कोलकाता मेडिकल कॉलेज में बड़ा घोटाला : भ्रष्टाचार ने खतरे में डाली मरीजों की जान, घटिया कैथेटर ने स्वास्थ्य सुविधाओं की खोली पोल
Kolkata :पश्चिम बंगाल के कोलकाता मेडिकल कॉलेज में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। इस घोटाले में जीवन रक्षक माने जाने वाले सेंट्रल वेनस कैथेटर्स (CVCs) की घटिया गुणवत्ता के उपकरण सप्लाई किए जा रहे हैं, जो मरीजों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। यह उपकरण जटिल सर्जरी के दौरान दवाएं देने और मरीजों की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
निम्न गुणवत्ता वाले उपकरणों की सप्लाई
सूत्रों के अनुसार प्रीमियम क्वालिटी के CVCs सप्लाई करने का टेंडर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी वायगॉन (Vygon) को दिया गया था। हालांकि, इसके स्थानीय डिस्ट्रीब्यूटर पर आरोप है कि वह टेंडर में निर्धारित गुणवत्ता वाले उपकरणों की जगह घटिया गुणवत्ता के कैथेटर सप्लाई कर रहा है। यह घोटाला कोलकाता मेडिकल कॉलेज के अलावा एसएसकेएम, एमआर बांगुर हॉस्पिटल और बांकुरा मेडिकल कॉलेज जैसे प्रमुख अस्पतालों तक फैल चुका है।
प्रोक्योरमेंट प्रक्रिया में अनियमितताएं
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने खुलासा किया है कि प्रोक्योरमेंट प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हैं। नियमों के अनुसार उपकरण सीधे बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा सप्लाई किए जाने चाहिए, लेकिन लोकल सप्लाई चेन में निम्न गुणवत्ता के उपकरण कैसे शामिल हुए, यह बड़ा सवाल है। इस मामले में वायगॉन कंपनी के गुरुग्राम स्थित लोकल मैनेजमेंट की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।
कंपनी के मैनेजमेंट पर सवाल
वायगॉन की भारतीय शाखा में तीन निदेशक फ्रांसीसी मूल के हैं, जबकि एक भारतीय निदेशक कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार मैनेजिंग डायरेक्टर ने कथित रूप से कर्मचारियों को चुप रहने का निर्देश दिया है। अगर आरोप साबित होते हैं तो यह मामला न केवल कंपनी की छवि को धूमिल करेगा बल्कि चिकित्सा प्रणाली में सार्वजनिक विश्वास को भी कमजोर करेगा।
मेडिकल इंडस्ट्री में कड़े नियमों की आवश्यकता
यह घोटाला मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री में कड़े नियामक नियंत्रण और पारदर्शिता की जरूरत को रेखांकित करता है। मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ के इस मामले में दोषी पाए गए व्यक्तियों और संस्थानों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है।
जांच जारी
मेडिकल सुपरिंटेंडेंट अंजन अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच जारी है। स्वास्थ्य विभाग इस मामले में शामिल सभी पक्षों की भूमिका की गहनता से जांच कर रहा है। इस घोटाले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया गया है।
यह मामला केवल एक घोटाला नहीं बल्कि मरीजों की सुरक्षा और चिकित्सा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जीवनरक्षक उपकरणों की गुणवत्ता पर समझौता करना मरीजों के जीवन के साथ गंभीर खिलवाड़ है। अब देखना यह है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस मुद्दे पर कितनी गंभीरता से कार्रवाई करते हैं।