बनी प्रेरणा.. : सास-बहू की आयी अऩोखी तस्वीर, साथ-साथ पढा़ई और परीक्षा

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Unique relationship between saas and bahu seen in Nalanda, studying and examining together Unique relationship between saas and bahu seen in Nalanda, studying and examining together

NALANDA:- आम तौर पर सास-बहू के झगड़े कि किस्से लोगों को देखने और सुनने को मिलते हैं पर नालंदा में सास-बहू एक साथ परीक्षा देते नजर आयी हैं.ये सास-बहू किसी वजह से बचपन में पढ़ाई नहीं कर पायी थी,पर मौका मिलते ही दोनों ने साथ-साथ पढ़ाई की और फिर साथ-साथ परीक्षा में शामिल हुई. ये दोनो परीक्षा में अगल-बगल बैठने के बावजूद एक दूसरे का सहयोग लिये बिना ही अपनी-अपनी कॉपी लिखते दिखी.सास-बहू का परीक्षा देते वीडियो सोसल मीडिया पर वायरल हो रहा है.और लोग सास-बहू की तारीफ करते नजर आ रहे हैं.

दरअसल मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत नालंदा जिले के 105 केंद्रों पर महापरीक्षा का आयोजन किया गया । सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक आयोजित इस महापरीक्षा में 11 हजार वैसी नवसाक्षर महिलाएं शामिल हुई जो बचपन में किसी न किसी कारणवश पढ़ाई नहीं कर सकी थी.बिहारशरीफ के मध्य विद्यालय राणाबिगहा केंद्र पर इस महापरीक्षा में सास - बहू के अलावा एक परिवार की 4 बहू एक साथ परीक्षा देने पहुंची जिसकी चर्चा हर तरफ हो रही है.

बिहारशरीफ के कोसुक निवासी जमींदर मांझी की पत्नी इंद्राणी देवी अपनी सास पंभी देवी के साथ परीक्षा दी । इंद्राणी देवी ने बताया कि बचपन में ही शादी हो गई थी इस कारण स्कूल नहीं जा सकी जबकि सास पंभी देवी ने बताया कि घर में पोता पोती को पढ़ते देख पढ़ने लिखने का शौक जागा. गांव के शिक्षा सेवक मुन्ना मांझी का सहयोग मिला और दोनो सास बहू पढ़ने जानी लगे. पहले अंगूठा लगाते थे आज उन्हीं हाथ में कलम पकड़ कर बहुत अच्छा लग रहा है । दोनों आज अपना और पति का नाम लिख लेती है और बच्चो को थोड़ा बहुत पढ़ा भी लेती है। 55 साल बाद कलम पकड़कर और लोगों के बीच परीक्षा देना दोनों को अच्छा लगा ।

इसी तरह तिउरी गांव की सुनैना देवी, रूबी देवी, बेबी देवी और सुनीता देवी एक ही परिवार की बहू है । चारों को बचपन में स्कूल जाने का मौका नहीं मिला। अब दूसरे को पढ़ता लिखता देख पढ़ाई का मन किया और उम्र के झिझक को छोड़ आज साक्षर बनी ।

केंद्र के वरीय प्रेरक भोला प्रसाद ने बताया कि शिक्षा सेवक मुन्ना प्रसाद संजय और सरस्वती कुमारी के प्रयास से आसपास की महिलाओं को साक्षर किया जाता है । इस केंद्र पर 60 नव साक्षर महिलाएं शामिल हुई।यहां सास-बहू का साथ पढ़ाई करना और फिर परीक्षा देना निश्चित रूप से बिहार में महिलाओं की बदलती साकारात्मक तस्वीर को बयां करता है.


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