जो मौत को हराए उसे लालू प्रसाद यादव कहते हैं : किडनी ऑपरेशन के दौरान हंसते रहे राजद सुप्रीमो
PATNA (ROSHAN JHA )- जो मौत को हरा दे उसे लालू यादव कहते हैं। जो विकट से विकट परिस्थितियों में भी हार मानना स्वीकार ना करे उसे लालू यादव कहते हैं। जिस वक्त मैं आपको या कहानी सुना रहा हूं उस वक्त भारत से हजारों किलोमीटर दूर सिंगापुर में लालू यादव की किडनी का सफल ऑपरेशन किया जा चुका है। डॉक्टरों ने उन्हें ऑपरेशन थिएटर से डिस्चार्ज कर आईसीयू में शिफ्ट कर दिया है। उनकी बेटी मीसा भारती कहती है कि पापा होश में हैं और बात कर रहे हैं। आसान भाषा में कहा जाए तो किडनी ऑपरेशन के दौरान लालू हंसते रहे, मुस्कुराते रहे। डॉक्टरों से बात करते रहे और इधर डॉक्टर उनकी किडनी का ट्रांसप्लांट करते रहे।
लालू का जीवन शुरू से ही संघर्ष मय रहा है। लालू ने ना उस दिन हार मानी जिस दिन बचपन में उनके गांव के एक जमींदार बाबू साहेब ने उनको स्लेट पर लिखते देखकर ताना मारा था— देख रे फलनमा, ई अपन बेटवा को लगता है लाट साहेब बनावेगा। लालू के चाचा को यह बात चुभ गई और उन्होंने लालू को अपने साथ पटना ले आए और यहां एक स्कूल में एडमिशन करवा दिया।
लालू ने उस दिन भी हार स्वीकार नहीं किया जब पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ आंदोलन के दौरान सभी सवर्ण छात्र नेताओं का जलवा था। यादव परिवार से होने के बाद भी उन्होंने अपने आपको ना सिर्फ साबित किया, बल्कि आगें चलकर इतिहास रच दिया।
लालू ने उस दिन भी हार स्वीकार नहीं किया जिस दिन बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद उस समय के सभी नेता साथी उन्हें सीएम नहीं बनने देना चाहते थे। उन्होंने खुलकर सबका विरोध किया। पहले नेता प्रतिपक्ष बने और आगें चलकर मुख्यमंत्री पद को संभाला।
चारा घोटाले में फंसने के बाद भी लालू ने हार स्वीकार कहां किया। जब अफसर उन्हें गिरफ्तार करने को प्लान बना रहे थे तब लालू अपने दिमाग से कुछ और ही खेला खेल रहे थे। मैंने कहा था ना कि जो हार जाए वह लालू नहीं। सत्ता से हटने के बदले उन्होंने अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री के पद पर आसीन कर दिया। जेल चले गए। बाद के दिनों में नीतीश कुमार सत्ता में वापसी करते हैं और राजद विधान सभा चुनाव में मात्र 22 सीटों पर सिमट जाती है। लालू ने तब भी हार नहीं माना और आगें चलकर नीतीश कुमार से दोस्ती करते हैं और बिहार में महागठबंधन की वापसी होती है। उनके बेटे उनकी विरासत को संभाल लेते हैंं
आगें चल कर लालू रेल मंत्री बनते हैं ओर कई रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज करवाते हैं। बाद के दिनों में जब डॉक्टरों ने उनकी किडनी को लेकर जवाब दिया तब भी लालू मुस्कुराते रहे। ऑपरेशन का सफल होना राजद समर्थकों के लिए खुशखबरी है। बिहार के उन तमाम लोगों के लिए खुशखबरी है जो लालू को एक बार फिर से राजनीति में देखना चाहते हैं। विपक्षी दलों का मानना है कि सत्ता की आंखों में आंखें डाल कर अगर कोई जवाब दे सकता है तो वह सिर्फ और सिर्फ लालू यादव है।
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