जमींदोज हुआ सपनों का आशियाना : बुलडोजर अभियान का असली गुनेहगार कौन, आखिर क्या है पटना के राजीवनगर का पूरा मामला

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Who is the real culprit of the bulldozer campaign, what is the whole matter of Rajivnagar of Patna Who is the real culprit of the bulldozer campaign, what is the whole matter of Rajivnagar of Patna

इस तस्वीर को ज़रा गौर से देखिये जिस तरीके से कतारबद्ध होकर कई सारे बुलडोजर धड़ाधड़एते हुए आगे बढ़ते जा रहे हैं इसको देखकर निश्चित तौर पर ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है की किसी बड़ी करवाई की तैयारी है। और तैयारी ऐसी जिसके तामील होते ही हज़ारों सपने पल भर में ज़मींदोज़ हो जाय। जी हाँ हम बात कर रहे है राजीव नगर की जहां रहने वाले हज़ारो लोगों के लिए रविवार की सुबह ऐसी मुसीबत बन कर आई जो उनके ज़िन्दगी की गाढ़ी कमाई के एक एक पैसे जोड़कर बनाये गए आशियाने को पल भर में उजाड़ दिया। ज़रा गौर से देखिये कल तक गुलजार रहने वाले राजीवनगर के ये वही आशियाने हैं जो अब मलबे में तब्दील हो चुके हैं और इन गलियों की हंसती हुई ज़िंदगियों और बच्चों की किलकारियों की जगह मातमी सन्नाटा बेरहम कार्रवाई की गवाही दे रहा है।

आज जब कार्रवाई के लिए जब 2000 फ़ोर्स के साथ वरीय अधिकारी पहुंचे तो ये इलाका रणक्षेत्र में तब्दील हो गया। लोगों ने पत्थर बरसाने शुरू कर दिए जिसमे सिटी एसपी घायल हो गए काफी देर तक जदोजहद की स्थिति रही। कई लोग घायल भी हुए आखिरकार प्रशाशन के सामने लोगो को अपनी बेबसी और लाचारी के साथ अपने सपने के आशियाने को धराशायी होते देखने के आलावा कोई उपाए नाहीं सूझ रहा था।

अब आइये आपको थोड़ा ये मामला बता देते हैं। दरअसल ये मामला काफी पुराना है। आवास बोर्ड ने 1024 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण किया था, लेकिन उसपर विवाद हो गया मामला कोर्ट गया, 2014 में कैबिनेट से नियमावली भी पास हुई लेकिन वो लागू नहीं हो पाया। ऐसा नहीं है की जिनके मकान बने हैं उन्होंने कोई गलती नहीं की है। उन्होंने ने भी सभी चीज़ों को नहीं देखा लेकिन इस वक़्त जो कार्रवाई हो रही है वो कई सारे सवाल खड़े कर रही है।

मकानों को अवैध बताकर तोड़ तो दिया गया लेकिन इस कार्रवाई ने कई सवाल खड़े कर दिए

इतनी बड़ी संख्या में लम्बे समय से मकानों का निर्माण कैसे हुआ

अवैध मकान बने शुरू हुए तभी क्यों नहीं कार्रवाई की गई

एक बाद एक इतनी संखया में मकान कैसे बन गए

अवैध होने के वाबजूद इन इलाकों में सरकारी सुविधा कैसे पहुँची

सरकारी फंड से सड़कों और नालों का निर्माण कैसे हुआ

वोटर लिस्ट में इनका नाम कैसे जुड़ गया

बारिश के दिनों में बेघर करना कितना सही है

सरकार ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की

टूटे हुए सपने और उजड़े हुए आशियाने राजीव नगर के लोगों के लिए आज की रात को और भारी कर देगी, लेकिन ज़िंदगी अब नए संघर्ष के लिए जदोजहद शुरू करेगी। इसकी बानगी इस बच्ची का बयान है जो बड़ी मुश्किल से बयान देते वक़्त अपनी आंसू को रोककर झूठी हंसी के सहारे अपनी हिमायत को बरकार रखी है।

कुल मिलकर गलती किसी एक की नहीं है कमीं दोनों और से है लेकिन बड़ा सवाल ये है की सरकार के पास कई सारे संसाधन है व्यवस्था है हल निकला जा सकता था लेकिन इसके बदले सपनों के आशियानों को उजाड़ने का ही विकल्प क्यों चुना गया।


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