B.ed डिग्रीधारियों की बढ़ी उम्मीदें : शिक्षक भर्ती परीक्षा में कई उतार-चढ़ाव,अब नीतीश सरकार के SLP पर SC के फैसले का इंतजार..

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Expectations of B.Ed teacher candidates increased, waiting for SC's decision on SLP.. Expectations of B.Ed teacher candidates increased, waiting for SC's decision on SLP..

PATNA:-बिहार की नीतीश सरकार के कदम से 1 लाख 70 हजार शिक्षक भर्ती परीक्षा में प्राथमिक स्कूल के लिए परीक्षा देने वाले बीएड डिग्रीधारियों में उम्मीद की किरण जगी है.अगर सुप्रीम कोर्ट बिहार सरकार के स्पेशल अपील याचिका(SLP)पर विचार करते हुए उसकी मांग को मान लेती है ,तो प्राथमिक स्कूलों के लिए बीपीएससी द्वारा ली गयी परीक्षा के रिजल्ट में बीएड डिग्रीधारियों को भी शामिल किया जा सकता है,पर सबकुछ सुप्रीमो कोर्ट के फैसले पर निर्भर करता है.


भर्ती की मांग को लेकर आन्दोलन

बताते चलें कि बिहार में शिक्षक भर्ती का मामला सालों से विभिन्न प्रकियाओं के दौर से गुजर रहा है.बिहार सरकार ने छह चरण तक सर्टिफिकेट के आधार पर पहली से लेकर 12 वीं क्लास तक के शिक्षकों की भर्ती की थी.इन्हें नियोजित शिक्षकों के नाम से जाना जाता है.सातवें चरण की जल्द बहाली को लेकर साल 2021 से ही कई चरणों में आन्दोलन हुए थे.प्रदर्शन करने वाले अभ्यर्थियों को लाठी भी खानी पड़ी थी. उस समय बिहार में जेडीयू-बीजेपी की सरकार थी और शिक्षा विभाग जेडीयू के विजय चौधरी के पास था.सातवें चरण की बहाली में पंचायतीराज एवं नगर निकाय के बजाय एकीकृत आवेदन के जरिए शिक्षक भर्ती की चर्चा चल रही थी.इसी बीच बिहार में सरकार का स्वरूप बदल गया.बीजेपी की जगह आरजेडी के साथ नीतीश कुमार ने सरकार बनायी और शिक्षा विभाग जेडीयू कोटे से आरजेडी के कोटे में आ गयी और प्रोफेसर चंद्रशेखर को शिक्षा विभाग के मंत्री का दायित्व मिला.


बीपीएससी को मिली भर्ती की जिम्मेवारी

महागठबंधन की सरकार बनने के बाद शिक्षा विभाग ने शिक्षक भर्ती प्रकिया बदल दी और इसमें पंचायतीराज और नगर निकाय की भूमिका खत्म करते हुए बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) को शिक्षक भर्ती की जिम्मेवारी सौंपी गयी.बीपीएससी पास शिक्षकों को नियोजित शिक्षकों से ज्यादा वेतन और सुविधाये देने का निर्णय लिया गया और ये कहा गया कि इसमें नियोजित शिक्षक भी परीक्षा देकर स्थायी शिक्षक बन सकते हैं और उन्हें राज्यकर्मी के रूप में माना जाएगा,पर बीपीएससी द्वारा परीक्षा लिये जाने और नियोजित शिक्षकों के फिर से परीक्षा में शामिल होने के फैसले का काफी विरोध हुआ.उसके बाद बावजूद सरकार अपने फैसले पर अडिग रही.सरकार के निर्देश पर पहले चरण में 1.70 लाख शिक्षकों के लिए बीपीएससी ने विज्ञापन जारी कर दिये,जिसमें करीब 8 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया.और अभ्यर्थी परीक्षा की तैयारी करने लगे.आवेदन करने वालों में बड़ी संख्या नियोजित शिक्षकों की भी है.


सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर

इसी बीच राजस्थान मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों की भर्ती के लिए बीएड डिग्री धारी अभ्यर्थियो को अयोग्य करा दे दिया.इसके बावजूद बीपीएससी ने बी.एड डिग्रीधारी समेत सभी अभ्यर्थियों को परीक्षा देने का मौका दिया.परीक्षा के बाद बीपीएससी ने निर्णय लिया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार प्राथमिक स्कूलों के परीक्षा परिणाम में बीएड डिग्रीधारी को अवसर नहीं दिया जाएगा.सिर्फ डीएलएल डिग्री धारी अभ्यर्थी का ही परीक्षा परिणा घोषित किया जाएगा. इससे बी.एड डिग्रीधारी काफी निराश हुए .इस बीच पटना हाईकोर्ट में भी यह मामला आया जिसमें बिहार सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश बिहार के संदर्भ में नहीं है पर पटना हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीमो कोर्ट का फैसला राजस्थान के साथ ही पूरे देश के लिए है.बिहार सरकार ने पटना हाईकोर्ट के इस आदेश को आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट नें स्पेशल अपील याचिका(SLP)दायर की है.

एसएलपी से बीएड डिग्रीधारियों की बढ़ी उम्मीदें

यह एसएलपी बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठ ने दायर की है.इस अपील में कहा गया है कि बीएड डिग्रीधारियों को प्राथमिक शिक्षकों की पद पर नियुक्ति का अवसर मिलना चाहिए.राज्य सरकार जल्द से जल्द बड़े पैमाने पर शिक्षकों की नियुक्ति करना चाहती है,लेकिन इसमें सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश आड़े आ रहा है.सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिल जाने के बाद ही बीएड डिग्रीवाले आवेदकों को भी प्राथमिक शिक्षकों के पद पर नियुक्ति का आवसर मिल सकेगा.अब सरकार और बीएड डिग्रीधारी समेत सभी अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है.ये संभव है कि सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर होने की वजह से शिक्षक भर्ती परीक्षा देने में विलंब भी हो सकता है.