राज्यपाल ने बहरागोड़ा में छात्रों से कहा : यदि लगन हो और ईमानदारी से परिश्रम किया जाय तो लक्ष्य की अवश्य होती प्राप्ति
जमशेदपुर : झारखंड के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन आज बहरागोड़ा स्थित TPS DAV SCHOOL के वार्षिक कार्यक्रम में शामिल हुए. इस मौके पर झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. दिनेश षाड़गी ने शॉल ओढाकर राज्यपाल का स्वागत किया. कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर शुरुआत की गई. स्कूल के बच्चों के द्वारा रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया.
इस अवसर पर राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने टी.पी.एस. डीएवी पब्लिक स्कूल, बहरागोड़ा के वार्षिक समारोह में विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि यदि लगन हो और ईमानदारी से परिश्रम किया जाय तो लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य होती है. उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपनी दिनचर्या(Daily Routine) निर्धारित करें एवं उसका अनुसरण करें. जीवन में समय के महत्व को समझें.
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा का स्थान आपके पैतृक संपत्ति, बैंक बैलेंस एवं धन-दौलत से ऊपर है, आप कहीं भी जायेंगे तो आपकी पहचान शिक्षा एवं संस्कार से होगी. जीवन में शिक्षा का अत्यंत महत्व है. उन्होंने कहा कि राज्य के दूरस्थ स्थल पर स्थापित इस विद्यालय में आयोजित इस समारोह में आकर बहुत प्रसन्नता हो रही है क्योंकि यहां पर चारों तरफ के दूरदराज के ग्रामों से विद्यार्थी पढ़ने आते हैं एवं उन्हें अच्छी शिक्षा प्राप्त हो रही है.
राज्यपाल ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस युग में आप सभी तभी सफल हो पायेंगे,जब आप शिक्षित होंगे.शिक्षित होकर आप अपने समाज का भला भी करेंगे,समाज सुखी होगा तभी हमें वास्तविक सुख की अनुभूति होगी.इसीलिए शिक्षित होकर समाज को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करना है. इसके लिए जीवन में अनुशासित रहकर कार्य करना जरूरी है. हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी समय की पाबंदी,अनुशासित जीवन एवं दूरदृष्टि के कारण आज वैश्विक नेता के रूप में स्थापित हुए हैं. उनकी दूरदृष्टि का ही परिणाम था कि कोरोना महामारी के समय भारत ने अति अल्प समय में स्वदेशी टीका विकसित किया. भारत ने टीका विकसित कर अपने देश के नागरिकों के टीकाकरण के साथ मानवता का परिचय देते हुए विकासशील देशों को बिना कोई मूल्य के टीका उपलब्ध कराकर अपनी कर्मठता एवं विश्वबंधुत्व की भावना का परिचय दिया.
राज्यपाल महोदय ने कहा कि हमारे देश में मैकाले की शिक्षा पद्धति ही लागू थी जिसके कारण हम परतंत्रता की भावना से उबर नहीं पा रहे थे. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)में इस बात का ध्यान रखा गया है कि देश का सर्वांगीण विकास कैसे हो?उन्होंने इसी क्रम में बताया कि हमें विभिन्न भाषाओं को भी सीखना चाहिए. किसी भी भाषा में ज्ञान के महत्व को स्वीकार किया जाता है.महानतम कवि तिरुवल्लुवर ने तमिल भाषा में लगभग2हजार वर्ष पूर्व में2-2पंक्तियों की कविताओं की रचना की थी,जिसमें उनके द्वारा राजा,प्रजा इत्यादि के धर्म को उल्लेखित किया गया?उनकी रचनाएँ आज भी प्रासंगिक है एवं पूरे विश्व को संदेश दे रही हैं.
राज्यपाल ने विद्यालय द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि आस-पास के ग्रामों के रहने वाले जो बच्चे पढ़ाई में पिछड़ गए हैं,उनसे संवाद स्थापित कर अवकाश में ट्यूटोरियल/ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाएं,यह एक पुनीत कार्य होगा. राज्यपाल ने सभी बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की एवं मेधावी छात्रों को पुरस्कृत किया.
राज्यपाल ने वार्षिक समारोह में भाग लेने के उपरांत लौटने के क्रम में एक दिव्यांग से मिले. उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को उनके समस्याओं के निदान हेतु निदेशित किया.