बिहार, बाहुबली और AK 47 : बिहार में और कितने AK 47 हैं? बेगूसराय में AK 47 बरामद होने पर उठे कई सवाल
एके 47 एक ऐसा अत्याधुनिक और खतरनाक हथियार जिससे एक मिनट में 700 राउंड से ज्यारदा फायरिंग की जा सकती है, यानी दुश्मन का सफाया निश्चित है। लेकिन सेना, सशस्त्र बलों में इस्तेमाल होने वाला AK 47 और अक्सर आतंकियों के हाथों में दिखने वाला इस हथियार का बिहार और बाहुबली से पुराना नाता रहा है। बेगूसराय..बिहार का लेनिनग्राद कहा जाने वाला बेगूसराय...जहां की धरती से उठा लाल सलाम का नारा कभी पूरे देश में गूंजता था। जहां वर्चस्व की लड़ाई में सैकड़ों लोगों की जान गई। उसी बेगूसराय से बिहार में पहली बार गूंजी थी अत्याधुनिक AK 47 राइफल की धांय-धांय की आवाज़। 90 के दशक में उसी बेगूसराय से निकला था बाहुबलियों का बाहुबली अशोक सम्राट, जो बिहार में पहली बार AK 47 लेकर आया था और वर्चस्व की लड़ाई में खूब इस्तेमाल किया था। अशोक सम्राट बिहार में AK47 उस दौर में इस्तेमाल कर रहा था जब बिहार पुलिस ने इसे देखा तक नहीं था। लेकिन उसके बाद से बेगूसराय में अपराध की दुनिया में AK 47 का चलन बढ़ने लगा। 90 के दशक में जिस खतरनाक हथियार AK 47 को बाहुबली अशोक सम्राट ने लाया था, वो AK 47 30 सालों बाद आज भी बेगूसराय के बाहुबलियों और सफेदपोशों की पसंद बनी है। बेगूसराय पुलिस ने एक AK 47 और 188 ज़िंदा कारतूस बरामद किया है। हथियार के साथ गिरफ्तार शख्स से पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। AK 47 का कनेक्शन सफेदपोशों से जुड़ रहे हैं।
पुलिस के मुताबिक AK 47 हथियार के साथ गिरफ्तार शख्स का नाम मंगेश कुमार है। गिरफ्तार मंजेश कुमार ठेकेदार नंदन चौधरी का ड्राइवर है। नंदन चौधरी ने ही मंजेश को AK 47 रखने के लिए दिया था। पुलिस के मुताबिक नंदन चौधरी नगर निगम के निवर्तमान मेयर उपेंद्र सिंह के भांजे भी हैं। फिलहाल पुलिस नंदन चौधरी की गिरफ्तारी में जुटी है। AK 47 की बरामदगी को लेकर अभी भी कई अनसुलझे सवाल हैं। मसलन
किस मकसद से AK 47 जैसा अत्याधुनिक हथियार रखा गया था। कहां से AK 47 हथियार लाया गया था। क्या किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की साज़िश थी। अक्टूबर 2018 में भी बेगूसराय के मटिहानी थाना क्षेत्र के सीहमा गांव से AK 47 बरामद हुई थी। सवाल है कि बेगूसराय में और कितने AK 47 हैं। इन सवालों का जवाब नंदन चौधरी की गिरफ्तारी के बाद ही मिल सकेगा।
हालांकि बिहार, बाहुबली और AK 47। इन तीनों का नाता बहुत पुराना रहा है। बिहार में AK 47 का धड़ल्ले से इस्तेमाल होता रहा है। बेगूसराय में बाहुबली अशोक सम्राट लाया था AK 47। अशोक सम्राट ने मुजफ्फरपुर के बाहुबली चंदेश्वर सिंह की AK 47 से हत्या की थी। 1994 में छोटन शुक्ला की हत्या में भी एके-47 का इस्तेमाल हुआ। 1995 में अशोक सम्राट के एनकाउंटर के बाद दो AK 47 मिले थे। 1996 में सीवान के बाहुबली रहे शहाबुद्दीन के घर से भी AK 47 मिले थे। 1998 में मंत्री रहे बृज बिहारी प्रसाद की हत्या भी AK 47 से की गई। 2015 में दरभंगा में दो इंजीनियर की हत्या AK 47 से की गई थी। पांच फरवरी 2016 को एलजेपी नेता बृजनाथी सिंह की AK 47 से हत्या की गई। सितंबर 2018 में मुजफ्फपुर के पूर्व मेयर की AK 47 से हत्या की गई थी। पूर्व मेयर समीर सिंह और उनके ड्राइवर एके-47 से 16 गोलियां मारी गई थीं। अक्टूबर 2018 में भी बेगूसराय के सीहमा गांव में मुठभेड़ के बाद AK 47 बरामद हुआ था। 2019 में विधायक अनंत सिंह के पैतृक गांव से मिला था AK 47। 2019 में विवेका पहलवान के समर्थक का दो AK 47 के साथ वीडियो वायरल हुआ था। मई 2021 में गोपालगंज में AK 47 से एक शिक्षक की हत्या की गई थी। एक आंकड़ों के मुताबिक पांच साल में उत्तर बिहार में AK 47 से डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों की हत्या की गई है। 2018-19 में बेगूसराय से सटे मुंगेर में बड़े पैमाने पर AK 47 बरामद किया गया था। मुंगेर में कुआं, जमीन के अंदर से 22 एके-47 राइफल बरामद किए गए थे। जिसके तार जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्टरी से जुड़े। खुलासा हुआ था कि जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्टरी से करीब 70 AK 47 लाए गए थे। 2012 से अगस्त 2018 तक 70 AK-47 राइफल बिहार में बेचे गए। 5 से 10 लाख की कीमत में बेची जाती थी AK 47।
सवाल है कि आखिर बिहार में और कितने AK 47 हैं औऱ क्या AK 47 का इस्तेमाल अभी भी बाहुबली अपना वर्चस्व जमाने के लिए करते हैं।