Bihar : छापेमारी में सहयोग नहीं करने पर DIG ने लिया संज्ञान, DSP पर लटक रही कार्रवाई की तलवार

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 DIG took cognizance of not cooperating in the raid.  DIG took cognizance of not cooperating in the raid.

PURNIA :कानून का पाठ पढ़ाने वाले खाकी वर्दीधारी एक पुलिस पदाधिकारी द्वारा पुलिसिया छापेमारी में साथ नहीं देने पर मामला सूबे के डीजीपी के पास जा पहुंचा है। इससे पुलिस में महकमे में हड़कंप मचा है।

कटिहार जिले में कोढ़ा गैंग गिरोह के विरुद्ध पुलिसिया छापेमारी के दौरान पूर्णिया पुलिस का साथ नहीं देने के कारण कटिहार के कोढ़ा पुलिस उपाधीक्षक धमेंद्र कुमार पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि पूर्णिया के पुलिस अधीक्षक कार्तिकेय शर्मा ने छापेमारी के दौरान पुलिस का सहयोग नहीं करने पर इससे संबंधित जांच रिपोर्ट पूर्णिया प्रक्षेत्र के डीआईजी प्रेम प्रकाश मंडल को सौंप चुके हैं।

इस रिपोर्ट के बाद डीआईजी ने कटिहार के एसपी वैभव शर्मा से इस मामले का पूरा ब्यौरा मांगा। कटिहार के एसपी ने 3 फरवरी को कोढ़ा डीएसपी धर्मेंद्र कुमार तथा थाना प्रभारी सह प्रशिक्षु पुलिस अधीक्षक से इस मामले से संबंधित स्पष्टीकरण देने को का आदेश दिया। कटिहार एसपी के मुताबिक जो रिपोर्ट दोनों पुलिस पदाधिकारी ने सौंपा है, उसमें कोढ़ा डीएसपी धर्मेंद्र कुमार द्वारा पुलिस छापेमारी में असहयोग किए जाने की बात सामने आई है, जिसके कारण यह छापेमारी पूरी तरह से प्रभावित हुई।

यह बात भी जांच में सामने आई है कि कोढ़ा गिरोह के खिलाफ डीएसपी ने गांव की घेराबंदी तक करने से मना कर दिया था। वह इस पूरे मामले पर कोढ़ा के पुलिस उपाधीक्षक ने कटिहार के एसपी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में बताया कि 1 फरवरी की रात में कोढ़ा गैंग के बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए पूर्णिया पुलिस छापेमारी करने आई थी।

डीएसपी ने कहा कि इस दौरान पूर्णिया पुलिस टीम के किसी सदस्य से उनकी कोई बातचीत नहीं हुई थी। साथ ही यह भी कहा कि पूर्णिया के एसपी से भी किसी तरह की कोई बात इस मामले में नहीं हुई। इस दौरान अपनी बात रखते हुए कहा कि 2 फरवरी की रात कोढ़ा थाना के थाना प्रभारी सह पुलिस उपाधीक्षक से महज 15 सेकंड बात हुई है। इस अल्प समय में सिर्फ यह बताया कि पूर्णिया पुलिस छापेमारी करने के लिए पहुंची है, इस पर जो भी कानूनी करवाई है, वह किया जाए।

इस मामले पर कोढ़ा थाना अध्यक्ष सह प्रशिक्षु डीएसपी ने अपने स्पष्टीकरण में उल्लेख किया है कि 2 फरवरी को रात 1:05 पर मरंगा थाना अध्यक्ष रूपक रंजन अन्य पुलिस अधिकारियों और जवानों के साथ छापेमारी के क्रम में पहुंचे। इस दौरान कोढ़ा थाना अंतर्गत जुराबगंज के 13 वांछित अपराध कर्मियों की सूची भी मरंगा थाना प्रभारी ने सौंपते हुए इसमें सहयोग की अपील की।

कोढ़ा थाने के थाना प्रभारी सह प्रशिक्षु डीएसपी इस छापेमारी के संबंध में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर 2 से बातचीत कर छापेमारी टीम के बारे में बताया तो उन्होंने पूरे गांव की घेराबंदी कर छापेमारी नहीं करने का आदेश दिया। इसमें यह भी कहा कि छापेमारी के दौरान किसी भी निर्दोष को परेशान नहीं किया जाए, इसका ध्यान रखें। प्रशिक्षु डीएसपी सह कोढ़ा थानाध्यक्ष ने कटिहार एसपी को स्पष्टीकरण के उत्तर में बताया कि उन्होंने 9 जनवरी को कोढ़ा थानाध्यक्ष का पदभार संभाला।

पूर्णिया से आए दो सब-इंस्पेक्टर रविंद्र कुमार रूपक रंजन 2018 और 2023 में कूड़ा थाना प्रभारी के रूप में काम कर चुके हैं। ये दोनों छापेमारी की टीम में शामिल थे।‌ डीएसपी ने कहा कि मैं और अन्य पुलिस पदाधिकारी उस दरम्यान थाना क्षेत्र में गश्त पर निकले थे। मैंने पुलिस निरीक्षक रूपक रंजन से महज यह पूछा कि सिर्फ 13 लोगों के विरुद्ध वारंट है या वांछित है। इस सवाल के जवाब में मरंग थाने के सब-इंस्पेक्टर ने कहा कि इस तरह के अपराध में वारंट की आवश्यकता नहीं होती है।

इसी बात को पूर्णिया पुलिस टीम द्वारा गलत तरीके से पेश कर दिया गया कि मैंने गिरफ्तारी के लिए अधिपत्र की मांग की है। मगर मैंने इस तरह की कोई मांग नहीं की थी। इस पूरे प्रकरण पर डीआईजी प्रमोद कुमार मंडल ने रिपोर्ट पढ़ने के बाद बिहार के पुलिस महानिदेशक को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस मामले में कोढ़ा के डीएसपी धर्मेंद्र कुमार के खिलाफ कार्रवाई होना तय माना जा रहा है।