पार्टियों के फेवरेट बैकवर्ड पर फायदा किसे : पिछड़ा अतिपिछड़ा की गणेश परिक्रमा में लगी पार्टियां, टिकटों की होगी बारिश...वादो की लगी झड़ी


PATNA : बिहार में चुनाव के आहट के साथ ही पार्टियां जातीय समिकरण सांधने में लग गई हैं जातीय सर्वे में सबसे बड़े वर्ग के रूम में सामने आई पिछड़ अतिपिछड़ आबादी पर सबकी नजरें गड़ी है.. इनका सहारा जिसे मिला उसका राजनीतिक भविष्य संवर जाएगा, ऐसे में उन्हें अपने साथ लाने, लुभाने के लिए क्या हो रहा आइए आपको इस आलेख में उसकी एक झलक दिखाते हैं।
जातिय सर्वे में पता चला कि बिहार की सियासत मेंMYसमिकरण से भी ज्यादा दमदार, असरदार, सिसायी गणित की उलझनो को सुलझाने और परिणाम देने की गारंटी लेने वाला समिकरण है पिछड़ा अतिपिछड़ा को साधना, तो सभी पार्टियां उनकी गणेश परिक्रमा में जुट गए। किसी भी दल के सियासी खेल को बनाने बिगाड़ने में बैकवर्ड क्लास की बड़ी भूमिका रही थी है और रहेगी। करीब 60 फिसदी वाला ये वोट बैंक चुनावी साल में सभी दलों के नाक का बाल बन गया है। अगर पार्टियां उन्हें प्राथमिक्ता सूची में नहीं रखती तो सियासी मैदान में उनकी नाक कटनी लगभग तय है। इसी को ध्यान में रखते हुए तेजस्वी यादव ने अति पिछड़ा-पिछड़ा सम्मेलन में सबसे ज्यादा सीट ओबीसी और ईबीसी को देने की घोषणा कर दी। तेजस्वी की इस घोषणा पर पार्टी नेता भी उत्साहित नजर आ रहे हैं। पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष कुमार गौरव कहते हैं कि तेजस्वी ने भले ही इसकी घोषणा की हो, लेकिन पार्टी में पिछड़ा अतिपिछड़ा की हमेशा से पूछ होती रही है। राजद सुप्रीमो तो इस वर्ग की मुखर आवाज रहे हैं, और उनकी सियासत का फलाफल ही यही रहा है कि उन्होंने इस वर्ग को समाजिक पहचान दिलाई, पिछड़ेपर के दंश से मुक्त कराया और मुखर होने का साहस दिया।
आबादी का करीब 60 फिसदी हिस्सा इस वर्ग से आता है जिसमें अतिपिछड़ा वर्ग 27.12 % तो अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 % है। अब तेजस्वी की नजर बड़े वोट बैंक पर है इसका आभाष होते ही जदयू ने राजद सुप्रीमो को ही समाज के इस वर्ग के नेता को अपमानित करने वाला बता दिया। सिर्फ बोले नहीं बल्कि कागजी सबूत के आधार पर तेजस्वी के पर कतरने की कवायद करने लगे। जदयू के प्रवक्ता व पूर्व मंत्री निरज कुमार ने कहा कि आपके पिता बिमार हैं, तो उनका गुनाहनामा आपको कबूल करना होगा। साक्ष्य के रूप में दस्तावंज पेश करते हुए निरज कुमार ने लालु यादव पर सामाजिक न्याय के नायक जननायक कर्पूरी ठाकुर को राजनैतिक रूप से अपमानित करने का आरोप लगाया। ये भी कहा कि आपके पिता के शासनकाल में पिछड़ा-अतिपिछड़ विभाग नहीं था, तब पारिवारिक विभाग चलता था, और अब चुनाव की आहट हुई तो उनकी याद आ रही है।
तेजस्वी की नजर सीएम की कुर्सी पर है और वहां तक पहुंचाने वाले पिछड़ा अतिपिछड़ा वर्ग पर नजरे इनायत होने का अहसास होते ही बीजेपी ने भी नजरे तरेरी। नवल किशोर यादव ने कहा कि चुनाव आने पर ही क्यों याद आई इससे पहले किसने रोका था। टिकट देने की बात पर कहा कि भाई, बहन, परिवार में बंटने के बाद टिकट बचेगा तब तो किसी और को देंगे। इतना ही नहीं ये भी कहा कि वोट बैंक समझ कर नजरे जमाए रखें उससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि बिहार की जनता आंख बंद और डिब्बा गायब कर देगी।
बिहार चुनाव में जीत हार का हिसाब जातीय समिकरण से ही साधा जाता है और इस समिकरण को साधना राकेट साइंस से आसान भी नहीं तभी तो सभी पार्टियां अपने अपने तरीके से हर वर्ग को साधने अपने साथ लाने में जुटे हैं अब इसके लिए चाहे टिकट की बारीश करानी पड़े या वादो की झड़ी लगानी पड़े सब किया जाएगा लेकिन जनता किसपर कितना भरोसा करती है ये तो आने वाला समय बताएगा
(दीपक शर्मा, सीनियर एंकर प्रोड्यूसर)