जस्टिस पर्वत राव का निधन : RSS से संबंध के चलते चुकानी पड़ी थी भारी कीमत, नहीं बनने दिया था जज
HYDERABAD :आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट (AP High court) के रिटायर जज जस्टिस एस. पर्वत राव ( Justice Parvath Rao ) का बुधवार को हैदराबाद में निधन हो गया. वे 90 साल के थे. राव पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. उनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से भी गहरा नाता रहा. उन्होंने वर्षों तक RSS के पूर्व क्षेत्र संघचालक का दायित्व संभाला. जस्टिस राव ने लंबे सामाजिक और पेशेवर जीवन में उच्चतम नैतिक मूल्यों का पालन किया और अपनी ईमानदारी और दान की प्रवृति के चलते हजारों लोगों को प्रेरित-प्रभावित किया।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ली उच्च शिक्षा
साल 26 नवंबर 1935 में अविभाजित आंध्रप्रदेश के गांव उंगुटूरु में जन्मे पर्वत राव बचपन से ही मेधावी छात्र थे. उन्होंने विजयवाड़ा में अपनी स्कूली शिक्षा और इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की. फिर मद्रास लोयोला कॉलेज से बी.एससी की डिग्री हासिल की. इसके बाद वह इंग्लैंड चले गए. 1954 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से भौतिकी, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में मास्टर्स की डिग्री हासिल की.
स्वदेश लौटने के बाद मद्रास से अपनी लॉ की डिग्री भी पूरी की और हैदराबाद में दुव्वुरी नरसाराजू के साथ वकालत यात्रा की शुरुआत की. साल 1961 से उन्होंने स्वतंत्र रूप से वकालत शुरू कर दी. उनकी शादी लक्ष्मीकांतम गारू से हुई, जिनसे उनकी 3 बेटियां हैं. तीनों उच्च शिक्षित हैं. उन्होंने अपनी पत्नी को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित किया. लक्ष्मीकांतम् ने अपनी मास्टर्स और कानून की डिग्री पूरी की.
हाईकोर्ट जज के रुप में दिये ऐतिहासिक फैसले
पहली बार 16 मार्च, 1990 में पर्वत राव आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट के जज नियुक्त किए गए और 26.11.1997 में रिटायर हो गए. कार्यकाल के दौरान अपने कई ऐतिहासिक फैसलों के लिए वे जाने जाते हैं. जस्टिस राव ने अपने एक फैसले में कहा था कि Eamcet में शामिल होने वाले छात्रों को अपनी उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन का अधिकार है.
राजीव गांधी सरकार ने नहीं बनने दिया था जज
आंध्रप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री एनटी रामाराव की सरकार ने पर्वत राव को हाईकोर्ट में न्यायाधीश बनाने के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी, ये साल 1987 की बात है. तब केन्द्र में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी. पी. शिवशंकर केंद्रीय कानून मंत्री थे. शिवशंकर ने जोर देकर कहा कि पर्वत राव को पहले आरएसएस से खुद को अलग करने का पत्र पेश करना होगा. जिसमें वे एक जिम्मेदारी संभाल रहे थे. इस पर पर्वत राव ने यह कहते हुए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया कि आरएसएस प्रतिबंधित संगठन नहीं है. वे उससे अलग नहीं हो सकते.
उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष का पद भी छोड़ा
जस्टिस पर्वत राव एक उच्च कोटि के बुद्धिजीवी थे. उन्होंने वकालत के इतर मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे विविध विषयों का भी अध्ययन किया था. उन्हें कॉर्पोरेट लॉ में विशेषज्ञता हासिल थी.
हाईकोर्ट से जस्टिस के रूप में सेवानिवृत होने के बाद सरकार ने उन्हें राज्य उपभोक्ता फोरम का अध्यक्ष बना दिया. वह करीब 2 साल तक पद पर रहे. फिर उन्होंने यह कहते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया कि आंध्र प्रदेश सरकार ने जिला स्तर पर सुविधाएं प्रदान करने को लेकर उनकी सिफारिशों को लागू नहीं किया. बाद में उन्होंने अपना जीवन समाज सेवा से जुड़ी गतिविधियों के लिए समर्पित कर दिया.
दान करने में भी आगे रहे जस्टिस राव
बचपन से ही राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़े रहे पर्वतराव ने आरएसएस में दक्षिण-मध्य क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक रहे और बाद में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष बने. उन्होंने जीवन भर उच्च नैतिक मूल्यों का पालन किया और कई अन्य लोगों को इसके लिए प्रेरित भी किया. बतौर जस्टिस एक बार वह अपने गृह नगर की यात्रा पर थे, जब उन्हें नाश्ते की पेशकश की गई, तो उन्होंने अनुरोध किया और इसका भुगतान भी किया. यही नहीं विरासत में मिली 30 एकड़ जमीन में से उन्होंने 27 एकड़ जमीन गौतमी सेवा समिति, गौ सेवा समिति आदि जैसे कई धर्मार्थ कार्यों के लिए दान कर दी.
इससे पहले 45 साल पूर्व भी उन्होंने अपने पैतृक गांव उंगुटुरु में अपनी जमीन दान कर दी थी. साथ ही डॉ. सुंकवल्ली विज्ञान भारती नामक स्कूल चलाने के लिए BVK को 10 लाख रुपये दान किए. इसके अतिरिक्त करीब 10 साल पहले उन्होंने एक नए स्कूल भवन के निर्माण के लिए एक करोड़ रुपये जुटाए थे. अपने गांव के पास हाइवे के किनारे बची हुई 280 वर्ग गज जमीन पर उन्होंने जैविक गौ उत्पादों के लिए एक केंद्र बनाया.
RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय का शोक संदेश
जस्टिस पर्वत राव के निधन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने अपने शोक संदेश में कहा कि “पर्वत राव जी एक समर्पित और अत्यंत प्रबुद्ध कार्यकर्ता थे जो सबके मार्गदर्शक भी रहे. अब उनकी जीवन यात्रा का अंत हो गया. वह सदैव प्रेरणादायी व्यक्तित्व के नाते याद रखे जाएंगे. मैं उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. उनके परिवार के सभी लोगों को मैं अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं. ईश्वर दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें.”
उनके निधन पर देश के पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने हैदराबाद के जुबली हिल्स स्थित उनके घर जाकर पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित की। संघ परिवार और न्यायिक सेवा से जुड़े अन्य लोगों ने भी दिवंगत पर्वत राव को अपनी श्रद्धांजलि दी.