मुहर्रम : हसन और हुसैन की याद में आग के अंगारों से गुजरे मुस्लिम धर्मावलंबी..

Edited By:  |
Reported By:
aag ke angaro se guzre muslims. aag ke angaro se guzre muslims.

Desk:-आज मुहर्रम की दसवीं तारीख है.आज ही के दिन मुसलामानों के आखरी पैगम्बर हज़रत मुहम्मद साहेब के नवासे इमाम हसन व हुसैन को कर्बला के मैदान में हक़ की लड़ाई लड़ते-लड़ते यजिद ने क़त्ल कर दिया था,और उन्ही की याद में सिया समुदाय के लोग देर रात हर साल नंगे पाँव आग के दहकते अंगारों पर चल कर मातम करते हैं, और इमाम हुसैन को याद करते हैं.

इस मुहर्रम को लेकर पटना एवं रांची समेत बिहार झारखंड के विभिन्न इलाकों में मुस्लिम धर्मावलंबी कई तरह के आयोजन कर रहें हैं.इसको लेकर सरकार और प्रशासन ने भी कई तरह की तैयारी की है और संवेदनशील स्थलों पर मजिस्ट्रेट एवं सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की है.थाना से लेकर जिला स्तर तक शांति समिति की बैठक की गई है और त्योहार को शांतिपूर्ण तरीके से मनाने को लेकर सभी से सहयोग की अपील की गई है.इस त्योहार को लेकर कई तरह की परम्पराएं भी हैं

किशनगंज के अंजुमन-ए-जाफ़रिया कमिटी मोतीबाग कर्बला स्थित इमामबाड़ाह के सामने शिया समुदाय के लोग आग के अंगारों पर नंगे पाँव चल कर मातम करते है,क्या बूढ़े क्या बच्चे, सब या हुसैन या हुसैन कहते हुए दहकते अंगारों पर चला करते है, आज से तकरीबन सवा 1400 सौ साल पहले यजिदों ने हज़रत इमाम हसन व हुसैन को क़त्ल कर देने के बाद उनके घर में आग लगा दी थी,जिसमे औरतें और बच्चे जल गए थे,तो हुसैन के दीवाने कर्बला की शहादत को याद कर आज भी आग का मातम करते है. इन आग के अंगारों पर बड़े तो बड़े बच्चों तक को डर नहीं लगता, इन दहकते हुए अंगारों पर चलने से ना तो इनके पैर जलते हैं ना इन्हें कुछ होता है, अब तो गैर समुदाय के लोग भी इस अंगारों पर चल कर मन्नतें मांगते हैं, और मन्नतें पूरी होने के बाद फिर दुसरे साल बच्चे को गोद में लेकर आग के अंगारों पर चला करते हैं,

इस मातम को देखने के लिए दूर दराज गांव के हज़ारों की संख्या में लोग भीड़ जमा होती है, और आज दिन में ताज़िया निकाल कर सीना पीटते हुए ज़ंजीरी मातम करते हुए कर्बला जाते हैं.