BIG NEWS : नहीं रहे बाहुबली नेता रतन सिंह, हार्ट अटैक से हुई मौत, केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया अपूरणीय क्षति

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Bahubali leader Ratan Singh dies of heart attack Bahubali leader Ratan Singh dies of heart attack

BEGUSARAI : बेगूसराय जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष और भूमिहार समाज के कद्दावर नेता रतन सिंह का आज सुबह निधन हो गया। बेगूसराय जिले के बरौनी प्रखंड क्षेत्र स्थित तिलरथ निवासी रतन सिंह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। आज सुबह करीब 6:00 बजे उठने के बाद अचानक बेचैनी महसूस हुई, जिसके बाद आनन-फानन में परिजन अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

नहीं रहे बाहुबली नेता रतन सिंह

निधन की सूचना मिलते ही जहां परिजनों में कोहराम मच गया है। वहीं, जिले में सन्नाटा पसर गया है। आज सुबह लोगों को रतन सिंह के निधन की सूचना मिली। जिला ही नहीं, राज्य भर से लोग श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंच रहे हैं। बेगूसराय सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया है।

गिरिराज सिंह ने कहा है कि सामाजिक सरोकारों में अग्रणी, बेगूसराय जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष रतन सिंह का असामयिक निधन अत्यंत दुःखद है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें तथा उनके परिवार को इस दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें। उल्लेखनीय है कि रतन सिंह न केवल जिला परिषद और भूमिहार समाज के सर्वमान्य नेता थे बल्कि जिलेवार सेवा समिति और बिहार टैंकर एसोशिएशन के भी अध्यक्ष थे।

सभी जाति-धर्म में थी अलग पहचान

बरौनी रिफाइनरी से जुड़े टैंकर संचालकों के हित के लिए लगातार समर्पित रहे। उनकी सभी जाति-धर्म और पार्टी में एक अलग पहचान थी। आरजेडी से जुड़े रतन सिंह के दामाद रजनीश कुमार एमएलसी और भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री भी बने। अपने समय में काफी चर्चित रहे रतन सिंह को 2000 में जिला बदर घोषित कर दिया गया था लेकिन 2001 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में वह मजबूती से उभर कर सामने आए और जिला पार्षद का चुनाव जीतने के बाद रतन सिंह अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ गए और CPI प्रत्याशी के खिलाफ एक साथ आरजेडी और बीजेपी से जुड़े जिला पार्षदों का समर्थन जुटा लिया तथा जिला परिषद अध्यक्ष बने।

2001 से 2006 तक जिला परिषद के अध्यक्ष रहे। 2006 में जिला परिषद अध्यक्ष की सीट महिला हो जाने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी वीणा देवी को राजनीति में उतारा और 2006 से 2011 तक वीणा देवी जिला परिषद की अध्यक्ष रही। उसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी को भले ही जिला परिषद अध्यक्ष नहीं बनाया लेकिन जिला परिषद की राजनीति किस तरीके से चलेगी, उसका लगातार नेतृत्व किया। रतन सिंह को बतौर जिला परिषद अध्यक्ष पूरे जिला में अपना प्रभाव फैलाने का मौका मिला इसलिए उन्होंने पिछले दो दशक में जिला परिषद की राजनीति नहीं छोड़ी।

अभी के जिला परिषद अध्यक्ष सुरेन्द्र पासवान भले ही भाजपा से जुड़े हैं लेकिन वह भी रतन सिंह के सहयोग से ही अध्यक्ष बने थे। 1990 के समय के बिहार के सबसे बड़े डॉन अशोक सम्राट के दाहिने हाथ रतन सिंह थे। राजनीति से पहले बाकी बाहुबली नेताओं की तरह रतन सिंह पर भी कई तरह के केस-मुकदमे हुए और तमाम तरह के आरोप लगे, जो कोर्ट में साबित नहीं हो सके।

डॉन अशोक सम्राट के थे दाहिना हाथ

1990 में बिहार का सबसे बड़ा डॉन अशोक सम्राट हुआ करता था। रतन सिंह अशोक सम्राट का दाहिना हाथ हुआ करते थे। अशोक सम्राट भी रतन सिंह से सलाह मशविरा के बाद ही कोई बड़ा काम करता था। अशोक सम्राट की पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद रतन सिंह ने राजनीति में कदम रखा।

21 अक्टूबर 2023 को पटना में आयोजित श्री कृष्ण सिंह जयंती समारोह में आरजेडी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को सोने का मुकुट पहनाकर बेगूसराय के बाहुबली नेता रतन सिंह ने बिहार के राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी थी। जब रतन सिंह राजनीति में आए, उस समय मंत्री श्रीनारायण यादव जिला में राजद के गार्जियन कहे जाते थे। दूसरी तरफ डॉ. भोला सिंह थे। दोनों का समर्थन रतन सिंह को मिला। विरोध में रह गई सीपीआई का साथ भी आगे चलकर मिल गया।

2004 के लोकसभा चुनाव में बलिया लोकसभा सीट के लिए आरजेडी के दो नाम चल रहे थे, उसमें एक नाम मंत्री श्रीनारायण यादव के पुत्र सदानंद संबुद्ध उर्फ ललन यादव का एवं दूसरा रतन सिंह का ही था। हालांकि, गठबंधन में लालू यादव ने यह सीट रामविलास पासवान को दे दिया, जिसमें लोजपा के टिकट पर बाहुबली और अंडरवर्ल्ड में पहुंच रखने वाले सूरजभान सिंह सांसद बने तो विरोधी रतन सिंह से भी मेलजोल हो गया था।