभाविक मौत, उठने लगे सवाल
पटना : बिहार में एक हाईप्रोफाईल मर्डर केस में पटना हाईकोर्ट का बडा फैसला आया है। पटना हाईकोर्ट ने आदित्य सचदेवा हत्याकांड में पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी के बेटे रॉकी यादव को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया है। रॉकी यादव पर रोड रेज में आदित्य सचदेवा की गोली मारकर हत्या का आरोप था। लेकिन न्यायालय के इस फैसले के बाद सवाल उठने लगे हैं कि आखिर आदित्य सचदेवा की हत्या किसने की ?
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 7 मई 2016 का वो दिन जब बिहार के गया में हुए हत्याकांड की गूंज पूरे देश में गूंजी। 19 वर्षीय आदित्य सचदेवा की हत्या रोड रेज में कर दी गई। हत्या करने का आरोप तत्कालीन एमएलसी मनोरमा देवी के बेटे आदित्य सचदेवा पर लगा। मामले में रॉकी यादव के साथ मनोरमा देवी के बॉडीगार्ड राजेश कुमार और टेनी यादव को अभियुक्त बनाया गया। साक्ष्यों के आधार पर निचली अदालत ने सभी अभियुक्तों को अगस्त 2017 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। लेकिन पटना उच्च न्यायालय ने साक्ष्य के आभाव में संदेह का लाभ देते हुए अभियुक्तों को बरी कर दिया। बीजेपी अब इस मामले को हाथों हाथ ले रही है। बीजेपी का आरोप है कि सरकार अपराधियों को संरक्षण दे रही है।
इधर जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने बताया कि घटना के वक्त आदित्य के साथ उसकी कार में नासिर हुसैन, आयुष अग्रवाल, मो कैफी, अंकित अग्रवाल कार में मौजूद थे। लेकिन ये प्रत्यक्षदर्शी गवाही के दौरान मुकर गए। हालांकि टेक्निकल एविडेंस के आधार पर निचली अदालत में आरोपी को सजा दी गई। लेकिन ये सबूत हाईकोर्ट में टिक नहीं सके। नीरज कुमार की माने तो जिस केस में पुलिस गवाह होती है वहां आरोपियों को सजा जरुर मिलती है। लेकिन गवाही की बात जब सामाजिक होती है तब इस तरह की समस्या आती है। हालांकि मामला कानूनी है इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता।
वहीं आरजेडी विधायक भाई वीरेन्द्र ने कहा कि साक्ष्य के आभाव में आरोपियों को रिहा किये जाने का मामला कोई नया नहीं है। इससे पहले बिहार में कई बड़े नरसंहार हुए जिनके आरोपियों को भी साक्ष्य के आभाव में बरी कर दिया गया है। उन्होंने जिक्र करते हुए बताया कि सेनारी नरसंहार में 34 लोग मरे थे, 13 आरोपियों को साक्ष्य के आभाव में हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। बाथे नरसंहार में 58 लोग मरे, 26 आरोपियों को साक्ष्य के आभाव में हाईकोर्ट ने बरी कर दिया गया। हैबसपुर नरसंहार में 10 मरे, 28 आरोपियों को साक्ष्य के आभाव में बरी कर दिया गया। बथानी टोला नरसंहार में 21 मरे, साक्ष्य के आभाव में 23 आरोपियों को बरी कर दिया गया। भाई वीरेन्द्र ने आगे कहा कि फैसला कोर्ट का है लेकिन पुलिस को और बेहतर तरीके से अनुसंधान और कार्रवाई करने की जरुरत है।