BIG BREAKING : पटना हाईकोर्ट ने डकैती के दोषी को बरी करने का दिया आदेश
Patna : पटना हाईकोर्ट ने डकैती के दोषी को बरी करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने किशनगंज के अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश के आदेश को रद्द करते हुए घटना के दोषी गोविंद पासवान को बरी किया.
जस्टिस आलोक कुमार पांडेय की एकलपीठ ने मामले पर सुनवाई के बाद अपने27पन्ने के आदेश में कहा कि सूचक जब प्राथमिकी दर्ज कराया,तो कहा कि डकैत को देखने पर पहचान लेंगे और टीआईपी परेड के दौरान अपने घर के परोस में रहने वाले दुकानदार को डकैत के रूप में पहचान किये.
कोर्ट का कहना था कि जब वह दुकानदार डकैत को जानते थे,तब प्राथमिकी दर्ज करते समय यह खुलासा किये. कोर्ट ने सूचक के मंशा पर शक जाहिर करते हुए संदेह का लाभ दोषी को दिया.
गौरतलब है कि4अप्रैल, 1997को लगभग रात्रि एक बजे के आस पास सूचक के घर में10-12डकैतों ने डकैती की. सूचक के अनुसार उनका छोटा बेटा मोहम्मद शाहिद आलम दरवाजे पर सो रहा था.
10-12लोग आए और उसके छोटे बेटे पर हमला करने लगे और उसके हाथ पीछे बांध दिए. दरवाजा खोलकर चार लोग घर में घुस गए और उन्होंने सूचक और उसकी पत्नी पर लाठी और कुल्हाड़ी से हमला किया,जिससे वे घायल हो गए.
बदमाशों ने बक्सा तोड़कर उसमें से सामान निकालना शुरू कर दिया. घर में घुसे डाकुओं के हाथों में लाठी,कुल्हाड़ी,मशाल आदि थी और उन्होंने शोर मचाने पर जान से मारने की धमकी दी.
डाकुओं ने बक्सा तोड़कर उसमें से चांदी का कंगन (6भर),चांदी का हार (16भर),चांदी की पजामी (20भर),चांदी का झुमका (4भर) और अन्य सामान निकाल लिया.30-45मिनट तक घर में रह कर1800/-रुपये नकद,फिलिप्स रेडियो,घड़ी,साड़ी,कमीज-पैंट आदि की लूटपाट की.
डकैतों ने लुंगी और कमीज पहन रखी थी. उनकी उम्र लगभग25-40वर्ष थी. उनमें से कुछ सांवले थे,जबकि कुछ गोरे थे. उनकी लंबाई सामान्य थी. उनमें से कुछ स्वस्थ थे.
सूचक ने दावा किया कि लालटेन की रोशनी में डकैतों की पहचान की. घटना को लेकर कोचाधामन पुलिस स्टेशन में मामला संख्या46/1997दिनांक03/04/04/1997को आईपीसी की धारा395और397के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई.
आवेदक को आईपीसी की धारा395के तहत दोषी ठहराते हुए सात साल के कठोर कारावास की सजा दी गई. कोर्ट को बताया गया कि आवेदक एक दुकानदार है और अदरक बेचने को लेकर सूचक के साथ कहासुनी हुई थी.
जिसको लेकर पंचायती भी हुई थी. पुरानी बातों को लेकर झूठा केस में फंसा दिया गया. कोर्ट ने इस केस से अनेक खामियों को पाते हुए दोषसिद्धि निर्णय और सजा आदेश को रद्द कर दिया. साथ ही जेल से बरी करने का आदेश दिया.





