Bihar News : मिलिए गांव के डॉक्टर रमन किशोर से, जो अपनी सैलरी का 80 फीसदी गरीबों की इलाज में करते हैं खर्च
मिलिए डॉक्टर रमन किशोरसे... जिन्हें लोग गांव के डॉक्टर #GaonKaDoctor के नाम से जानते हैं. पिछले 5 सालों में वो 36 हजार से ज्यादा मरीजों का कैंप लगा कर इलाज कर चुके हैं. इस दौरान वो लोगों की फ्री में जांच और इलाज करते आ रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि डॉ. रमन अपनी सैलरी का 70 से 80 फीसदी हिस्सा लोगों की इलाज में खर्च कर देते हैं. उनका ये मामूल बना हुआ है. जिसका उन्हें कोई मलाल नहीं होता है. उनके इस नेक काम में उनके सहयोगी डॉक्टर भी हाथ बंटाते हैं #Bihar
दरभंगा जिले के बहुअरवा गांव के रहने वाले #DrRamanKishor पटना के बिहटा में ESIC मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर हैं. पटना एम्स से उन्होंने एमडी की डिग्री हासिल की है. उन्हें जब भी मौका मिलता है. वो असहाय और गरीब लोगों की इलाज के लिए गांव की ओर निकल पड़ते हैं. यही वजह है कि लोग उन्हें गांव का डॉक्टर कह कर पुकारते हैं.
डॉक्टर रमन किशोर का कहना है कि वो ऐसे बैकग्राउंड से आते हैं. जहां दूर दूर तक लोग इस पेशा को अपनाने के बारे में नहीं सोचते हैं. लेकिन डॉक्टर बनने की जिद ने उन्हें 2012 में एम्स पहुंचा दिया. तब उन्हें लगा कि जिंदगी अब आसान होने वाली है. हर सपने अब साकार होंगे. लेकिन फर्स्ट ईयर में उनकी मां बीमार पड़ गई. जब उन्होंने डॉक्टरों को दिखाया तो बताया कि अब बहुत देर हो चुकी है. अर्ली डायगनोसिस होने पर जिंदगी बच सकती थी. इस घटना ने डॉक्टर रमन को झकझोर दिया. तब से उन्होंने ठान लिया कि वैसे लोगों के लिए काम करना है. जो इलाज के अभाव में जिंदगी से जंग हार जाते हैं. इसलिए वो ऐसे ही लोगों की जिंदगी बचाने के मिशन पर चल पड़े.
डॉक्टर रमन ने 2020 में पटना एम्स में एमडी के लिए दाखिला लिया और इसी दौरान गांव गांव जाना शुरु किया. शुरुआत में उन्हें कई दिक्कतें आई. अव्वल ये कि मरीजों को जागरुकता की कमी के चलते काउंसलिंग करनी पड़ी. दूसरा ये कि जॉब की लिमिट होने के कारण सीनियर से दिक्कत होने लगी. लिहाजा उन्होंने जॉब चेंज करना ही बेहतर समझा. अब उनके सहयोगी फूल सपोर्ट करते हैं. डॉक्टर रमन की टीम में करीब दो दर्जन प्रोफेशनल शामिल हैं. मेडिकल की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स भी उनके काम में हाथ बंटाते हैं और खुशी खुशी कैंप अटेंड करते हैं.
डॉक्टर रमन के जोश, जज्बे और जुनून की कहानी यहीं खत्म नहीं होती है. वो अपनी सैलरी का बहुत बड़ा हिस्सा मरीजों की मदद के लिए खर्च करते हैं. उनका कहना है कि उन्हें मरीजों से जो दुआएं मिलती है. वो सुकून और खुशी शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं. ये लाखों करोड़ों कमाने से हजार गुणा बेहतर है. यही सोच उनके टीम के सदस्यों की भी है. यही मोटिवेशन का कारण भी है.
Report By: Hasan Jawed