झारखंड विधानसभा बजट सत्र : सदन में गूंजा शिशु हत्या का मुद्दा, विधायक अरूप चटर्जी ने Infant Protection Act की मांग उठाई
रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में शुक्रवार को नवजात शिशु हत्या और असुरक्षित परित्याग का गंभीर मुद्दा उठा. निरसा के विधायक अरूप चटर्जी ने विधानसभा मेंInfant Protection Actकी आवश्यकता पर जोर दिया और सरकार से इस विषय पर ठोस कार्रवाई की मांग की.
अपने संबोधन में अरूप चटर्जी ने कहा, "झारखंड और देशभर में नवजात शिशुओं की हत्या और असुरक्षित परित्याग की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. यह एक गहरी सामाजिक समस्या है,जिसे रोकने के लिए हमें एक मजबूत और प्रभावी कानून की जरूरत है. मैं सरकार से अनुरोध करता हूँ कि वहInfant Protection Actलाने की दिशा में ठोस कदम उठाएं."
उन्होंनेPaaLoNaaअभियान द्वारा शिशु हत्या और परित्याग से जुड़े डाटा को भी सदन में प्रस्तुत किया,जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह समस्या व्यापक पैमाने पर मौजूद है और इसके समाधान के लिए संविधानिक पहल आवश्यक है.
PaaLoNaa:नवजात शिशुओं की रक्षा के लिए समर्पित अभियान
PaaLoNaaएक सामाजिक जागरूकता अभियान है,जिसकी शुरुआत वर्ष 2015 मेंAshrayani Foundationके तहत की गई थी. यह भारत में शिशु हत्या और असुरक्षित परित्याग को रोकने के लिए डेटा संग्रह,जागरूकता,पत्रकारिता,शोध,नीति-निर्माण,प्रशिक्षण और वकालत के माध्यम से कार्य कर रहा है.PaaLoNaaही वह पहला अभियान था जिसने भारत मेंInfant Protection Actलाने की मांग उठाई.
PaaLoNaaअभियान की संस्थापक एवं संपादक,मोनिका गुंजन आर्या ने इस महत्वपूर्ण कदम पर विधायक अरूप चटर्जी जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा,हम विधायक अरूप चटर्जी जी के आभारी हैं कि उन्होंने सदन में शिशु हत्या और परित्याग जैसे गंभीर विषय को उठाया औरInfant Protection Actकी आवश्यकता को सरकार के सामने रखा. यह एक ऐतिहासिक कदम है और हम सभी का कर्तव्य है कि इस अभियान को आगे बढ़ाएं,ताकि हर नवजात को जीने का अधिकार मिल सके."
उन्होंने आगे कहा, "यह उन साथियों के सतत समर्थन और साथ का परिणाम है,जो पालोना की नींव हैं. यह सबके सामूहिक प्रयासों की जीत है कि आज यह मुद्दा झारखंड विधानसभा में उठा. हम सभी का कर्तव्य है कि हमInfant Protection Actको एक वास्तविकता बनाएं,ताकि हर नवजात को जीने का अधिकार मिल सके."
PaaLoNaaअभियान लंबे समय सेInfant Protection Actकी मांग कर रहा है और इस दिशा में नीतिगत परिवर्तन के लिए सरकार,विधायकों,चिकित्सा जगत,न्यायपालिका और समाज से सहयोग की अपील करता है.
संरक्षण ही समाधान है!