इस दीपावली,कुम्हारों के घर भी हों पाएंगे रौशन ? : बाजार में चाइनीज लाइट की चकाचौंध से कुम्हार हैं परेशान

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गढ़वा : दीपावली को रौशनी का त्योहार कहा जाता है। इस दिन सभी घर दीये और इलेक्ट्रिक लाइट की रौशनी से जगमगाते हैं। अगर बात कुछ दशक पहले की करें तो उस वक्त दीपावली के पहले बाजारों में मिट्टी के दीयों का बोलबाला रहता था। लोग अपने घरों को दीये से सजाने के लिए काफी उत्साहित होते थे। लेकिन आजकल, वक्त की कमी और व्यस्तता के कारण लोग दीयों की जगह इलेक्ट्रिक लाइट को महत्ता देते हैं।

जिसके बाद देश में कम मूल्य पर चाइनीज लाइट के एंट्री ने कुम्हारों की चाक की रफ्तार को धीमा कर दिया है। हालांकि इसके बावजूद दिवाली को लेकर कुम्हारों में उम्मीद होती है। कुम्हारों को इस पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है। क्योंकि इस पर्व में दीपावली में दीये का बाजार सजता है।

बाजार में चाइनीज लाइट की चकाचौंध

इसी कड़ी में आज हम आपके सामने एक ऐसे गांव की चर्चा करेंगे जिसे कुम्हारों का गांव भी कहा जाता है। हम बात कर रहे हैं गढ़वा जिला मुख्यालय स्थित तेनार गांव की जहाँ कुम्हार जंगली क्षेत्र से मिट्टी का बर्तन बनाने के लिए मिट्टी लाते हैं। लेकिन इस काम में इन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। साल भर ये लोग तरह-तरह के मिट्टी का बर्तन बनाते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा इनलोगों को इंतजार दीपावली का होता है।

कुम्हारों के इस इंतजार पर पानी उस वक्त फिर जाता है जब लोग चाइनीज लाइट की चकाचौन्ध में दीयों को भूल जाते हैं। कुम्हारों का कहना है कि जितना हमलोग मेहनत करते हैं, उतनी कमाई नहीं हो पाती है। वहीं बाजार में प्लास्टिक का बर्तन आने से हमलोगों को बाजार नहीं मिल पा रहा है। कुम्हारों का कहना है कि सरकार इस मामले में बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है।

कुम्हारों को बाजार लगाने से अक्सर रोका जाता है

इन कुम्हारों की परेशानी यहीं समाप्त नहीं होती है। इन लोगों ने बताया कि दीपावली के समय बाजार में सामान बेचने के लिए कोई उपयुक्त स्थल नहीं है। सड़क किनारे जहां भी दीया का बाजार सजाते हैं, दुकानदार बाजार लगाने से रोकते हैं। कुम्हार मंगरु ने कहा कि 2 सालों से कोरोना ने परेशान किया। लेकिन दीपावली को लेकर उम्मीद है जिसके लिए हम 2 महीने पहले से तैयारी कर रहें हैं।


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