इंटरनेशनल पहल : निरंजना नदी को सतत सलिला बनाने के लिए बौद्ध भिक्षुओं और समाजसेवियों ने चेक चैम बनाने का काम किया शुरू

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BUDHNAGRI KE NIRANJANA RIVER KO LEKAR INTERNATIONAL PAHAL BUDHNAGRI KE NIRANJANA RIVER KO LEKAR INTERNATIONAL PAHAL

GAYA: बिहार के गया जिले के बोधगया स्थित निरंजना नदी अधिकांश दिनों में सूखी ही रहती है. बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए यह नदी अटूट आस्था का प्रतीक है. ज्ञान प्राप्ति से पूर्व भगवान बुद्ध ने इसी नदी में स्नान कर तट पर अवस्थित पीपल वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया था. जिसके बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. कालांतर में इस नदी के स्रोत सूख गए. जिसके कारण सिर्फ बरसात के दिनों में ही इसमें जल का प्रभाव होता है. अन्य दिनों यह नदी सूखी रहती है. इसी को ध्यान में रखकर निरंजना रिचार्ज मिशन की स्थापना की गई. जिसमें समाजसेवियों के अलावे जापान, थाईलैंड, श्रीलंका, लाओस, कंबोडिया, बांग्लादेश इत्यादि के बौद्ध भिक्षु भी शामिल हैं.

वहीं निरंजना रिचार्ज मिशन के जेनरल सेक्रेटरी सह बोधगया स्थित वट लाओ इंटरनेशनल बुद्धिस्ट मॉनेस्ट्री के प्रभारी भंते साईं साना ने कहा कि आज निरंजना नदी में पहले चेक डैम के निर्माण कार्य का शुभारंभ हुआ है. इसके लिए हमें बहुत खुशी हो रही है. यह सौभाग्य हमें मिला है. इस कार्य में विश्व के कई देशों के बौद्ध धर्मगुरु शामिल हो रहे हैं. एक बार फिर से निरंजना नदी को सतत सलिला बनाने से इसमें सालों भर पानी रहेगा. यह स्थानीय लोगों एवं बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए खुशी की बात है. हमारे लिए आज ऐतिहासिक गौरव का दिन है. इसका शुभारंभ करने में हमें काफी खुशी महसूस हो रही है.

वही निरंजना रिचार्ज मिशन के संयोजक संजय सज्जन सिंह ने बताया कि निरंजना नदी के उद्गम स्थल जो झारखंड राज्य के चतरा जिला में आता है, वहां से बोधगया तक पदयात्रा भी की गई थी. मिशन के द्वारा निरंजना नदी के उद्गम स्थल से बोधगया तक नदी के आस-पास इलाकों में एक हज़ार चेक डैम का निर्माण कराने का निर्णय लिया गया है. ताकि बरसात का पानी जगह जगह रोकी जा सके और निरंजना नदी के जल स्रोत को पुनर्जीवित किया जा सके. इसी के तहत आज गया जिले के मोहनपुर प्रखंड क्षेत्र के कोल्हुआ गांव में चेक डैम निर्माण कार्य का शुभारंभ किया गया है. यह पहला चेक डैम है, जिसका निर्माण कार्य आज शुरू किया गया है. इसकी शुरुआत बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा विशेष प्रार्थना कर विधि-विधान से की गई है. इसका निर्माण बरसाती नदी पर किया जा रहा है।l. ताकि वहां पर पानी को स्टोर किया जा सके. जिससे न सिर्फ आस-पास के गांव की सिंचाई की समस्या दूर होगी. बल्कि इसका जल स्रोत निरंजना नदी को भी पुनर्जीवित करेगी.


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