अजब-गजब : नवरात्र शुरू होते ही नालंदा के माता मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लग गई रोक...
नालंदा-आज से नवरात्र शुरू हो गई है..विभिन्न मंदिरों में महिला श्रद्धालुओं की विशेष रूप से भीड़ देखी जा रही है पर नालंदा के एक देवी मंदिर में एक भी महिला श्रद्धालु नहीं दिख रहीं हैं,क्योंकि नवरात्र के नौ दिनों तक इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश निषेध की परम्परा बर्षों से चली आ रही है.
हम बात कर रहें हैं नालंदा के जिला मुख्यालय बिहारशरीफ से करीब 16 किलोमीटर की दुरी पर अवस्थित घोसरावां गाँव के माँ आशा देवी की.यह मंदिर काफी भव्य है और इलाके में इसे सिद्ध पीठ के नाम से भी जानते हैं.आम दिनों में भी श्रद्धालु माता दर्शन के लिए मंदिर में दूर-दूर से आते हैं.कहतें हैं कि सच्चे दिल से जो भी मन्नतें यहां मांगी जाती है..वह माँ आशादेवी की महिमा से पूरी होती है,मगर नवरात्र के दौरान इस मंदिर के महिलाओ प्रवेश बंद कर दिया जाता है.हलांकि पूरूष श्रद्धालुओं के प्रवेश पर किसी तरह का रोक नहीं रहता है.धार्मिक आस्था की वजह से कोई भी महिला या पुरूष इस परम्परा का विरोध नहीं करतें हैं.
सदियों से चली आ रही परम्परा
नवरात्र के दौरान महिलाओं के प्रवेश निषेध की परम्परा सालो-साल से चलती आ रही है.नवमी के दिन निशा पूजा होती है और इस पूजा के बाद पशु की बलि दी जाती है | दशमी की आरती के बाद ही महिलाओ को माता के दर्शन की अनुमति दी जाती है|नौ दिनों तक मंदिर में महिलाओं के प्रवेश निषेध पर स्थानीय पुजारी बताते हैं कि नवरात्रा के अवसर पर माता की विशेष पूजा की जाती है,जिसे बाम पूजा या तंत्र पूजा कहा जाता है. नवरात्र के अवसर पर तांत्रिक इस जगह पर आकर सिद्धिया प्राप्त करते है,जिसकी वजह से नवरात्र के अवसर पर नौ दिनों तक इस मंदिर में महिलाओ के प्रवेश पर पाबन्दी लगा दी जाती है|इस मंदिर में देवी माता की दो मुर्तिया के आलावे शिव पार्वती और भगवान बुद्ध की कई मुर्तिया है |काले पत्थर की सभी प्रतिमाये बौध,शुंग और पाल कालीन है |
देवी के साथ बुद्ध की भी प्रतिमा है स्थापित
जानकारों की माने तो 9 वी शताब्दी में ब्रज यान, तंत्र यान ,और सहज यान का बहुत तेजी से फैलाव हुआ था.उस समय यह स्थल विश्व का सबसे बड़ा केंद्र रहा था | बौद्ध धर्मावलम्बी सिद्धि के लिए इसी स्थल का उपयोग करते थे |माता के 84 सिद्द्धपीठ में से एक सिद्द्धपीठ इसे भी माना जाता रहा है |जातक कथाओं में सिद्धि के लिए महिलाओ को बाधक माना गया है.इसकी वजह से माता के मंदिर में महिलाओ का प्रवेश बंद कर दिया जाता है.