IRFC को मिला नवरत्न का दर्जा : भारत का बना तीसरा सबसे बड़ा सरकारी NBFC, वित्तीय ताकत में हुआ बड़ा उछाल


NEW DELHI : रेल मंत्रालय के अधीन प्रमुख वित्तीय संस्थान, भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी) को भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित नवरत्न का दर्जा प्रदान किया गया है। यह मान्यता IRFC की यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो भारत के रेलवे बुनियादी ढांचे का समर्थन करने वाले केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) में से एक है।
आईआरएफसी की स्थापना 12 दिसंबर 1986 को एक शत-प्रतिशत सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में की गई थी और इसने भारतीय रेलवे के विस्तार और आधुनिकीकरण के वित्तपोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्षों के दौरान, यह एक प्रमुख वित्तीय संस्थान के रूप में विकसित हुआ, जिसे 1993 में कंपनी अधिनियम के तहत एक सार्वजनिक वित्तीय संस्थान के रूप में पंजीकृत किया गया, 1998 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के तहत एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) के रूप में और 2010 में एक NBFC-इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी (NBFC-IFC) के रूप में वर्गीकृत किया गया।
मार्च 2018 में इसे मिनी रत्न श्रेणी-I का दर्जा मिला। कंपनी को जनवरी 2021 में 26 रुपये के आईपीओ मूल्य पर स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध किया गया था, जो अब बढ़कर लगभग 140 रुपये हो गया है। 31 मार्च 2024 तक IRFC का कुल रेवेन्यू 26,600 करोड़ रुपये से अधिक और प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (PAT) 6,400 करोड़ रुपये से अधिक है, जिससे यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा सरकारी NBFC बन गया है।
आईआरएफसी ने भारतीय रेलवे के लगभग 80% रोलिंग स्टॉक के वित्तपोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह पहला सीपीएसई था, जिसने विदेशी बाजारों में 30-वर्षीय बॉन्ड जारी किया। 31 दिसंबर 2024 तक आईआरएफसी का बाजार पूंजीकरण 2,00,000 करोड़ रुपये से अधिक है, 4.61 लाख करोड़ रुपये का प्रबंधनाधीन संपत्ति (AUM), लगभग 52,000 करोड़ रुपये की शुद्ध संपत्ति और 4.81 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बैलेंस शीट है।
इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए आईआरएफसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (CMD) एवं सीईओ मनोज कुमार दुबे ने कहा कि "नवरत्न का दर्जा प्राप्त करना आईआरएफसी की वित्तीय शक्ति और भारत के रेलवे बुनियादी ढांचे को समर्थन देने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह मान्यता हमें अपनी क्षमताओं का और अधिक विस्तार करने और राष्ट्र के विकास में अधिक सार्थक योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।"
रेलवे परिसंपत्तियों के वित्तपोषण से आगे बढ़ते हुए, IRFC अब उन क्षेत्रों में भी निवेश के अवसर तलाश रहा है, जो रेलवे से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं, जैसे कि बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन, खनन, इंधन, कोयला, वेयरहाउसिंग, टेलीकॉम, होटल एवं कैटरिंग आदि। कंपनी ने एनटीपीसी के लिए 20 BOBR रेक्स की 700 करोड़ रुपये की फंडिंग का समझौता किया है और हाल ही में एनटीपीसी लिमिटेड की सहायक कंपनी, पत्रतु विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (PVUNL) को 3,190 करोड़ रुपये के ऋण की फंडिंग के लिए सबसे कम बोलीदाता घोषित किया गया है।
इसके अलावा एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (NTPC GEL) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (NTPC REL) ने अपने अनुरोध प्रस्ताव (Request for Proposal) के तहत रुपये टर्म लोन (RTL) के लिए 7,500 करोड़ के वित्तपोषण हेतु आईआरएफसी की बोली स्वीकार की है। आईआरएफसी भारतीय रेलवे के रोलिंग स्टॉक, कंटेनर ट्रेन ऑपरेटरों, रेलवे की नवीकरणीय ऊर्जा आवश्यकताओं, मेट्रो रेल परियोजनाओं, बंदरगाह रेल कनेक्टिविटी और पीपीपी परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए भी सक्रिय रूप से काम कर रही है।
आईआरएफसी के सीएमडी एवं सीईओ मनोज कुमार दुबे ने आगे कहा कि "हम पूंजी-गहन रेलवे परियोजनाओं के लिए सबसे किफायती वित्तीय समाधान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। संपूर्ण रेलवे इकोसिस्टम पूंजीगत व्यय (Capex) में वृद्धि के दौर से गुजर रहा है, जो दुनिया की सबसे बड़ी आबादी की माल और यात्री आवाजाही की मांग को पूरा कर रहा है। जैसे-जैसे भारत अमृतकाल में 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, आईआरएफसी बुनियादी ढांचे के विकास और आधुनिकीकरण के लिए संसाधन जुटाने में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।"
आईआरएफसी अपनी बढ़ती वित्तीय ताकत और रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ भारत के रेलवे बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण में अग्रणी बना हुआ है, जिससे सतत विकास और सभी हितधारकों के लिए दीर्घकालिक मूल्य सुनिश्चित किया जा सके।