BIHAR NEWS : परती जमीन पर पैदा हो रहे चैंपियन—मनरेगा से आई गांवों की खेल क्रांति
पटना : बिहार के ग्रामीण इलाकों में अब विकास की एक नई तस्वीर उभर रही है.जहां कभी परती जमीन और सीमित अवसर हुआ करते थे,वहां आज दौड़ते कदम,खेल अभ्यास और प्रतियोगिताओं की गूंज सुनाई दे रही है.महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने रोजगार सृजन के साथ-साथ गांवों में खेल संस्कृति को भी नई दिशा दी है.
ग्रामीण युवाओं में खेल के प्रति बढ़ते रुझान और फिटनेस को मजबूती देने के उद्देश्य से राज्य में बीते दो वर्षों के दौरान 4807 खेल मैदानों का निर्माण किया जा चुका है.यह संख्या उन 4716 ग्राम पंचायतों से भी अधिक है,जिन्हें इस योजना के तहत चिह्नित किया गया था.कई पंचायतों में एक से अधिक खेल मैदान बनाकर सरकार ने ग्रामीण प्रतिभाओं को अभ्यास और प्रतिस्पर्धा का बेहतर मंच उपलब्ध कराया है.
लक्ष्य से आगे बढ़ती योजना
ग्रामीण विकास विभाग द्वारा वर्ष 2024 में राज्य की कुल 8053 ग्राम पंचायतों में से 4716 पंचायतों को इस योजना में शामिल किया गया.इन पंचायतों में 5341 खेल मैदानों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था,जिसके लिए 521.92 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया.दिसंबर के अंत तक लगभग 90 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है,जो योजना के प्रभावी क्रियान्वयन को दर्शाता है.
गांव में ही मिल रही आधुनिक सुविधाएं
अधिकारियों के अनुसार,इन खेल मैदानों के निर्माण से ग्रामीण युवाओं को अब अभ्यास के लिए शहरों की ओर पलायन नहीं करना पड़ रहा है.गांव में ही उपलब्ध आधुनिक खेल सुविधाओं से न केवल खेल प्रतिभाएं सामने आ रही हैं,बल्कि युवाओं में अनुशासन,नशामुक्ति और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है.
मनरेगा के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी जावेद अली खां के अनुसार,ग्रामीण युवाओं की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए खेल मैदानों को तीन श्रेणियों में विकसित किया जा रहा है.
तीन श्रेणियों में विकसित हो रहे खेल मैदान
पहली श्रेणी: एक एकड़ तक के खेल मैदान
दूसरी श्रेणी: एक से पांच एकड़ क्षेत्रफल वाले मैदान
तीसरी श्रेणी: चार एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले बड़े खेल परिसर
इन मैदानों में नियमित रूप से खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है,जिससे गांवों में सामुदायिक सहभागिता और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिल रहा है.
खेल मैदानों में उपलब्ध प्रमुख सुविधाएं
रनिंग ट्रैक
वॉलीबॉल और बैडमिंटन कोर्ट
क्रिकेट,फुटबॉल,कबड्डी और खो-खो के लिए निर्धारित क्षेत्र
बास्केटबॉल कोर्ट
स्टोर रूम और सुरक्षा दीवार
एक खेल मैदान के निर्माण पर औसतन 10 से 17 लाख रुपये की लागत आ रही है.फिलहाल 534 अपूर्ण योजनाओं को जल्द पूरा करने की प्रक्रिया जारी है,वहीं शेष पंचायतों में भूमि चिह्नित करने का कार्य भी तेज कर दिया गया है.
मंत्री का बयान
मनरेगा के तहत गांवों में बन रहे खेल मैदान ग्रामीण बदलाव का मजबूत आधार बन रहे हैं. इससे युवाओं को सेना और अन्य भर्तियों के लिए आवश्यक फिटनेस तैयार करने में मदद मिल रही है. साथ ही ग्रामीण स्तर पर रोजगार सृजन और पंचायतों की जमीन व परती भूमि के संरक्षण का लक्ष्य भी सफलतापूर्वक पूरा हो रहा है. मनरेगा से बने ये खेल मैदान अब गांवों में सिर्फ खेल का नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता, स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक बनते जा रहे हैं.





