JHARKHAND NEWS : AMITY यूनिवर्सिटी झारखंड ने नशीली दवाओं के खतरे को रोकने के उपायों पर किया जागरुकता कार्यक्रम आयोजित

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रांची : एमिटी यूनिवर्सिटी झारखंड के विजन और मिशन को ध्यान में रखते हुए और इसके संस्थापक अध्यक्ष एवं कुलाधिपति के आशीर्वाद से, एमिटी लॉ स्कूल ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) और एनजीओ लाइफ सेवर के सहयोग से, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की 2025 पहल डॉन (ड्रग अवेयरनेस एंड वेलनेस नेविगेशन - फॉर ए ड्रग-फ्री इंडिया) के तहत 16 जुलाई 2025 को परिसर में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बारे में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया.

एमिटी यूनिवर्सिटी झारखंड के कुलपति डॉ. अशोक के. श्रीवास्तव ने जागरूकता कार्यक्रम के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं.

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) की विशेष टीम के सदस्य, अतुल गेरा ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा, "आजकल राज्य की राजधानी में अफीम जैसे नशीले पदार्थों की बढ़ती तस्करी के प्रति स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्र सबसे ज़्यादा संवेदनशील हैं. लेकिन यह एकतरफ़ा मामला है." उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने स्कूली किताबों में 'मूक आतंकवाद' शब्द को शामिल करना शुरू कर दिया है. उन्होंने आगे कहा कि नशीले पदार्थों से दूर रहें क्योंकि यह कोलकाता आर.जी. कांड जैसे जघन्य अपराधों को जन्म देता है. मेडिकल कॉलेज में हत्या और बलात्कार के मामले में हिंसा में भारी वृद्धि हुई है.

छात्रों को संबोधित करते हुए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के खुफिया अधिकारी भारती गोस्वामी और आनंद कुमार ने ड्रग्स के दुष्प्रभावों,नशामुक्ति केंद्रों,हेल्पलाइन नंबरों के बारे में बात की और ड्रग तस्करों के लिए कानूनी निहितार्थ और दंड पर ध्यान केंद्रित किया.

झारखंड के सीआईडी के एसआई रिजवान ने रांची में हाल ही में सामने आए मामलों पर चर्चा की, जहां निर्दोष कॉलेज जाने वालों को ड्रग सप्लायरों द्वारा एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने खूंटी जिले के उस क्षेत्र के बारे में बात की, जहां सीआईडी टीम द्वारा ड्रग्स की खेती में शामिल 27015 एकड़ जमीन को नष्ट कर दिया गया था. डीएलएसए के पैनल एडवोकेट राजेश कुमार सिन्हा ने ड्रग्स में शामिल होने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई साझा की. एमिटी यूनिवर्सिटी झारखंड के छात्रों को ड्रग के खतरे पर एक लघु फिल्म दिखाई गई.

झारखंड राज्य औषधि नियंत्रण निदेशालय के सहायक निदेशक (औषधि) राम कुमार झा ने हमारे शरीर के अंगों पर नशीली दवाओं के हानिकारक प्रभावों और कैसे ये चीजें अत्यधिक मनोवैज्ञानिक और शारीरिक निर्भरता का कारण बनती हैं,इस पर बात की.

यहाँ उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में रवि कुमार भास्कर, सिविल जज (वरिष्ठ प्रभाग) एवं सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रांची और राजेश कुमार सिन्हा, पैनल अधिवक्ता, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रांची शामिल थे, जिन्होंने पुनर्वास में कानूनी सहायता की भूमिका पर चर्चा की. इन विशेषज्ञों ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग से निपटने और कानूनी एवं पुनर्वास सहायता प्रणालियों को बढ़ावा देने पर बहुमूल्य विचार प्रस्तुत किए.