Bihar News : महिला प्रोफेसर हुईं साइबर फ्रॉड की शिकार, ठगों ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने का दिया झांसा और 47 लाख रुपये की कर ली ठगी
BHAGALPUR : बिहार में इनदिनों बड़े पैमाने पर साइबर क्राइम का मामला सामने आ रहा है। ताजा मामला भागलपुर का है, जहां तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. निर्मला कुमारी साइबर ठगी का शिकार हो गयी है। साइबर क्रिमिनल्स ने उन्हें फोन से तीन किश्तों में 47.60 लाख की राशि ठग ली है। इस मामले के सामने आने के बाद महिला प्रोफेसर ने साइबर थाने में FIR दर्ज करायी है।
तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. निर्मला कुमारी की माने तो पहली बार कॉल कूरियर कंपनी से आया था, जो खुद को फेडेक्स कंपनी का स्टाफ बता रहा था. उसने झूठे ऑर्डर की जानकारी देकर किसी अधिकारी से बात करने की बात कर रहा था। उन्होंने बोला कि एयरपोर्ट पर आपका कुछ सामान है, जिसे वहां रोक दिया गया है, जिसके बाद उसने एक नंबर से कनेक्ट किया। उसने अपने को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया।
इसके साथ ही ठगों ने बताया कि प्रोफेसर का आधार नंबर किसी आतंकवादी गतिविधि वाले व्यक्ति से मिला है, जो अभी मुंबई में गिरफ्तार किया गया है। फिर उन लोगों ने रिकॉर्डिंग दिखायी और रिकॉर्डिंग में बताया कि प्रोफेसर कहां-कहां गईं हैं? उसके बाद उन्होंने कहा कि "मैं कहीं नहीं गई हूं." तो उन्होंने एक और कॉल रिकॉर्डिंग सुनाई। उस रिकॉर्डिंग में वो जहां-जहां गई थी, वो सभी रिकॉर्ड था। फिर उसने कहा कि होटल या अन्य जगह गए होंगे, जहां पर आधार कार्ड यूज किया होगा. जिसका मिस यूज हुआ है, इसी के लिए उसे शख्स को क्राइम ब्रांच ने ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया है।
ठगी की शिकार हुई प्रोफेसर का कहना है कि पहले उन्होंने पुलिस की वर्दी में अपना चेहरा दिखाया और बोला मैं ही हूं। एक फॉर्म निकाला और फॉर्म पर आधार का पर्सनल डाटा और बैंकिंग डाटा देने को कहा गया। 10 जून को एक कूरियर कंपनी का फोन आता है। फोन करने वाले ने अपना नाम अमित कुमार बताया। वह कूरियर कंपनी का एक कर्मचारी होने की बात कहने लगा। इसके बाद अमित ने कथित रूप से मुंबई क्राइम ब्रांच के एक शख्स से संपर्क करवाया।
फर्जी मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी ने डॉक्टर निर्मला को यह कहकर डरा दिया कि आपका आधार कार्ड मनी लांड्रिंग केस से जुड़ा हुआ है। इसके बाद उसने बताया कि आपका आधार कार्ड अनाधिकृत रूप से किस-किस जगह पर प्रयोग हुआ है, उसे ट्रेस किया जा रहा है। फिर उस शख्स ने परिवार और बैंक अकाउंट रकम निवेश की जानकारी ली। उस व्यक्ति ने मोबाइल को बंद न करने की सख्त हिदायत दी थी। वह बोलता रहा कि आपके ऊपर बहुत खतरा है। डॉक्टर निर्मला का कहना है कि उस शख्स ने मोबाइल भी हैक कर लिया था।
इसके बाद डॉक्टर निर्मला से दो RTGS फॉर्म भरवा कर एफडी की धनराशि 3 लाख 5000 और 2 लाख 5000 रुपये का स्थानांतरण दो अलग-अलग खातों में करवा लिया गया। 11 जून तक अपराधियों ने दो किस्तों में रकम की उगाही कर ली थी. इसके बाद भी अपराधियों ने डॉ. निर्मला से बातचीत जारी रखी और उनके द्वारा किए गए निवेश की पूरी जानकारी लेकर एसआईपी भुनाने को कहा, इसको लेकर प्रोफेसर ने बताया कि बीच में बैंक में छुट्टी हो गई। अपराधी इस बीच भी संपर्क में रहा।
वहीं, 20 जून को प्रोफेसर ने पूरी प्रक्रिया के बाद अपना SIP तोड़कर 42 लाख 50000 हजार रुपये का स्थानांतरण किया। उस वक्त कहा गया की पूरी रकम आरबीआई से सत्यापन के बाद आपको भुगतान कर दिया जाएगा। इसके बाद अपराधियों ने अपना मोबाइल बंद कर लिया। जब उन्हें शक हुआ तो उन्होंने मामले की शिकायत अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 पर की और शुक्रवार को उन्होंने साइबर थाने में आवेदन देकर प्राथमिक की दर्ज करवाई है।
पीड़ित महिला प्रोफेसर की माने तो साइबर ठग 10 दिन तक उन्हें मनी लांड्रिंग का भय दिखाते रहे। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।