'दुनिया में भारत को आदर और सम्मान मिल रहा' : हमारे सांस्कृतिक विरासत दुनिया में बढ़ा रहे भारत का मान : विजय कुमार सिन्हा
![deputy cm vijay sinha reaction on pm modi man ki baat](https://cms.kashishnews.com/Media/2024/June/30-Jun/CoverImage/COimge40ef40d68d34801ab2c65971994552b40.jpeg)
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बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि भारत की बहुरंगी संस्कृति का आज दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में सम्मान होना हम सब के लिए बड़े गौरव की बात है । हमारी सांस्कृतिक विशेषताओं ने अपनी 'सॉफ्ट पवार' के जरिए दुनिया के अलग हिस्सों में हमारे देश प्रति उत्सुकता के साथ विशेष सम्मान का भाव पैदा किया है । विजय सिन्हा ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने 'मन की बात' में बताया कि किस प्रकार कुवैत में आधे घंटे का साप्ताहिक कार्यक्रम हिंदी में प्रसारित किया जाता है । तुर्कमेनिस्तान में वहां के राष्ट्रीय कवि के नाम आयोजित कार्यक्रम में हमारे गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर की भी प्रतिमा का अनावरण किया गया है । कई देशों में भारतीय विरासत के प्रति प्रेम दर्शाने के लिए लोकप्रिय आयोजन किये जाते हैं । दुनिया के कई देशों में वहां के सबसे मशहूर प्रतीक स्थलों पर योग दिवस पर सामूहिक योगाभ्यास किये गए । सबसे बड़ी बात है कि ये तमाम पहल वहां की स्थानीय सरकारों ने किये । यह दुनिया मे भारत की 'सांस्कृतिक पूंजी' के बढ़ते महत्त्व को रेखांकित करता है ।
विजय सिन्हा ने कहा कि दुनियाभर में आज भारत को जो आदर और सम्मान मिल रहा है । उससे प्रेरणा लेकर हमें पर अपनी विरासत को अधिक से अधिक संरक्षित और संवर्द्धित करने का प्रयास करना चाहिए । क्योंकि हमारी प्राचीन संस्कृति में यह मान्यता रही है कि जो काम युद्ध जीत कर भी नहीं किये जा सकते उन्हें दिलों को जीत कर किया जा सकता है । हमारी संस्कृति और विरासत की संचित पूंजी दुनिया का दिल जीतने वाले उपकरण हैं । साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश के पास भी सांस्कृतिक विरासत की समृद्ध परंपरा रही है । सनातन, बौद्ध, जैन, सिक्ख और सूफी मत से जुड़ी विरासत की पूंजी हमारे पास है । हजारों साल की शानदार साहित्यिक परंपरा हमारे यहां पली-बढ़ी है । बिहार लोकतंत्र से लेकर दर्शन, चिंतन और आध्यात्म का पालना रहा है।हमारी सरकार प्रदेश की संस्कृति को देश और दुनिया तक पहुंचाने के लिए बहुआयामी प्रयास कर रही है । लेकिन हमें इस दिशा में व्यक्तिगत प्रयास भी करने होंगे । अपने निजी जीवन में भी अपनी संस्कृति और विरासत के प्रति सम्मान रखते हुए, आयातित संस्कृति के अनुकरण से खुद को और अपनी युवा पीढ़ी को बचाना होगा ।