UPSC Chairman Resigns : UPSC अध्यक्ष मनोज सोनी ने दिया इस्तीफा, बाकी था 5 साल का कार्यकाल, बताया आखिर क्या है वजह

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 UPSC Chairman Manoj Soni resigned  UPSC Chairman Manoj Soni resigned

UPSC Chairman Resigns :यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन यानी UPSC के अध्यक्ष मनोज सोनी ने इस्तीफा दे दिया है। बड़ी बात ये है कि UPSC अध्यक्ष मनोज सोनी ने अपना कार्यकाल समाप्त होने से 5 साल पहले ही अपने पद से त्याग-पत्र दे दिया है। इस मौके पर उन्होंने कहा है कि निजी कारणों से उन्होंने इस्तीफा दिया है।

UPSC अध्यक्ष मनोज सोनी ने दिया इस्तीफा

गौरतलब है कि मनोज सोनी का कार्यकाल मई 2029 में खत्म होने वाला था लेकिन कार्यकाल समाप्ति के 5 साल पहले ही उन्होंने पदत्याग करने का एलान कर दिया, जिसे लेकर काफी चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा है कि वे इस्तीफे के बाद सामाजिक और धार्मिक कामों पर ध्यान देंगे। आपको बता दें कि उन्होंने 14 दिन पहले अपना इस्तीफा कार्मिक विभाग (DOPT) को भेजा था, इसकी जानकारी आज (20 जुलाई को) सामने आयी है।

बाकी था 5 साल का कार्यकाल

इधर, इस्तीफे की जानकारी आने के बाद मनोज सोनी ने कहा है कि उनका इस्तीफा ट्रेनी IAS पूजा खेडकर के विवादों और आरोपों से किसी भी तरह से जुड़ा हुआ नहीं है। वहीं, कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने UPSC चेयरमैन के इस्तीफे पर कहा है कि उन्हें UPSC से जुड़े विवादों के बीच पद से हटाया गया है। आपको बता दें कि अभी मनोज सोनी का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है।

विदित है कि मनोज सोनी के कार्यकाल में ही IAS ट्रेनी पूजा खेडकर और IAS अभिषेक सिंह विवादों में रहे। इन दोनों पर OBC और विकलांग कैटेगरी का गलत फायदा उठाकर चयन का आरोप लगा। पूजा खेडकर ने लो विजन का हवाला देते हुए विकलांग कैटेगरी से सिलेक्शन हासिल किया था। वहीं, अभिषेक सिंह ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा विकलांग कैटेगरी से पास की थी। उन्होंने लोकोमोटिव डिसऑर्डर यानी खुद को चलने-फिरने में अक्षम बताया था। बाद में उनका जिम में वर्कआउट का वीडियो भी वायरल हुआ था।

पीएम मोदी के करीबी हैं मनोज सोनी

आपको बता दें कि मनोज सोनी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके घनिष्ठ संबंधों के लिए जाना जाता है, जिन्होंने उन्हें 2005 में वडोदरा में एमएस विश्वविद्यालय का सबसे युवा कुलपति नियुक्त किया था. यूपीएससी में शामिल होने से पहले उन्होंने गुजरात के दो विश्वविद्यालयों में कुलपति के रूप में तीन कार्यकालों में काम किया था, जिसमें डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर ओपन विश्वविद्यालय (बीएओयू) में दो कार्यकाल शामिल हैं।